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Wednesday, September 2, 2020

स्वीडन का खूबसूरत शहर माल्मो पूरी तरह मुस्लिम दंगाइयों ने किया जलाकर राख।

29 August 2020
स्वीडन का खूबसूरत शहरों में से एक माल्मो शहर भी मुस्लिम दंगाइयों से नहीं बच सका। और पूरी तरह जलकर राख हो गया। अब यह दंगा दूसरे शहरों में भी तेजी से फैल रहा है।
दरअसल मुस्लिम समुदाय के एक ग्रुप ने विरोध प्रदर्शन के दौरान बाइबल (क्रिश्चियन धर्म ग्रन्थ) जला दिया था। उसके बाद उसका बदला लेने के लिए कुछ चरमपंथी ईसाईयों ने कुरान (इस्लामिक धर्म ग्रंथ) जलाने का कार्यक्रम रखा और जैसे ही मुसलमानों ने सुना कि कुरान जलाने का कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने पूरे स्वीडन को जलाकर राख करने की तैयारी कर ली हालांकि उनकी तैयारी हर वक्त दुनिया को जलाने की उनकी तैयारी पहले से ही पूरी होती है।
सोचिए मात्र दो दशक पहले पूरे स्वीडन में एक भी मुस्लिम नहीं थे। लेकिन स्वीडन की वामपंथी विचारधारा वाली सरकारों ने सीरिया लेबनान अफगानिस्तान लीबिया तमाम देशों से मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां बसाया। बिकाऊ लालची सत्ताधारी ने नागरिकता भी छीप छीप कर देता गया। उन्हें सोशल सिक्योरिटी दी गई। उन्हें मुफ्त में खाना रहने का घर सब कुछ दिया गया। और आज उन्ही मुस्लिम शरणार्थियों ने स्वीडन को जलाकर राख कर दिया।
स्वीडन ऐसे तो भारत के हर गतिविधियो पे बहुत ध्यान देता है और समय समय पर अपनी प्रतिक्रिया भी देता आया है। भारत ने जब जम्मू कश्मीर से धारा 370/35A हटाया था तो स्वीडन खुल कर अपनी प्रतिक्रिया दिया था। और मुस्लिम समुदाय को उसकी बहुत चिंता हो रही थी। जबकि भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में 80% से ज्यादा मुस्लिम सांती दूत है और स्वीडन में 16 % मुस्लिम सांती हैं। अब स्वीडन को किसी भी देश के आंतरिक मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए।

Tuesday, September 1, 2020

जाने सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य विजेता सम्राट अशोक अपने ही देश के इतिहासकारों से कैसे हार गए।

आखिर क्यों संपूर्ण भारत विजेता सम्राट अशोक पूरा भारत विजयी होने के बाद भी उनको अपने ही देश के इतिहासकर इतिहास के पन्नों में हरा दिया। आखरी क्यों और क्या थी राजनीत जिसके कारण भारत विजेता सम्राट अशोक हार गए। आज उनके द्वार दिए गए हर एक चिझ को भारत सरकार से लेकर हर भारतीय जिसे जान कर सुन कर गौरवान्वित होता है।
1. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं।
2. जिस सम्राट का राजचिन्ह अशोकचक्र भारत देश अपने झंडे में लगता है।
3.जिस सम्राट का राजचिन्ह चारमुखी शेर को भारत देश राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाती है और सत्यमेव जयते को अपनाया गया।
4. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर अशोक चक्र दिया जाता है।
5. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक छत्र राज किया हो।
6. जिस सम्राट के शासनकाल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं।
7. जिस सम्राट के शासनकाल में भारत विश्वगुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव रहित थी।
8. जिस सम्राट के शासनकाल जीटी रोड जैसे कई हाई-वे बने, पूरे रोड पर पेड़ लगाये गए, सरायें बनायी गईं, इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी प्रथम बार हॉस्पिटल खोले गए, जानवरों को मारना बंद कर दिया गया।

सम्राट अशोक मगथ के सम्राट थे जिसकी राजधानी पाटलीपुत्र थी। सम्राट मगथ के सम्राट जरूर थे लेकिन कलिंग को छोड़कर संपूर्ण भारतवर्ष पर उनका शासन था। कहते हैं कि ईरान से लेकर बर्मा तक अशोक का साम्राज्य था। अशोक के समय मौर्य राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर, कर्नाटक तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक पहुंच गया था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था। ऐसे महान सम्राट अशोक कि जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती, न ही कोई छुट्टी घोषित कि गई है? अफ़सोस जिन लोगों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो लोग अपना इतिहास ही नहीं जानते और जो जानते हैं, वो मानना नहीं चाहते।

अब स्पीड पोस्ट से भी मांगा सकते है माता वैष्णो देवी का प्रसाद।

वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड माता के भक्तों के लिए एक और उपहार लेकर आया है। देशभर के भक्त अब माता वैष्णो देवी का प्रसाद स्पीड पोस्ट के जरिए भी प्राप्त कर सकेंगे। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार और डाक सेवाएं विभाग के निदेशक गौरव श्रीवास्तव ने एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सेवा सुरु की गई हैं। इसके तहत डाक विभाग स्पीड पोस्ट के जरिए देश भर में कहीं भी वैष्णो देवी के प्रसाद की डिलीवरी करेगा। बता दें, बोर्ड के अनुसार यह सेवा नो प्रॉफिट नो लॉस पर दी जाएगी। श्राइन बोर्ड ने तीन अलग-अलग श्रेणी का प्रसाद लांच किया है।
कैसे करें ऑर्डर 
माता वैष्णो देवी का प्रसाद मंगाने के लिए श्राइन बोर्ड ने नो प्रोफिट, नो लॉस के आधार पर तीन तरह का प्रसाद लॉन्च किया है। प्रसाद ऑर्डर करने के लिए माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के वेबसाइट maavaishnodevi.org पर जाकर बुक किया जा सकता है, अथवा इसके लिए मुहैया कराए गए विशेष फोन नंबर 9906019475 पर कॉल किया जा सकता है। यहां पर आपको प्रसाद की कैटेगरी, क्वालिटी और कीमत सभी चीजों की जानकारी मिल जाएगी।

इस बीच 16 अगस्त से शुरू हुई मां वैष्णो देवी की यात्रा रफ्तार पकड़ लिया है। यहां यात्रा के लिए पहुंचने वाले भक्तों के लिए हेलिकॉप्टर, बैटरी से चलने वाला रिक्शा, माता भवन और भैरो मंदिर के बीच रोप वे की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। अभी यहां हर रोज 2000 भक्तों को दर्शन करने की इजाजत मिली है।

आज हो रहा है गणपति बप्पा मोरया का विसर्जन जाने कैसे करते हैं

गणेश चतुर्थी यानि गणेश जी के जन्मदिवस से पूरे 10 दिन तक भक्त उत्सव मनाते हैं। चतुर्थी से शुरु होकर अनंत चतुर्दशी के दिन यानी आज गणेश जी का विसर्जन होने जा रहा है। 10 दिन के इस त्योहार में भक्तों को पता ही नहीं चलता कि 10 दिन कब गुजर गए। इस दौरान भक्त गणपति जी को अपने घर में स्थापित करते हैं और पूरे 10 दिन तक उनकी पूजा अर्चना और सेवा करते हैं। समय की कमी के कारण कुछ लोग 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन या 7 दिन में ही विसर्जन कर देते हैं जबकि गणपति विसर्जन का उपयुक्त समय स्थापना के 11वें दिन होता है।
गणपति जी की विदाई करते समय भक्त काफी भावुक नजर आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारे घर का कोई सदस्य विदा होकर जा रहा हो। गणपति जी की विदाई भी उसी प्रकार भक्तजन करते है। जैसे हम अपने घर के किसी सदस्य की विदाई करते हैं। कहते हैं कि जब गणेश जी को विदा किया जाता है तो उनके साथ कुछ खाने पीने का सामान दे देना चाहिए ताकि उन्हें रास्ते में किसी भी प्रकार कि परेशानी का सामना ना करना पड़े।
गणेश विसर्जन की विधि
रोज की तरह उनकी आरती करते हैं। विशेष प्रसाद का भोग लगाते हैं। गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करते हैं। एक स्वच्छ पाटा लेकर उसे गंगाजल से पवित्र कर फिर घर की स्त्री से उस पर स्वास्तिक बनाते हैं। उस पर अक्षत रखते हैं, एक पीला, लाल या गुलाबी सुसज्जित वस्त्र बिछाते हैं। उसपर फूल चढ़ाते हैं साथ में पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी भी रखते हैं। उसके बाद श्री गणेश भगवान को उनकी स्थापना वाले जगह से उठाकर इस पाटे पर विराजित करते हैं। इसके उपरांत उनके साथ फल, फूल वस्त्र दक्षिणा एवं 5 मोदक रखते हैं। तद पश्चात उन्हें किसी स्वक्ष तालाब में विसर्जित करते हैं।

लेकिन हर साल की तरह इस साल कोरोना महामारी के चलते गणपति जी का विसर्नजन नदी, तालाब या पोखर में नहीं कर पाएंगे। इस बार हमें घर पर ही करना होगा। विसर्जन से पूर्व पुनः आरती सम्पन्न करें। श्री गणेश से खुशी-खुशी विदाई की कामना करें और सबके लिए धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ मनचाहे आशीर्वाद मांगें। साथ ही साथ 10 दिनों में जाने -अनजाने में हुई गलती की क्षमा मांगें फिर गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करें।

अनंत चतुर्दशी के व्रत से होता है, हार मनोकामना पूर्ण। सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र भी रखा था यह व्रत।

भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को अनंत चौदस नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि 14 साल तक लगातार अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
                    "ॐ अनन्ताय नमः"
अनंत चतुर्दशी का व्रत काफी फलदाई साबित होता है। कहा जाता है कि जब पांडव अपने राज्य को हारकर बनवास के लिए निकले तो भगवान श्री कृष्ण के कहने पर उन्होंने यह व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से पांडव महाभारत का युद्ध भी जीते और अपना राज्य भी वापस पाए।

एक अन्य मान्यता है कि जब सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अपना सब कुछ दान करने के बाद अपने घर को त्याग दिया था जंगल जंगल भटकने के बाद उन्हें किसी ने अनंत चतुर्दशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से सत्यवादी हरिचंद को अपना राज्य वापस मिला।
अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर सृष्टि के पालनहार और विघ्नहर्ता के चरणों में प्रणाम और यही प्रार्थना कि सब सुखी हों, सबका मंगल और कल्याण हो। 

Monday, August 31, 2020

मदर टेरेसा का वह सच्चाई जो मीडिया ने समाज के सामने कभी आने नहीं दिया।

26 अगस्त 1910 को जन्मी टेरेसा जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है। उनका जन्म आन्येज़े गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ था। टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। हमारे इतिहासकारों के अनुसार शांति दूत टेरेसा ममता की मूरत थीं। 
दीन-दुखियों को गले लगाना और बीमार लोगों को 
मिशनरीज ऑफ चैरिटी में दाखिल करा कर उसका धर्म परिवर्तन करना उनका प्राथमिकता होती थी। भारत अपने दरिया दिली के लिए जाना जाता रहा हैं। संत टेरेसा के साथ भी ऐसा ही हुआ। संत टेरेसा कैथोलिक थीं, लेकिन उन्हें भारत की नागरिकता मिली हुई थी। उन्हें भारत के साथ साथ कई अन्य देशों की नागरिकता मिली हुई थी, जिसमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया और युगोस्लाविया शामिल हैं। 
साल 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों की सेवा का संकल्प लिया था, जो सरासर झूठ है। निस्वार्थ सेवा के लिए टेरेसा ने 7 अक्तूबर 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की थी। यह सच है। जिसमे 12 सदस्यों के साथ संस्था की शुरुआत भी हुई। जो उस समय करोड़ों का दान लेकर विदेशो में चर्च और धर्म के नाम पर पैसा जाता था। भारत में सिर्फ दान वसूला जाता था। और भारत की भोली भाली जनता सिर्फ मिशनरीज का बिस्तार करने में चैरिटी का पैसा उपयोग होता था। अब यह संस्था 133 देशों में युद्ध स्तर पे अपना काम कर रही हैं। भारत में इसका उदाहरण पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सो में देखा और सुना जा सकता हैं। 133 देशों में इनकी लगभग 4501 सिस्टर हैं। 1981 में उन्होंने अपना नाम बदल लिया था। अल्बानिया मूल की टेरेसा ने कोलकाता में गरीबों और पीड़ित लोगों के लिए जो किया वो दुनिया में अभूतपूर्व माना जाता हैं। मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था में 100 से कम मरीज भर्ती थे। लेकिन उनकी संस्था में कोई डॉक्टर नहीं होते थे। पूरा देखभाल उनकी संस्था की सिस्टर ही करती थी। और उन्हें यहां तक कि किसी को दर्द निवारक दवा भी नहीं दी जाती थी। और ना ही उनके संस्था में दर्द निवारक दवा होती थी। मदर टेरेसा अपनी मृत्यु तक कोलकाता में ही रहीं और अपने नेक कार्यों में सफल रही।
आज भी उनकी संस्था अपना कार्य ईमानदारी से कर रही हैं। सबसे आशचर्य की बात तब होती हैं जब गरीब बीमार आशहाय लोगों को इलाज की जरूरत पड़ती थी तो 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' संस्था की सिस्टर ही डाक्टर का कार्य करती थी। जबकि संत टेरेसा अपने छोटी सी इलाज के लिए विदेशों में जाती थी।
अब हमें यह जानकर आश्चर्य होता है कि सरकार उन्हें कौन सा नेक काम करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के साथ भारत रत्न, टेम्पटन प्राइज, ऑर्डर ऑफ मेरिट और पद्म श्री से भी नवाजा। 
 रॉबिन फॉक्स (Robin fox) रॉबिन फॉक्स जो एक ब्रिटिश जर्नलिस्ट थे उन्होंने अपने एक रिपोर्ट में बताया था कि मदर टेरेसा का आश्रम किसी भी तरह से एक हॉस्पिटल नहींं था। जहां मरीजों का इलाज हो सके। मलेरिया वाले मरीज और जिनका इलाज नहीं हो सकता था आखरी स्टेज कैंसर वाला मरीजों दोनों को एक साथ रखा जाता था। जिन मरीजों का इलाज दूसरे अस्पताल में आसानी से हो सकता था। आश्रम में उनकी भी दर्दनाक मौत हो जाती थी। मरीजोंं को लगाए जाने वाले इंजेक्शन कई बार गर्म पानी में धोकर लगाए जाते थे। मदर टेरेसा केेे आश्रम का एक दूसरा नाम भी था house of dying यानी मरने वालों का घर।

Converting dying people मरते हुए लोगों का धर्म परिवर्तन, मरते हुए हिंदू और मुसलमानोंं से पूछा जाता था की आपको स्वर्ग या जन्नत का टिकट चाहिए। मरीज के हां कहने पर उसका धर्म परिवर्तन किया जाता था। उसको कहा जाता था कि उसके दर्द को कम करने के लिए इलाज कीया जा रहा हैं और उसके सर पर पानी डालकर उसके धर्म को back ties यानी क्रिश्चिचन बनाया जाता था।
Thousands of Crores in Vatican Trust वैक्तिकन बैंक में हजारों करोड़ों रुपए अपने आश्रमों से इकट्ठा किया गया चंदा Bank for the work of religion में जमा करती थे यह बैंक वेटिकन चर्च मैनेज  करता था। जिसकेे लिए मदर टेरेसा काम करती थी। सालोंं से जमा किए गए पैसे इतने ज्यादा थेे कि उस बैंक में आधे से ज्यादा पैसे मदर टेरेसा के ही थे। अगर मदर टेरेसा उस पैसे को निकाल ले तो शायद बैंक बर्बाद हो जाता। शायद यही कारण रहा होगा की आश्रम का हालत इतनी बुरी थी क्योंकि इकट्ठा किया गया पैसा सीधे बैंक जाता था और लोगों के लिए इस्तेमाल नहीं होता था।
False image in media मीडिया का झूठ Arup Chaudhari नाम के एक जनरलिस्ट ने अपनेे किताब में सारे समााज सुधारक के बारे में लिखा है उनका कहना था कि मीडिया मदर टेरेसा को हेल्पर ऑफ द पुअर यानी गरीबों का मसीहा जबकि यह बिल्कुल झूठ था। मदर टेरेेसा का सबसेे बड़ा आश्रम मिशनरीज ऑफ चैरिटी कोलकाता मे था। इस आश्रम में 100 से भी कम लोग भर्ती किये गए थे। लेकिन उसी वक्त की असेंबली ऑफ गॉड नाम के संस्था के द्वारा 18000 लोगों को खाने-पीने का सामान रोज बाटा जाता था। आज लोग ऐसे आश्रम का नाम भी नहीं जानते हैं। यही नहीं मदर टेरेसा के 8 ऐसेे आश्रम भी थे जहां एक भी गरीब आदमी नहीं 
थे। आश्रम सिर्फ चंदा इकट्ठा कर बैंक में जमा और धर्म परिवर्तन करने के लिए बनाया गया था।
Relation with controversial figure अमीरों से रिश्ता मदर टेरेसा के रिश्ता कुछ ऐसे लोगों से भी था जिन्हें सरकार क्रिमिनल्स घोषित कर चुकी थी। Robert Maxwell और Charles Creting उन लोगों में से थे जो मदर टेरेसा के आश्रम में करोड़ों रुपए दान करते थे और उन पर हजारों करोड़ों रुपए ठगने का आरोप था। Lisieo jelly इटालियन मडर र को मदर टेरेसा नोबेल पुरस्कार देने केे लिए सहमति भी दी थी। 1975 में इमरजेंसी के दौरान लोग परेशान थे लेकिन मदर टेरेसा ने इमरजेंसी का समर्थन किया था और पॉलीटिशियन के साथ थे।

जाने राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल कि जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। पिता आर्मी में ब्रिगेडियर थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किये और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बाद वे केरल कैडर से 1968 में IPS का एग्जाम टॉप किया, केरल Batch के IPS Officer बने। 17 साल की नौकरी के बाद मिलने वाला Medal 6 साल की नौकरी में ही हासिल कर लिए थे।

इसके बाद पाकिस्तान में जासूस के तौर पर काम किया, वहा वे मुसलमान बनकर रहते थे। पाकिस्तान की आर्मी में मार्शल की पोस्ट तक पहुंचे और 6 साल भारत के लिए जासूसी करते रहे। बताया जाता है कि अंडर कवर जासूसी करने के बाद अजीत डोभाल ने भारत आकर कई अहम ऑपेशन को अंजाम दिया। 1987 में खालिस्तानी आतंकवाद के समय पाकिस्तानी एजेंट बनकर दरबार साहिब के अंदर पहुंचे, 3 दिन आतंकवादियों के साथ रहे। आतंकवादियों की सारी सूचना लेकर Operation Black Thunder को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

देश का एक मात्र Non Army Person जिसे यह Award से सम्मानित किया जा चुका है। उसके बाद असम गए, वहां उल्फा आतंकवाद को कुचला। 1999 में Plane_Hijacking के समय आतंकवादियों से Dealing की। मोदी के सत्ता में आते ही उन्हें सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA (National Security Advisor) बनाया। बलोचिस्तान में Raw फिर से Active की, बलोचिस्तान का मुद्दा International बनाया। केरल की 45 ईसाई नर्सों का Iraq में Isis ने किडनैप किया। अजित डोभाल खुद इराक़ गए, isis से पहली बार बीना किसी नुकसान के नर्सों को वापस लाया। वर्ष 2015 मई में भारत के पहले सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया। भारत की सेना Myanmar में 5 किमी तक घुसी। और 50 आतंकवादी मारे गए। उन्होंने नागालैंड के आतंकवादियों से भारत की ऐतिहासिक समझौता करवाई, आतंकवादी संगठनों ने हथियार डाले।

भारत की डिफेंस पॉलिसी को Agressive बनाया। भारत की सीमा में घुस रहा पाकिस्तानी जहाज को बिना किसी चेतावनी के उड़ाया,कहा बिरयानी खिलाने वाला काम नही कर सकता। कश्मीर में सेना को खुली छूट दी, पैलेट गन सेना को दिलवाईं। पाकिस्तान को दुनिया के मुस्लिम देशों से ही तोड़ दिया। सितंबर 2016 आज़ाद भारत के इतिहास का 1971 के बाद सबसे इतिहासिक दिन था। जो अजीत डोभाल के बुने गए सर्जिकल स्ट्राइक को सेना ने दिया अंजाम। और PoK में 3 किलोमीटर घुसे। 40 आतंकी और 9 पाकिस्तानी फौजी मारे।

एयर स्ट्राइक की सफलता को तो पूरी दुनिया ने सेटेलाइट द्वारा देखा। कश्मीर से धारा 370 हटाने व शांति की स्थापना कायम रखने में विशेष योगदान दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देशभक्त हिंदू संगठन विवेकानंद यूथ फोरम की स्थापना कीया। उनके इन सब कार्यों के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भीम मिल चुका है। अजीत डोभाल कहते है की मैं इस्लामाबाद जीत सकता हूँ।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...