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Sunday, August 2, 2020

रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक और पौराणिक महत्व।

श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 3 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन बहनें सज-संवरकर मेहंदी रचे हाथों से भाइयों को तिलक कर दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं। 
धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार !
द्रौपदी और भगवान श्री कृष्ण की कथा
महाभारत काल के दौरान, शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की कलाई पर चोट लग गई, जहां से उनका खून बहने लगा। भगवान श्री कृष्ण की कलाई से यूं रक्त बहता देख पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक किनारा फाड़कर उसे भगवान कृष्ण की कलाई पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। इसी समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार कर, उसकी रक्षा करते हुए उसके आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारने का वचन दिया। माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने जरूरत पड़ने पर अपना वचन निभाया भी और जिस समय पांडव द्रौपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था तब वह स्वयं श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई थी। मान्यता अनुसार तभी रक्षाबंधन का पर्व मनाने की शुरुआत हुई। उस दिन से आज तक यह पर्व मनया जाता है।
रक्षाबंधन मनाने की सही विधि
👉रक्षाबंधन के दिन सुबह भोर में उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
👉फिर चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एक साथ मिलाकर, पूजा की थाली तैयार करें।
👉पूजा की थाली में शुद्ध देसी घी का एक दीप जलाएं, साथ ही थाली में कुछ मिठाई भी रखें।
👉इसके बाद यदि आपका भाई आपके साथ है तो, उसे एक पीढ़े पर बिठाएं. वहीं यदि भाई किसी कारणवश आप से दूर है तो, आप उसके स्थान पर उसकी कोई तस्वीर भी रख सकते हैं।
👉इसके बाद शुभ मुहूर्त अनुसार भाई को रक्षा सूत्र बांधते वक्त, उसको पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बिठाएं।
👉इसके साथ ही ध्यान रहे कि भाई को तिलक लगाते समय, बहन का मुख भी पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
👉इसके बाद भाई के माथ पर टीका लगाकर, उसके दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधें।
👉इसके पश्चात भाई की आरती उतारें और उसे मिठाई खिलाएं।
👉अब यदि बहन बड़ी हो तो छोटे भाई को उसके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए और छोटी हो तो उसे बड़े भाई को प्रणाम करते हुए उसका आशीर्वाद लेना चाहिए।
रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक और पौराणिक महत्व

देवताओं और इंद्राणी की कथा रक्षाबंधन पर्व के मनाने को लेकर भी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं कहानियों में से एक का उल्लेख भविष्य पुराण में किया गया है। इस कथा के अनुसार पौराणिक काल में, देवों और दानवों के बीच जब भयंकर युद्ध हुआ तो उस दौरान देवता असुरों से हारने लगे। तब सभी देव अपने राजा इंद्र के पास उनकी सहायता के लिए गए। असुरों से भयभीत देवताओं को देवराज इंद्र की सभा में देखकर, देवइंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी देवताओं के हाथों पर एक रक्षा सूत्र बांधा। माना जाता है कि इसी रक्षा सूत्र ने देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ाया जिसके कारण वो बाद में दानवों पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। कहा जाता है कि तभी से राखी बांधने की प्रथा प्रारम्भ हुई।

Saturday, August 1, 2020

"स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा" लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक कि जयंती।

 महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) की आज जयंती है। उनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरी) के चिखली गांव में हुआ था। बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। लोकमान्य का शीर्षक भी इन्हीं को दिया गया था। स्वतंत्रता सेनानी के अलावा उनको समाज सुधारक, दार्शनिक, प्रखर चिंतक, शिक्षक और पत्रकार के तौर पर भी जाना जाता है।
'स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा'
बचपन से ही मेधावी छात्र बाल गंगाधर तिलक रत्नागिरी गांव से निकलकर आधुनिक कालेज में शिक्षा पाने वाले ये भारतीय पीढ़ी के पहले पढ़े लिखे नेता थे। कुछ समय तक उन्होंने स्कूल और कॉलेज के छात्रों को गणित की भी शिक्षा दी। उन्होंने देश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए काफी काम किया, इसके लिए उन्होंने दक्कन शिक्षा सोसायटी की भी स्थापना की थी।
राजनीतिक सफर
ब्रिटिश सरकार की नीतियों के विरोध चलते एक समय उन्हें मुकदमे और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करके काफी समय तक काम किया, लेकिन बाद में पार्टी नरमपंथी रवैये को देखते हुए वो अलग हो गए। इसके बाद पार्टी के दो हिस्से हो गए, और बाल गंगाधर तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल, अलग हिस्से में शामिल हो गए। 1908 में तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया। जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और 1916 में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की। इसके अलावा ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना करने और भारतीयों को पूर्ण स्वराज देने की मांग के चलते उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने अपने अखबारों के जरिए भी ब्रिटिश शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की। वो अपने मराठी अखबार 'केसरी' में अंग्रेजों के खिलाफ काफी आक्रामक लेख लिखते थे। इन्हीं लेखों की वजह से उनको कई बार जेल भेजा गया।
जिंदगी का अंतिम सफर
ब्रिटिश सरकार ने बाल गंगाधर तिलक को 6 साल की जेल की सजा सुनाई थी और इसी दौरान उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी। इस कारण वो अपनी मृतक पत्नी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए थे। इसके बाद 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रान्ति का जनक कहा था।

01 अगस्त आज ही के दिन महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी। क्या थे कारण!

01 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया। कई कस्बों और नगरों में श्रमिक हड़ताल पर चले गए। अंग्रेज हुक्मरानों की बढ़ती ज्यादतियों का विरोध करने के लिए यह आंदोलन की शुरुआत की। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1921 में 396 हड़तालें हुई जिनमें छह लाख श्रमिक शामिल थे और इससे 70 लाख कार्य दिवसों का नुकसान हुआ। 
शहरों से लेकर गांव देहात में इस आंदोलन का असर दिखाई देने लगा और सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार अंग्रेजी राज की नींव हिल गई। 5 फ़रवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रांत के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा पुरवा में एक पुलिस स्टेशन पर आक्रमण कर उसमें आग लगा दी।इस अग्निकांड में कई पुलिस वालों की जान चली गई। हिंसा की इस कार्यवाही से गाँधी जी को यह आंदोलन तत्काल वापस लेना पड़ा।
उन्होंने जोर दिया कि, ‘किसी भी तरह की उत्तेजना को निहत्थे और एक तरह से भीड़ की दया पर निर्भर व्यक्तियों की घृणित हत्या के आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है’। 12 फ़रवरी 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने के निर्णय के बारे में गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, "आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।" अब गांधी जी ने रचनात्मक कार्यों पर ज़ोर दिया।
असहयोग आंदोलन (1920-21)के प्रमुख कारण थे
  • सभी वयस्कों को काँग्रेस का सदस्य बनाना
  • तीन सौ सदस्यों की अखिल भारतीय काँग्रेस समिति का गठन
  • भाषायी आधार पर प्रांतीय काँग्रेस समितियों का पुनर्गठन
  • स्वदेशी मुख्यतः हाथ की कताई-बुनाई को प्रोत्साहन
  • यथासंभव हिन्दी का प्रयोग आदि

इस्लाम धर्म में बकरीद (Eid-ul-Adha) का त्योहार जिसका मतलब है कुर्बानी की ईद, क्यों मनाई जाती है।

रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। बकरीद (Eid-ul-Adha)। जिसका मतलब है कुर्बानी की ईद। इस्लाम धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। कहा जाता है अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी। हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी दे दिया। 

कहते हैं तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा। लेकिन मुस्लिम समाज कभी अपने बच्चों का बलि नहीं दे सकता। इसलिए वह निर्दोष असहाय जानवरों का बली देता है। बकरीद का त्यौहार हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में मनाया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में मक्का सऊदी अरब में एकत्रित होकर हज मनाते है। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह हज की एक अंशीय अदायगी और मुसलमानों के भाव का दिन है। दुनिया भर के मुसलमानों का एक समूह मक्का में हज करता है बाकी मुसलमानों के अंतरराष्ट्रीय भाव का दिन बन जाता है।


इन जानवरों की दी जाती है कुर्बानी 
बकरीद के दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे निर्दोष किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं। इसमें उस पशु की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है जिसके शरीर का कोई हिस्सा टूटा हुआ हो, भैंगापन हो या जानवर बीमार हो बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरे हिस्से को गरीब लोगों में बांटे जाता है।

Tuesday, July 28, 2020

फ्रांस से चला भारत का तूफान एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग करते दिखा "राफेल"

भारत को मिलने वाले राफेल फाइटर जेट्स ने सोमवार को भारत के लिए उड़ान भरी थी और बुधवार को सभी पांचों विमान हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचेंगे। वही भारत आते समय विमानों में एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग के तहत, हवा में ही ईंधन भरा गया। बता दें, राफेल एयरक्राफ्ट फ्रांस से भारत तक करीब 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर अा रहा हैं।

इस दौरान इसमे एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया। इन पांचों राफेल फाइटर प्लेन को 7 भारतीय पायलट उड़ाकर अंबाला एयरबेस ला रहे हैं। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।यह विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसमें यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए का मेटॉर मिसाइल शामिल है।

राफेल फाइटर जेट की विशेषताएं-

मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) होने के नाते, राफेल जेट अपनी गति, हथियार धारण क्षमता और हमले की क्षमता के लिए जाना जाता है। राफेल दो एसएनईसीएमए एम 88 इंजन द्वारा संचालित है। जो इसे 1,912 किमी प्रति घंटे की उच्च गति और 3,700 किमी से अधिक की सीमा प्राप्त करने में मदद करता है। इसमें मार्टिन-बेकर मार्क 16F ‘जीरो-जीरो’ इजेक्शन सीट भी है जो शून्य गति और ऊंचाई पर परिचालन करने में सक्षम है। 

हमला करने की क्षमता

2223 किमी की शीर्ष गति होने के कारण, यह लेजर-निर्देशित बमों से सुसज्जित है जिसका वजन 900 किलोग्राम है। इसकी आंतरिक तोप से प्रति मिनट 2500 राउंड फायर किए जा सकते हैं। इसके अलावा, दृश्य सीमा मिसाइल, हैमर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल, उल्का और स्कैल्प मिसाइलों से परे MICA की उपस्थिति, भारतीय वायु सेना को भारतीय वायु अंतरिक्ष पार किये बिना 600 किमी दूर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की क्षमता देती है। साथ ही राफेल जेट को 60-70 किमी की रेंज वाले HAMMER मिसाइल से लैस किया जाएगा। यह भारत को पूर्वी लद्दाख जैसे पहाड़ी स्थानों सहित अन्य सभी इलाकों में बंकरों, कठोर आश्रयों और अन्य ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता देता है। 

4.5 जनरेशन विमान एईएसए रडार, स्पैक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और आईआरएसटी सिस्टम से लैस, राफेल को 4.5 जनरेशन विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह अमूल्य है क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में केवल तीसरी और चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट हैं। वर्तमान में, भारत के पास सुखोई सु -30 एमकेआई, मिग 29, मिराज -2000 और स्वदेश निर्मित तेजस जैसे फाइटर जेट हैं। हालांकि, इसका सबसे बड़ा फायदा परमाणु हथियार पहुंचाने की इसकी क्षमता है।


22.6 किग्रा शुद्ध चादी के ईट से रखी जाएगी राममंदिर कि निव।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए 'भूमि पूजन' समारोह होने वाला है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोग शमिल होने वाले हैं। भूमि पूजन में उपयोग होने वाले ईट कि तस्वीर भी सामने अा गई है जो शुद्ध चादि कि 22.6 किग्रा है। इस ईट पे तिलक और स्वस्त्विक का चिन्ह भी बना हुआ है।

 ट्रस्ट के सदस्यों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए अयोध्या पहुंचेगे। वही 'भूमि पूजन' समारोह के लिए जिन लोगों को आमंत्रित किया जा रहा हैं उनमें BJP नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं। बता दें, दूरदर्शन द्वारा इस समारोह का सीधा प्रसारण किया जायेगा। मंदिर के ट्रस्टी अपनी सारी तैयारियां युद्ध स्तर पर कर दिया है। भूमि पूजन में उपयोग किया जाने वाला जल भी निकाल चुका है जल्द ही भूमि पूजन के लिए जल भी अयोध्या पहुंच जाएगा।

मंदिर का स्वरूप
राम मंदिर के मॉडल में प्रस्तावित बदलाव किया गया है। पहले आयताकार था, अब कुर्सीफार्म शेप का मॉडल होगा। पहले 2 मंडप थे, लेकिन अब बदल कर 5 मंडप होगा। गर्भगृह के ऊपर के मुख्य गुम्बद के अलावा 3 मंडप गर्भगृह के बाद होंगे, उसके बाद एक और मंदिर के प्रवेश के पास एक छोटा मंडप होगा। पहले आकार 313×149 फुट था, अब 344×235 फुट होगा। शिखर की चोटी की ऊंचाई पहले 138 फुट प्रस्तावित थी, जो अब बढ़कर 161 फुट होगी। पत्थर की मात्रा पहले 243,000 घन फुट आंकी गई थी, जो अब बढ़कर 375,000 घन फुट होगा। क्षेत्रफल में भी बदलाव होगा।

Monday, July 27, 2020

जल्द अा रहा है भारत के पास 5 राफेल लड़ाकू विमान।

 राफेल या डसॉल्ट राफेल फ्रांसीसी उच्चारण में शाब्दिक अर्थ है "हवा का गहरा" और "अधिक आग की भावना में" एक फ्रेंच दोहरे इंजन वाला, कैनर्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल डेसॉल्ट एविएशन द्वारा डिजाइन और निर्मित लड़ाकू विमान है। हथियार की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ सुसज्जित, राफेल का उद्देश्य वायु वर्चस्व, हस्तक्षेप, हवाई पुनर्मिलन, जमीन समर्थन, गहराई से मार, विरोधी जहाज हड़ताल और परमाणु प्रतिरोध मिशन करने का है। राफेल को डेसॉल्ट द्वारा "ओमनीरोले" विमान के रूप में जाना जाता है।
राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल. तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टू टेगा। राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल 150 किलोमीटर और स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है, जबकि, HAMMER यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल है, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है. ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं.

अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किमी. तक मारक क्षमता

24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी

यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है. हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता।

स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी

अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा राफेल, प्लेन के साथ मेटेअर मिसाइल भी है


मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...