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Wednesday, February 3, 2021

राम मंदिर के लिए दिल खोल कर दान दे रहे भक्त, अब तक खातों में जमा हुए 350 करोड़ रुपये।

अयोध्या: रामनगरी में राम मंदिर निर्माण के लिए भक्तों का खुले मन से सहयोग देखने को मिल रहा हैै। लोग अपनी क्षमता के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि दे रहे हैंं। जानकारी के मुताबिक, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट में 350 करोड़ से ज्यादा की समर्पण निधि पहुंच चुकी है। आपको बता दें, सहयोग राशि जमा करने के लिए ट्रस्ट ने 3 नए खाते खोले थेे। यह बैंक अकाउंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और  बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में हैं। भक्तों द्वारा दी गई राशि इन्हीं खातों में जाती है।


चेक भी क्लीयरिंग के लिए लगे हैं।
गौरतलब है कि मकर संक्रांति से निधि समर्पण अभियान का शुभारंभ किया गया था, जिसके बाद से देश भर से राम भक्त मंदिर निर्माण के लिए अपना सहयोग दे रहे हैं। केवल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में ही सवा सौ करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। बाकी धनराशि भक्तों ने पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में भेजी है। समर्पण निधि अभियान से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी कि अभी करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए के चेक अभी क्लियर नहीं हुए हैं। चेक की धनराशि भी कुछ ही दिन में खातों में जमा हो जाएगी। इसके साथ ही कुल समर्पण निधि में भी खासा बढ़ोतरी होगी।
बनी एक स्पेशल विंग।
बता दें, ट्रस्ट ने एक ऐसी विंग भी गठित की है जो लगातार एक्टिव रह कर अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं और बैंक कर्मियों की समस्याएं सुनती है और उनका समाधान निकालने में मदद करती है।

Tuesday, February 2, 2021

प्रयागराज में सोमवार को गंगा पूजन के साथ शुरू हुआ पंचकोसीय परिक्रमा।

प्रयागराज के संगम तट से सोमवार से पंचकोसीय परिक्रमा का शुरू हो गई। यह परिक्रमा तीन दिन तक चलती है। सोमवार को संगम तट पर 11 बजे पूजन और आरती के साथ पंचकोसीय परिक्रमा की शुरुआत हुई। इसमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री व जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि शामिल हुए हैं। पंचकोसीय परिक्रमा में इस बार दंडी संन्यासी व कीडगंज राम-जानकी मंदिर में किन्नर अखाड़ा भी शामिल हुआ। तीन दिनी परिक्रमा पहले दिन 15 पड़ावों से गुजरी।

संगम तट पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महामंत्री के साथ पूजन में आईजी केपी सिंह, मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी, अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम, अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम, जूना अखाड़े के महंत नारायण गिरि, श्रीमहानिर्वाणी अखाड़े के महंत जमुनादास आदि साधु संत शामिल रहे। यहां पूजन के बाद संतों का काफिला सीधे अक्षयवट पहुंचा। अक्षयवट की छाया में साधु संतों ने पूजन किया और फिर बंधवा बड़े हनुमान मंदिर के दर्शन व पूजन किए। इसके बाद साधु संत मौजगिरि आश्रम में पूजन के लिए गए। यहां से पूजन के लिए कीडगंज प्राचीन राम जानकी मंदिर पहुंचे। यहां पर किन्नर अखाड़े की प्रदेश प्रभारी कौशल्यानंद गिरि, प्रयागराज की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि सहित तमाम लोग यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद यात्रा तमाम पड़ावों से गुजरी। पहले दिन की यात्रा बरखंडी महादेव के पूजन के साथ पूरी हुई।

Anushka Sharma और Virat ने अपनी नन्ही बेटी Vamika से कराया इंट्रोड्यूस, शेयर की फोटो।

नई दुनिया: विराट कोहली (Virat Kohli) और अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) ने अपनी प्यारी सी बेटी की पहली झलक दिखाई है। दोनों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अपनी बेटी की पहली तस्वीर शेयर की है। सोशल मीडिया पर फोटो आते ही वायरल हो गई है। इसी के साथ बेबी गर्ल के नाम का भी ऐलान कर दिया है।


पहली फोटो आई सामने।
फोटो में विराट  (Virat Kohli) और अनुष्का (Anushka Sharma)  बेबी गर्ल को गोद में लिए नजर आ रहे हैं। दोनों की फोटो बेहद प्यारी लग रही है। इस फोटो को पोस्ट करते हुए एक्ट्रेस ने फैंस के नाम एक संदेश भी लिखा है, जिसमें उन्होंने बेटी का नाम वामिका (Vamika Sharma) बताया है।

अनुष्का ने किया प्यार भरा पोस्ट।
अनुष्का (Anushka Sharma)  ने पोस्ट में लिखा, 'हम प्यार से एक-दूसरे के साथ रहे, एक दूसरे के साथ अच्छा वक्त बिताया, लेकिन इस नन्ही वामिका (Vamika Sharma) ने इस साथ को एक नया अंजाम दिया है। आंसू, हंसी, चिंता, आनंद- ये भावनाएं कुछ मिनटों में अनुभव हो गईं। आप सभी को आपकी इच्छाओं, प्रार्थनाओं और अच्छी ऊर्जा के लिए धन्यवाद'।

इस दिन हुआ था बेटी का जन्म।
बता दें, फैंस ने बेटी को अनवी नाम दिया था, लेकिन अब विरुष्का (Virushka) ने बेटी का असल नाम लोगों को बताया है। 11 जनवरी 2021 को विराट-अनुष्का (Virat-Anushka) माता-पिता बने थे। इस बात की जानकारी क्रिकेटर विराट कोहली ने खुद इंस्टाग्राम और ट्विटर पर पोस्ट कर दी थी। विराट कोहली (Virat Kohli) ने ट्वीट कर लिखा था, 'हम दोनों को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आज दोपहर हमारे यहां बेटी हुई है। हम आपके प्यार और दुआओं  के लिए दिल से आभारी हैं। अनुष्का और हमारी बेटी दोनों बिलकुल ठीक है और हमारा यह हमारी खुशकिस्मती है कि हमें जिंदगी का यह चैप्टर एक्सपीरियंस करने के लिए मिला। हम जानते हैं कि आप यह जरूर समझेंगे कि इस वक्त हम सब को थोड़ी प्राइवेसी चाहिए होगी'।

Monday, February 1, 2021

Delhi Police को मिला नया हथियार, अब दंगाइयों कि खैर नहीं।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने दंगाइयों का सामना करने के लिए अब खास हथियार आ गया है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग ने विशेष ऑर्डर जारी करते हुए स्टील की लाठियां (Steel Lathi) बनवाई हैं। जो तलवार से हमला करने वाले दंगाइयों से निपटने में कारगर साबित होगी। अभी फिलहाल ऐसी स्टील की सिर्फ 50 लाठियां डिलीवर हुई हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। गौरतलब है कि लाल किला हिंसा के दौरान 26 जनवरी को एसएचओ पीसी यादव पर जब तलवार से हमला हुआ था तब ये लाठी होती तो शायद उन्हें इतनी चोट नहीं आती।


26 जनवरी को महसूस हुई थी जरूरत।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली की सीमा पर बैठे प्रदर्शनकारियों जब 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) निकाल रहे थे तब सैकड़ों दंगाइयों ने पहले से तय ट्रैक्टर मार्च के रूट को तोड़ते हुए दिल्ली की सीमा के भीतर आकर राजधानी को बंधक बनाने की कोशिश की थी। गणतंत्र दिवस पर लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली उस हिंसा के दौरान बलवा करने वाले दंगाइयों ने लाल क़िले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहरा दिया था। उसी दिन कई जगह लोगों ने तलवार लहरा कर पुलिस वालों पर हमला करने की कोशिश की। पुलिस पर तलवार से हमला हुआ तो लकड़ी की लाठियां काम नहीं आईं ऐसे में नई स्टील की लाठी न सिर्फ तलवार का वार रोकेगी बल्कि दंगाइयों को सही से सबक भी सिखाएगी।
घायल पुलिसकर्मियों को नहीं मिली अस्पताल से छुट्टी।
दिल्ली (Delhi) में जबरन दाखिल होने वाले दंगाइयों के हाथों में तलवार, फरसा, लोहे की रॉड जैसे कई हथियार थे। जब पुलिसकर्मियों ने इन्हें रोका तो उन पर ऐसे ही धारदार हथियारों से हमला किया गया। दंगाइयों ने पुलिस पर पथराव भी किया था। उस हिंसा में करीब 384 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी लाल किले में हुई वारदात में घायल हुए। वहां ऑन ड्यूटी मौजूद एसएचओ पीसी यादव पर भी तलवार से हमला हुआ था। कई पुलिसकर्मी अभी तक अस्पताल में भर्ती हैं।
उत्तर पूर्वी और पूर्वी जिला पुलिस को मिली खेप।
पुलिस अधिकारी ने बताया ऐसे दंगाइयों से निपटने के लिए ही स्टील की लाठी बनवाई गई है। ऐसी करीब 30 लाठियां उत्तर पूर्वी दिल्ली की शाहदरा (Shahdara) पुलिस को दी गई हैं। वहीं 20 लाठियां पूर्वी जिला पुलिस को भेजी गई हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल तब किया जाएगा जब हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हों और दंगाइयों के पास तलवार जैसे घातक हथियार हों। इस दौरान 29 जनवरी को भी सिंघु बॉर्डर पर एसएचओ अलीपुर प्रदीप पालीवाल पर भी तलवार से हमला किया था। उस दौरान अगर ऐसी स्टील की लाठियां होती तो तलवार वाले दंगाइयों पर आसानी से काबू पाया जा सकता था।

"भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाते शंख से जल"।


शिवपुराण के अनुसार शंखचूड नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ। शंखचूड दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दैत्यराज दंभ को जब बहुत समय तक कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई तब उसने भगवान विष्णु के लिए कठिन तपस्या की। तप से प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट हुए। विष्णुजी ने वर मांगने के लिए कहा तब दंभ ने तीनों लोको के लिए अजेय एक महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा। 

श्रीहरि तथास्तु बोलकर अंतर्ध्यान हो गए। तब दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंखचुड ने पुष्कर में ब्रह्माजी के निमित्त घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने वर मांगने के लिए कहा तब शंखचूड़ ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रह्माजी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्ण कवच दिया। साथ ही ब्रह्मा ने शंखचूड़ को धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने की आज्ञा दी। फिर वे अंतध्र्यान हो गए। ब्रह्मा की आज्ञा से तुलसी और शंखचूड का विवाह हो गया। ब्रह्मा और विष्णु के वरदान के मद में चूर दैत्यराज शंखचूड़ ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया। देवताओं ने त्रस्त होकर विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अत: उन्होंने शिव से प्रार्थना की। 

तब शिव ने देवताओं के दुख दूर करने का निश्चय किया और वे चल दिए। परंतु श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की वजह से शिवजी भी उसका वध करने में सफल नहीं हो पा रहे थे तब विष्णु ने ब्राह्मण रूप बनाकर दैत्यराज से उसका श्रीकृष्णकवच दान में ले लिया। इसके बाद शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी के शील का हरण कर लिया। 

अब शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशुल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अत: लक्ष्मी-विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है। परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।

जाने "शिव को महादेव बोलने के पीछे क्या कारण है"।

भगवान भोलेनाथ को कई नामों से जाना जाता है जैसे शिव, शंकर, भोलेनाथ, नीलकंठ, कैलाशपति, दीनानाथ आदि। उनको कई उपाधियाँ और नामों से संबोधित किया जाता है और हर नाम के पीछे कोई ना कोई कहानी और चमत्कार है। इन्ही नामों में से एक है।

महादेव।
हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार केवल शिवजी को ही महादेव नाम से पुकारा जाता है। अन्य किसी देवता को इस नाम की संज्ञा नहीं दी गई है।

शिवजी को महादेव क्यों कहा जाता है?
इसका जवाब शिव पुराण में मिलता है। कहा जाता है कि शिव ही आदि और अनंत है। इस सृष्टि के निर्माण से पहले भी शिव जी है और इस सृष्टि के ख़त्म हो जाने के बाद भी वे ही रहेंगे। इसका मतलब यही है कि इस सृष्टि पर जो भी है वो शिव ही है। हिन्दू धर्म के अनुसार त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश यह तीन मुख्य देवता है। और यह त्रिदेव एक ही माने जाते है।

वेद-पुराण के अनुसार शिवजी से ही भगवान विष्णु की उत्पत्ति हुई है, और भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए है। तत्पश्चात भगवान शिव की आज्ञानुसार ही ब्रह्मा जी ने इस सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण किया है और भगवान विष्णु इस ब्रह्मांड का पालन पोषण करते आए है। कहा जाता है कि इन त्रिदेव मे से महेश अर्थात शिव ही कलयुग के बाद इस सृष्टि का संहार करेंगे, ऐसा वेद और पुराणों में उल्लेखित है। अतः शिव जी ही महाशक्तिशाली है और संपूर्ण ब्रह्मांड उन्ही के इशारे मात्र से चल रहा है। इसलिए भोलेनाथ को महादेव कहा जाता है।

गणतंत्र दिवस परेडः उत्तर प्रदेश ने जीता सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार।

नई दुनिया: इस साल गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाली उत्तर प्रदेश की झांकी ने सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार जीता है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने बृहस्पतिवार को उसे पुरस्कार दिया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस साल की परेड में कुल 32 झांकियों ने हिस्सा लिया था जिनमें 17 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की थी जबकि नौ केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और अर्द्धसैनिक बलों एवं छह रक्षा मंत्रालय की थीं।

उत्तर प्रदेश की झांकी का विषय ' अयोध्याः उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत' पर थी। इसमें प्राचीन पवित्र नगर अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत, राम मंदिर का प्रतिचित्र और रामायण की विभिन्न कहानियों का प्रदर्शन किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "त्रिपुरा की झांकी दूसरी सर्वश्रेष्ठ झांकी रही। इसने सामाजिक-आर्थिक मापदंडों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पर्यावरण अनुकूल परंपरा को बढ़ावा दिया गया है"।
बयान में बताया गया है कि उत्तराखंड की झांकी तीसरे स्थान पर रही।

इसका विषय 'देव भूमि--देवताओं की भूमि' थी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की झांकी को विशेष पुरस्कार दिया गया है। यह झांकी 'अमर जवान' की थीम पर थी और इसमें सशस्त्र बलों के शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी गई है। बयान में बताया गया है कि रिजीजू ने सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक प्रस्तुति का पुरस्कार माउंट आबू पब्लिक स्कूल और दिल्ली के रोहिणी के विद्या भारती स्कूल को दिया है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...