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Sunday, November 29, 2020

जनेऊ पहनने के अप्रत्यक्ष लाभ जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभप्रद है। Part 2

शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता है। और जनेऊ से हम यही काम करते है उस केन्द्र को हम एक्युप्रेश करते है।

लाभ जो अप्रत्यक्ष है जिसे कम लोग जानते है।
कान के नीचे वाले हिस्से (इयर लोब) की रोजाना पांच मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है। यह टिप पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। अगर भूख कम करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर छोटेवाले हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम लगेगी। यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है। निर्जला व्रत में लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

एक्युप्रेशर की शब्दवली में इसे  point जीवी 20 या डीयू 20
इसका लाभ आप देखे
जीवी 20
कहां : कान के पीछे के झुकाव में। 
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।

इसके अलावा इसके कुछ अन्य लाभ जो क्लीनिकली शुद्ध है।
1. बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से ऐसे स्वप्न नहीं आते।

2. जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने से यह हृदय रोग की संभावना को कम करता है, क्योंकि इससे रक्त संचार सुचारू रूप से संचालित होने लगता है।

3. जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति सफाई नियमों में बंधा होता है। यह सफाई उसे दांत, मुंह, पेट, कृमि, जीवाणुओं के रोगों से बचाती है।

4. जनेऊ को दायें कान पर धारण करने से कान की वह नस दबती है, जिससे मस्तिष्क की कोई सोई हुई तंद्रा कार्य करती है।

5. दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

6. कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है।

7. कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।

दारा सिंह 500 से ज्यादा कुस्तीयां लडे एक भी नही हारा,53 की छाति 6.2 की हाईट और 127 kg वजन।

रुस्तम ए हिंद दारा सिंह रंधावा को उनकी जन्म जयंती
(19 नवंबर 1928 - 12 जुलाई 2012) दारा सिंह रंधावा, कुश्ती का वो खिलाड़ी, जिसने अखाड़े से लेकर रेसलिंग के रिंग तक के अपने सफर में दुनिया भर के करोड़ों लोगों की खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में भी अपना नाम कमाया और साथ ही साथ राजनीति में भी अपने पैर रखने से न चूके।

एक पहलवान
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में अमृतसर के धर्मुचक्क नामक गांव में एक जाट जमींदार परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से खेतिहर पृष्ठभूमि का ही था। बहुत ही कम उम्र में सिंह को उनके परिवार ने स्कूल से निकलवाकर खेतों में काम करने के लिए लगा दिया। बचपन में ही उनकी शादी उनसे उम्र में बड़ी बचनो कौर से करवा दी गयी जिनको सिंह ने बाद में तलाक़ दिया और 1961 में सुरजीत कौर से शादी रचाई। दारा सिंह 1947 में सिंगापुर गए जहां उन्होंने एक ड्रम निर्माण करने वाली मिल में छोटी मोटी नौकरी की। सिंगापुर में ही वे हरनाम सिंह से मिले जो उनके गुरु बने और 6 फुट 2 इंच लंबे दारा सिंह को रेसलिंग की दुनिया में ले भी गए। 1954 में सिंह ने टाइगर जोगिन्दर सिंह को हरा कर रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब जीता। उन्होंने 1959 के राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियनशिप भी जीती।
इसके बाद दारा सिंह प्रोफेशनल रेसलिंग में आ गए। अपनी लगभग 500 लड़ाइयों में दारा सिंह ने कई चैंपियनशिप जीतीं। सिंह ने कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को पटखनी दी जिनमें ऑस्ट्रेलिया के विख्यात रेसलर किंग_कांग और 1956 के वर्ल्ड चैंपियन अमरीकी रेसलर लू_थेज का नाम भी शामिल है। 1983 में सिंह ने रेसलिंग से अपनी रिटायरमेंट घोषित कर दी।

2012 में दिल के दौडा पड़ने से उनकी अकस्मात मृत्यु हो गई। मृत्यु के छह साल बाद 2018 में ही वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट ने दारा सिंह को अपने हॉल ऑफ़ फेम में जगह दी।
भारत के हीमैन
दारा सिंह का मज़बूत शरीर उनको भारत का ‘पहला एक्शन हीरो’ और देश का पहला ‘ही-मैन’ बनाने में बहुत काम आया। दिलीप कुमार और मधुबाला की स्टार कास्ट वाली फिल्म संगदिल में सपोर्टिंग रोल से एक्टिंग शुरू करने के बाद दारा सिंह खुद ही फिल्मों की एक श्रेणी बन गए। ऐसी फिल्मों की शुरुआत उन्होंने 1962 में किंग कांग से की जिसको वे कथित तौर पर जबरदस्ती की गयी फिल्म बुलाते थे।

अपने पेशे की शुरुआत के लगभग दो दशकों तक दारा सिंह एक्शन हीरो के रोल में ही लीड पर छाए रहे। रुस्तम-ए-बगदाद(1963), फौलाद(1963), हर्क्युलेस (1964), सिकंदर-ए-आज़म(1965) और रुस्तम-ए-हिन्द (1965) आदी कुछ उदाहरण हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कई सारी बी-ग्रेड फिल्मों में काम करने के बाद दारा सिंह ने 1970 में कुछ हटकर करने की चाहत में फिल्म नानक दुख्या सब संसार का निर्देशन किया और एक्टिंग भी की जो 1947 के बाद के बंटवारे के बाद हुई त्रासदियों पर आधारित थी।

सिंह ने कई टीवी शो, जिसमें हद कर दी आपने और क्या होगा निम्मो का शामिल हैं, में भी काम किया. लेकिन उनको 1987-88 के रामानंद सागर के मशहूर शो रामायण में हनुमान का किरदार निभाने के लिए सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई। सिंह ने कई बॉलीवुड फिल्मों में स्पेशल किरदार भी निभाया। उनके सब-रोल में सबसे महत्त्वपूर्ण राज कपूर की मेरा नाम जोकर (1970) रही। इसके अलावा उन्होंने अजूबा(1991), दिल्लगी(1999) और कल हो न हो (2003) में भी स्पेशल किरदार निभाया। 2006 की ब्लॉकबस्टर जब वी मेट उनकी आखिरी बॉलीवुड मूवी थी जिसमें उन्होंने करीना कपूर के दादा होने का किरदार निभाया।

राजनेता
हालांकि दारा सिंह ज़्यादातर तो एक रेसलर व अभिनेता ही थे लेकिन उन्होंने राजनीति में भी काम किया भले ही ज़्यादा नहीं। सिंह 1998 में भाजपा में शामिल हुए। 2003 में वे खेल श्रेणी से राज्य सभा के पहले चुने गए सांसद थे। 2009 तक वे राज्य सभा के सांसद रहे। अखिल भारतीय जाट समाज और बॉम्बे जाट समाज में उन्होंने बतौर अध्यक्ष काम भी किया।

मृत्यु
लंबी बीमारी से जूझते हुए उन्होंने 12 जुलाई 2012 सुबह 7.30 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं। रुस्तम-ए हिन्द दारा सिंह के स्वास्थ्य के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा था लेकिन कोकिला बेन अस्पताल के डॉक्टरों के लाखों प्रयासों के बाद भी दारा सिंह अपनी मृत्यु को टाल नहीं पाए।

जानिए भगवान शिव के 108 नामों का अर्थ।

भगवान भोलेनाथ को कई नामों से जाना जाता है, जैसे शिव, शंकर, भोलेनाथ, नीलकंठ, कैलाशपति, दीनानाथ आदी लेकिन क्या आपको पता है महादेव के हर नाम के पीछे का अर्थ? आइए जानते है भगवान शिव 108 नामों का सनातन संस्कृति के अनुसार अर्थ।

01 शिव अर्थात जो कल्याण स्वरूप।
02 महेश्वर अर्थात जो माया के अधीश्वर।
03 शम्भू अर्थात जो आनंद स्वरूप वाले।
04 पिनाकी अर्थात जो पिनाक धनुष धारण करने वाले।
05 शशिशेखर अर्थात जो सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले।
06 वामदेव अर्थात जो अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले।
07 विरूपाक्ष अर्थात जो भौंडी आँख वाले।
08 कपर्दी अर्थात जो जटाजूट धारण करने वाले।
09 नीललोहित अर्थात जो नीले और लाल रंग वाले।
10 शंकर अर्थात जो सबका कल्याण करने वाले।

11 शूलपाणी अर्थात जो हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले।
12 खटवांगी अर्थात जो खटिया का एक पाया रखने वाले।
13 विष्णुवल्लभ अर्थात जो भगवान विष्णु के अतिप्रेमी।
14 शिपिविष्ट अर्थात जो सितुहा में प्रवेश करने वाले।
15 अंबिकानाथ अर्थात जो भगवति के पति।
16 श्रीकण्ठ अर्थात जो सुंदर कण्ठ वाले।
17 भक्तवत्सल अर्थात जो भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले।
18 भव अर्थात जो संसार के रूप में प्रकट होने वाले।
19 शर्व अर्थात जो कष्टों को नष्ट करने वाले।
20 त्रिलोकेश अर्थात जो तीनों लोकों के स्वामी।


21 शितिकण्ठ अर्थात जो सफेद कण्ठ वाले।
22 शिवाप्रिय अर्थात जो पार्वती के प्रिय।
23 उग्र अर्थात जो अत्यंत उग्र रूप वाले।
24 कपाली अर्थात जो कपाल धारण करने वाले।
25 कामारी अर्थात जो कामदेव के शत्रुअंधकार।
26 सुरसूदन अर्थात जो अंधक दैत्य को मारने वाले।
27 गंगाधर अर्थात जो गंगा जी को धारण करने वाले।
28 ललाटाक्ष अर्थात जो ललाट में आँख वाले।
29 कालकाल अर्थात जो काल के भी काल।
30 कृपानिधि अर्थात जो करूणा की खान।

31 भीम अर्थात जो भयंकर रूप वाले।
32 परशुहस्त अर्थात जो हाथ में फरसा धारण करने वाले।
33 मृगपाणी अर्थात जो हाथ में हिरण धारण करने वाले।
34 जटाधर अर्थात जो जटा रखने वाले।
35 कैलाशवासी अर्थात जो कैलाश के निवासी।
36 कवची अर्थात जो कवच धारण करने वाले।
37 कठोर अर्थात जो अत्यन्त मजबूत देह वाले।
38 त्रिपुरांतक अर्थात जो त्रिपुरासुर को मारने वाले।
39 वृषांक अर्थात जो बैल के चिह्न वाली झंडा वाले।
40 वृषभारूढ़ अर्थात जो बैल की सवारी वाले।

41भस्मोद्धूलितविग्रह अर्थात जो सारे शरीर में भस्म लगाने वाले।
42 सामप्रिय अर्थात जो सामगान से प्रेम करने वाले।
43 स्वरमयी अर्थात जो सातों स्वरों में निवास करने वाले।
44 त्रयीमूर्ति अर्थात जो वेदरूपी विग्रह करने वाले।
45 अनीश्वर अर्थात जो जिसका और कोई मालिक नहीं है।
46 सर्वज्ञ अर्थात जो सब कुछ जानने वाले।
47 परमात्मा अर्थात जो सबका अपना आपा।
48 सोमसूर्याग्निलोचन अर्थात जो चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले।
49 हवि अर्थात जो आहूति रूपी द्रव्य वाले।
50 यज्ञमय अर्थात जो यज्ञस्वरूप वाले।

51 सोम अर्थात जो उमा के सहित रूप वाले।
52 पंचवक्त्र अर्थात जो पांच मुख वाले।
53 सदाशिव अर्थात जो नित्य कल्याण रूप वाल।
54 विश्वेश्वर अर्थात जो सारे विश्व के ईश्वर।
55 वीरभद्र अर्थात जो बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले।
56 गणनाथ अर्थात जो गणों के स्वामी।
57 प्रजापति अर्थात जो प्रजाओं का पालन करने वाले।
58 हिरण्यरेता अर्थात जो स्वर्ण तेज वाले।
59 दुर्धुर्ष अर्थात जो किसी से नहीं दबने वाले।
60 गिरीश अर्थात जो पहाड़ों के मालिक।

61 गिरिश अर्थात जो कैलाश पर्वत पर सोने वाले।
62 अनघ अर्थात जो पापरहित।
63 भुजंगभूषण अर्थात जो साँप के आभूषण वाले।
64 भर्ग अर्थात जो पापों को भूंज देने वाले।
65 गिरिधन्वा अर्थात जो मेरू पर्वत को धनुष ब��ाने वाले।
66 गिरिप्रिय अर्थात जो पर्वत प्रेमी।
67 कृत्तिवासा अर्थात जो गजचर्म पहनने वाले।
68 पुराराति अर्थात जो पुरों का नाश करने वाले।
69 भगवान् अर्थात जो सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न।
70 प्रमथाधिप अर्थात जो प्रमथगणों के अधिपति।

71 मृत्युंजय अर्थात जो मृत्यु को जीतने वाले।
72 सूक्ष्मतनु अर्थात जो सूक्ष्म शरीर वाले।
73 जगद्व्यापी अर्थात जो जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले।
74 जगद्गुरू अर्थात जो जगत् के गुरू।
75 व्योमकेश अर्थात जो आकाश रूपी बाल वाले।
76 महासेनजनक अर्थात जो कार्तिकेय के पिता।
77 चारुविक्रम अर्थात जो सुन्दर पराक्रम वाले।
78 रूद्र अर्थात जो भक्तों के दुख देखकर रोने वाले।
79 भूतपति अर्थात जो भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी।
80 स्थाणु अर्थात जो स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले।

81 अहिर्बुध्न्य अर्थात जो कुण्डलिनी को धारण करने वाले।
82 दिगम्बर अर्थात जो नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले।
83 अष्टमूर्ति अर्थात जो आठ रूप वाले।
84 अनेकात्मा अर्थात जो अनेक रूप धारण करने वाले।
85 सात्त्विक अर्थात जो सत्व गुण वाले।
86 शुद्धविग्रह अर्थात जो शुद्धमूर्ति वाले।
87 शाश्वत अर्थात जो नित्य रहने वाले।
88 खण्डपरशु अर्थात जो टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले।
89 अज अर्थात जो जन्म रहित।
90 पाशविमोचन अर्थात जो बंधन से छुड़ाने वाले।

91 मृड अर्थात जो सुखस्वरूप वाले।
92 पशुपति अर्थात जो पशुओं के मालिक।
93 देव अर्थात जो स्वयं प्रकाश रूप।
94 महादेव अर्थात जो देवों के भी देव।
95 अव्यय अर्थात जो खर्च होने पर भी न घटने वाले।
96 हरि अर्थात जो विष्णुस्वरूप।
97 पूषदन्तभित् अर्थात जो पूषा के दांत उखाड़ने वाले।
98 अव्यग्र अर्थात जो कभी भी व्यथित न होने वाले।
99 दक्षाध्वरहर अर्थात जो दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाल।
100 हर अर्थात जो पापों व तापों को हरने वाले।

101 भगनेत्रभिद् अर्थात जो भग देवता की आंख फोड़ने वाले।
102 अव्यक्त अर्थात जो इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले।
103 सहस्राक्ष अर्थात जो अनंत आँख वाले।
104 सहस्रपाद अर्थात जो अनंत पैर वाले।
105 अपवर्गप्रद अर्थात जो कैवल्य मोक्ष देने वाले।
106 अनंत अर्थात जो देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित।
107 तारक अर्थात जो सबको तारने वाला।
108 परमेश्वर अर्थात जो सबसे परे ईश्वर।

हर हर महादेव……

आखिर क्यों अहमद पटेल ने कहा था, 'सारे राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे'

कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) को कुछ महीने पहले जब अपने राजनीतिक अनुभवों को लेकर संस्मरण लिखने के बारे में सलाह दी गई थी तो उन्होंने कहा था कि ‘राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे’। अहमद पटेल का 25 नवंबर बुधवार को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।


'राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे'
लेखक और पत्रकार रशीद किदवई (Rasheed Kidwai) के मुताबिक, वह लॉकडाउन के बाद पटेल से उनके आवास ‘23, मदर टेरेसा क्रेसेंट मार्ग’ पर मिले थे। किदवई ने बताया, ‘हम कांग्रेस (Congress) और राजनीति के बारे में खुलकर बातें कर रहे थे। मैंने उनसे कहा कि आप अपने अनुभवों को लेकर संस्मरण क्यों नहीं लिखते। इस पर उनका जवाब था कि राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे।

'संकटमोचक होने के साथ सहमति बनाने वाले नेता'
'24 अकबर रोड ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपुल बिहाइंड द फाल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस' नामक पुस्तक के लेखक किदवई का कहना है कि पटेल बहुत जल्द चले गए। किदवई का कहना है कि पटेल एक संकटमोचक होने के साथ सहमति बनाने वाले नेता थे। इसकी ताजा मिसाल महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन करना जबकि अतीत में उद्धव ठाकरे की पाटी ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे।

उन्होंने कहा कि पटेल धार्मिक व्यक्ति थे और हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए अलग मस्जिद में जाते थे क्योंकि अगर नियमित रूप से एक ही मस्जिद में जाते तो बाहर कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की कतार लग जाती।

माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते।

माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?" राम गंभीर हुए। कहा, "भ्रम में न पड़ो माता! राम क्या रावण का वध करने आया है, अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने वाण से कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस घना वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है माते, ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था। जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं। यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।

 
राम वन में बस इसलिए आया है ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे तभी वह रामराज्य है। राम वन में इसलिए आया है ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतिक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं।
सबरी एकटक राम को निहारती रहीं। राम ने फिर कहा- " राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता। राम की यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए। राम आया है ताकि भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है।

राम आया है ताकि युगों को सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाय, और खर-दूषणो का घमंड तोड़ा जाय। और राम आया है ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी सबरी माता के आशीर्वाद से जीते जाते हैं।

सबरी की आँखों में जल भर आया था। उसने बात बदलकर कहा- कन्द खाओगे राम?
राम मुस्कुराए, "बिना खाये जाऊंगा भी नहीं माता"
सबरी अपनी कुटिया से झपोली में कन्द ले कर आई और राम के समक्ष रख दिया। राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- मीठे हैं न प्रभु?
यहाँ आ कर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ माते।बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है।
सबरी मुस्कुराईं, बोलीं- "सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो राम"। गुरुदेव ने ठीक कहा था।

कोरोना अपडेट : देश में 24 घंटे में आए 44 हजार नए कोरोना केस, 500 से ज्यादा मौत


देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 93 लाख 92 हजार 919 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर देश में 44 हजार 489 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इस दौरान 36 हजार 367 लोग ठीक हुए। 524 मरीजों की मौत हो गई। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 1 लाख 35 हजार 223 हो गई है, जबकि 86 लाख 79 हजार 138 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 4 लाख 52 हजार 344 मरीजों का इलाज चल रहा है।


26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से कम हैं और 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से ज्यादा हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, देश में 25 नवंबर तक कोरोना वायरस के लिए कुल 13 करोड़ 55 लाख सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 10 लाख सैंपल कल टेस्ट किए गए। पॉजिटिविटी रेट सात फीसदी है।

मृत्यु दर और रिकवरी रेट।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के एक्टिव केस, मृत्यु दर और रिकवरी रेट का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। राहत की बात है कि मृत्यु दर और एक्टिव केस रेट में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही भारत में रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.46 फीसदी है जबकि रिकवरी रेट 93.72 फीसदी है। एक्टिव केस 5 फीसदी से भी कम है।
सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का सातवां स्थान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। रिकवरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में हुई है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर है।

शिखंडी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए भीष्म पितामा, जाने महाभारत की घटना।


महाभारत युद्ध में कई किरदार है जिन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई। लेकिन शिखंडी को इस युद्ध का इक्का माना जा सकता है। शिखंडी के कारण ही भीष्म पितामह अस्त्र छोड़ मृत्यु की सेज पर लेट गए थे। भीष्म पितामह ने शिखंडी के बारे में दुर्योधन को बताया था कि जिस समय हस्तिनापुर के राजा उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य थे। उस समय उनके विवाह के लिए मैं काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को हर लाया था। लेकिन जब पता चला कि अंबा राजा शाल्व को प्यार करती है, तब अंबा को पूरे सम्मान के साथ राजा शाल्व के पास भेज दिया। वहीं राजा शाल्व ने अंबा को अपनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली।

अंबा की स्थिति के बारे में जब नाना राजर्षि होत्रवाहन को पता चला तो उन्होंने अंबा को परशुरामजी से मिलने के लिए कहा अंबा ने अपने साथ हुई घटना की पूरी जानकारी परशुराम को बताई। तब परशुरामजी ने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। परशुराम को यह बात बहुत खराब लगी और इसके बाद उन्होंने भीष्म से युद्ध किया लेकिन वे भीष्म से पराजित गए। उधर युद्ध समाप्त होने के बाद अंबा भीष्म के सर्वनाश के लिए युमना किनारे तप करने लगती है और तप करते-करते अंबा अपना शरीर त्याग देती है।

अंबा ने शिव से मांगा था भीष्म को पराजित करने का वरदान।
अगले जन्म में अंबा वत्सदेश के राजा के यहां जन्म लेती है। अंबा अपने पूर्वजन्म के बारे में जानती थी। इसलिए भीष्म से बदला लेने के लिए वह पुन: तप करना शुरू कर देती है। इस बार उसके तप से भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहते हैं। तब अंबा भीष्म की पराजय का वरदान मांगती है। भगवान शिव उसे मनचाहा वरदान देते हैं लेकिन अंबा कहती है कि प्रभु कन्या होकर वह भीष्म को कैसे पराजित कर सकती है। इस पर भगवान शिव कहते हैं कि अंबा तुम अगले जन्म में पुन: एक स्त्री के रूप में जन्म लोगी, लेकिन युवा होने पर पुरुष बन जाओगी और भीष्म की मृत्यु का कारण बनोगी।

ऐसा वरदान मिलने पर अंबा ने एक चिता बनाई और भीष्म का वध करने के लिए अग्नि में प्रवेश कर गई। महाभारत काल में अंबा राजा द्रुपद के यहां शिखंडी के रूप में पैदा हुई। एक यक्ष ने शिखंडी की सहायता करने के उद्देश्य से अपना पुरुषत्व उसे दे दिया और उसका स्त्रीत्व स्वयं धारण कर लिया। यक्ष ने शिखंडी से कहा कि जब कार्य पूर्ण हो जाए तो मेरा पुरुषत्व मुझे पुन: लौटा देना  शिखंडी ने उसे ऐसा ही करने का वचन दे दिया

शिखंडी को देख भीष्म पितामह छोड़ दिए शस्त्र।
महाभारत का युद्ध जब आरंभ हुआ तो भीष्म पितामह को हराने के लिए शिखंडी अर्जुन के साथ उसके रथ पर सवार होकर भीष्म पितामह के सामने आ गया। भीष्म पितामह ने स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाने की प्रतिज्ञा की थी। क्योंकि शिखंडी स्त्री से पुरुष बना था, इस वजह से भीष्म ने अपने शस्त्र रख दिए। तभी अर्जुन ने शिखंडी को ढाल बनाकर भीष्म पर तीरों की वर्षा कर दी और भीष्म को पराजित कर दिया। अर्जुन के वाणों से छलनी भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर आ गए। इस प्रकार से शिखंडी भीष्म पितामह की मृत्यु की बड़ी वजह बना।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...