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Friday, September 17, 2021

Vishwakarma Puja 2021: बिजनेस में चाहते हैं तरक्‍की तो आज विश्‍वकर्मा जयंती पर न करें ये गलती, हो सकता है बड़ा नुकसान।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे जैसे थी। फिर ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया। ऐसे में जब शेषनाग हिलते थे तो उससे धरती को नुकसान होता था। ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा तो भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया। तब से ही भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है।

विश्‍वकर्मा जयंती के दिन व्‍यापारियों, इंजीनियरों और औजारों-मशीनों से जुड़े लोगों को आज अपने औजारों-मशीनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन उन्‍हें आराम दें। विश्‍वकर्मा पूजा के दिन अपने मशीनों-औजारों की साफ-सफाई करें। ऐसा न करने से वे बार-बार खराब होती हैं और धन-हानि कराती हैं।

विश्‍वकर्मा जयंती के दिन मशीनों-औजारों की पूजा करें। उन पर हल्दी अक्षत और रोली लगाएं। भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। धूप दीप से आरती करें। ये सारी चीजें उन हथियारों पर भी चढ़ाएं जिनकी पूजा करनी है। पूजा के आखिर में भगवान विश्वकर्मा को नमन करें। सभी लोगों को प्रसाद बांटें।

गाड़ियों के बिना जिंदगी बहुत मुश्किल होती है. अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली, साइकिल, स्‍कूटर, कार, बाइक या बिजनेस में उपयोग होने वाली गाड़ियों की आज पूजा जरूर करें।

Thursday, September 16, 2021

जाने क्यों, ज्योतिष और पंडित हमे सुंदरकाण्ड का पाठ करने की सलाह देते है।

हिंदू धर्म में ऐसे तो सभी देवी देवताओं के पूजा पाठ करने से लाभ प्राप्त होता हैं। लेकिन किसी विकट परिस्थितियों में हम अपने प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी को ही याद करते है। हम जानते हैं कि श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी जब श्री राम प्रभु के विकट परिस्थिति से बाहर निकल दिए थे, तो अगर हम उनकी चरण बंदना करे तो हमे भी विकट परिस्थिति से बाहर अवश्य निकलेंगे। आज हम प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी के सबसे प्रिय अध्याय सुन्दरकाण्ड की विशेषताएं बताएंगे। जब हम किसी खुशी या विकट परिस्थिति में अपने प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी का सुंदरकाण्ड के पाठ करेंगे तो श्री हनुमान जी अवश्य प्रसन्न होंगे और हमे मन चाहा फल और विकट परिस्थितियों से जरूर बाहर निकलेंगे। आज हम श्री हनुमान जी का सबसे प्रिय सुंदरकाण्ड की विशेषताएं बताएंगे। आखिर क्यों सुंदरकाण्ड मानव जीवन के लिए जरूरी है। सुंदरकाण्ड सें जुङी 5 अहम।

1:-सुंदरकाणड का नाम सुंदरकाणड क्यों रखा गया? 
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें। पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था। दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थेंं। और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाणड रखा गया है।

2:- शुभ अवसर और विकट परिस्थितियों में सुंदरकाणड का पाठ करने का अनोखा महत्व।
शुभ और विकट परिस्थितियों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाणड का पाठ किया जाता हैं। शुभ कार्यों की शुरूआत सें पहलें सुंदरकाणड का पाठ करनें का विशेष महत्व माना गया है। जबकि किसी व्यक्ति कें जीवन में ज्यादा परेशानीयाँ हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हैं, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो तो सुंदरकाणड कें पाठ सें शुभ फल प्राप्त होने लग जाते है, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकाणड करनें की सलाह देते हैं।

3:- सुंदरकाणड का पाठ विषेश रूप सें क्यों किया जाता हैं।
माना जाता हैं कि सुंदरकाणड कें पाठ सें हनुमानजी प्रशन्न होतें है। सुंदरकाणड कें पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती हैं। जो लोग नियमित रूप सें सुंदरकाणड का पाठ करतें हैं, उनके सभी दुख दुर हो जातें हैं, इस काण्ड में हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल सें सीता की खोज की हैं। इसी वजह सें सुंदरकाणड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता हैं।

4:- सुंदरकाणड सें मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ।
वास्तव में श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाणड की कथा सबसे अलग हैं, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम कें गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती हैं, सुंदरकाणड एक मात्र ऐसा अध्याय हैं जो श्रीराम कें भक्त हनुमान जी  की विजय का काण्ड हैं। मनोवैज्ञानिक नजरिए सें देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड हैं।

Tuesday, September 14, 2021

साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू 3 साल बड़ी लड़की पर हुए थे फिदा और शादी के लिए किया था इजहार।

नई दुनिया: साउथ फिल्म के सुपरस्टार महेश बाबू ने 10 फरवरी 2005 में बॉलीवुड अभिनेत्री नम्रता शिरोडकर से शादी कर सबको सरप्राइज कर दिया था। फिल्मो में काम करने वाले दोनों स्टार्स की लव स्टोरी भी पूरी फ़िल्मी है। आज के इस लेख में हम आपको महेश बाबू और नम्रता शिरोडकर की प्रेम कहानी पहली नजर में प्यार हुआ और फिर मुलाकातो से कैसे बात शादी तक पहुंची।

शायद कम ही लोग जानते हैं कि नम्रता पति महेश बाबू से 3 साल बड़ी है लेकिन उनके प्यार के बीच कभी भी उम्र आड़े नहीं आई। नम्रता ने सलमान खान और ट्विंकल खन्ना के साथ फिल्म जब प्यार किसी से होता है से डेब्यू किया था और इसके बाद उन्होंने तेलुगु फिल्म वामसी साइन की थी, जिसमें उनके साथ लीड रोल में महेश बाबू थे। साल 2000 में इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान नम्रता और महेश बाबू की पहली मुलाकात हुई थी। पहली बार में ये दोनों एक दूसरे को काफी पसंद करने लगे थे। फिल्म की शूटिंग खत्म होने तक दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे।

शुरुआत से ही महेश और नम्रता एक दूसरे के लिए काफी सीरियस थे लेकिम मीडिया की नजरों से बचना चाहते थे। यहां तक कि महेश ने अपने रिश्ते के बारे में अपने घरवालों तक को नहीं बताया था। पांच साल तक एक-दूजे को डेट करने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया था। लेकिन शादी करने से पहले महेश बाबू ने नम्रता के सामने एक शर्त रखी थी कि वो शादी के बाद फिल्मों में काम करना छोड़ देगी और घर-परिवार पर ध्यान देगी। नम्रता को भी इस बात से कोई एतराज नहीं है। इसकी वजह थी उनका फ्लॉप करियर।

शादी के बाद नम्रता अपने बच्चों की परवरिश में बिजी हो गईं लेकिन महेश अब भी फिल्मों में एक्टिव है। दोनों के 2 बच्चे गौतम और सितारा है। बता दें कि 1993 में मिस इंडिया का ताज जीतने के बाद नम्रता सुर्खियों में आई थीं। वो मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भी पांचवे नंबर पर रही थीं। ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीतने और कुछ साल मॉडलिंग करने के बाद नम्रता ने फिल्मों का रुख किया था। नम्रता ने अपने करियर में मेरे दो अनमोल रतन, हीरो हिंदुस्तानी, कच्चे धागे, पुकार, ‘वास्तव’, अलबेला, तेरा मेरा साथ रहे, मसीहा, प्राण जाए पर शान न जाए, तहजीब, चरस, इंसाफ और ‘LOC कारगिल’ जैसी फिल्मों में काम किया।

महेश बाबू साउथ के सुपरस्टार हैं। 1999 में बतौर लीड एक्टर ‘राजा कुमारुदु’ से डेब्यू किया। इस फिल्म में उनकी एक्ट्रेस प्रिटी जिंटा थी। इसके बाद उन्होंने ‘मुरारी’ (2001), ‘बॉबी’ (2002), ‘ओक्काडू’ (2003), ‘अर्जुन’ (2004), ‘पोकिरी’ (2006), ‘बिजनेसमैन’ (2012), ‘आगदु’ (2014), ‘ब्रह्मोत्सवम’ (2016), स्पाइडर, भारत अने नेनु, महर्षि, सरिलेरू नीकेवरू सहित कई फिल्मों में काम किया है।

Saturday, September 11, 2021

क्या आपका भी मोबाइल Screen Guard लगाने के बाद दिक्कत कर रहा है। पहले जरूर जान लें दोबारा नहीं करेंगे गलती।

नई दुनिया: नया फोन खरीदते ही ज्यादातर लोग उस पर टेंपर्ड (Tempered Glass) लगवा लेते हैं ताकि फोन की स्क्रीन को प्रोटेक्ट किया जा सके। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो ये जानते हैं कि स्क्रीन गार्ड मोबाइल को नुकसान पहुंचाता है। इससे न सिर्फ कॉलिंग में परेशानी आती है बल्कि यूजर्स को ये अहसास होने लगता है कि उनका फोन खराब हो गया है। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है और इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।

ब्लॉक हो जाते हैं सेंसर।
दरअसल, नए स्मार्टफोन्स में मॉडर्न टच डिस्प्ले दिया जा रहा है, जिसके नीचे की तरफ Ambient Light सेंसर और Proximity सेंसर मौजूद होते हैं। लेकिन जब हम अपने फोन पर स्क्रीनगार्ड लगा लेते हैं तो ये सेंसर ब्लॉक हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं। इस कारण फोन कॉल के दौरान स्क्रीन लाइट परेशान करने लगती है, और बात करते करते आपके फोन में कोई दूसरी ऐप खुल जाती है। इसके अलावा ऑन-स्क्रीन फिंगरप्रिंट होने पर स्मार्टफोन अनलॉक करने में दिक्कत आने लगती है। फोन देर में अनलॉक होता है।

इस परेशानी से कैसे निकलें?
अब कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसी स्थिति में क्या करें जिससे फोन के सेंसर भी ब्लॉक न हों और डिस्प्ले भी प्रोटेक्टेड रहे? तो जान लीजिए कि ये दिक्कत ज्यादातर उन स्मार्टफोन्स में आती है जिस पर हल्की क्वालिटी का स्क्रीनगार्ड लगा होता है। भारत में इसकी संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए एक्सपर्ट्स हमेशा ही एक अच्छी कंपनी का प्रोटेक्टर इस्तेमाल करने के सलाह देते हैं। अब आप जब भी फोन खरीदें तो उसी कंपनी का स्क्रीन प्रोटेक्टर भी खरीद लें। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियों को पता होता है कि उन्होंने सेंसर कहां लगाया है। इसे ध्यान में रखकर ही कंपनियां प्रोटेक्टर बनाती हैं।

कैसे काम करते हैं ये सेंसर।
जब आप धूप में जाते हैं तो रोशनी के मुताबिक आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन लाइट ऑटेमैटिक एडजस्ट हो जाती है। ऐसा Ambient Light सेंसर के कारण होता है। वहीं, अगर फोन किसी कम रोशनी वाली जगह है कि तो अपने आप फोन की लाइट कम हो जाती है। Proximity Mobile सेंसर की बात करें तो जब भी आप फोन को अपने कान के पास लेकर जाते हैं तो उसकी लाइट बंद हो जाती है। यह आपने नोटिस जरूर किया होगा लेकिन आपको यह पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों होता है। यह इसी सेंसर के चलते होता है।

Friday, September 10, 2021

शिखर धवन से पहले इन क्रिकेटरों ने अपनी पत्नी को तलाक दिया तलाक ,एक की पत्नी ने टीम के कप्तान से की थी शादी।

नई दुनिया: दोस्तो हमारे देश में अन्य खेल प्रतियोगिताओं की अपेक्षा क्रिकेट को एक अलग ही पहचान मिली है। वहीं अगर बात की जाये क्रिकेट के खिलाड़ियों की तो ऐसे कई खिलाड़ी है, जो अपने बेहतरीन खेल प्रदर्शन के दम पर लोगों के दिलों में एक अलग ही पहचान बना ली है। आपको बता दें कि क्रिकेटर्स किसी न किसी वजह से सोशल मीडिया पर हमेशा ही चर्चा का विषय बने रहे है। इसी क्रम में आज हम कुछ ऐसे खिलाड़ियों के संबंध में बताने जा रहे है, जिन्होनें दिग्गज खिलाड़ी शिखर धवन से पहले अपनी पत्नी को तालाक दे दिया था।

शिखर धवन और उनकी पत्नी आयशा मुखर्जी का तलाक : आपकी जानकारी के लिये बताते चले कि शिखर धवन और उनकी पत्नी आयशा मुखर्जी के तलाक की खबरें मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। धवन और आयशा की लव मैरिज हुई थी लेकिन यह सफर सिर्फ 9 साल तक चल पाया।  आयशा ने इंस्टा पर एक भावुक पोस्ट लिखकर इस बात की जानकारी दी। वहीं शिखर धवन से पहले जिन खिलाड़ियों ने अपनी पत्नी को तालाक दिया था वो कुछ इस प्रकार से हैं।

मोहम्मद अजहरूद्दीन और उनकी पत्नी  नौरीन का तलाक : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और हैदराबादी बल्लेबाज मोहम्मद अजहरूद्दीन की दो शादियों के बारे में लगभग हर क्रिकेट फैन जानता है। उन्होंने पहले नौरीन से शादी की जिनसे उनको 2 बेटे हुए। इसके बाद साल 1996 में वह संगीता बिजलानी से शादी करना चाहते थे इस कारण उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया। मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सर्वाधिक 3 बार टीम इंडिया की विश्वकप में कप्तानी की लेकिन इस दौरान टीम का प्रदर्शन लचर रहा। साल 1999 में लचर प्रदर्शन और फिक्सिंग कांड के बाद उनसे कप्तानी छीन ली गई और बाद में आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया।

दिनेश कार्तिक और उनकी पत्नी निकिता का तलाक : कार्तिक का निजी जीवन काफी खराब रहा। उनके एक करीबी दोस्त ने ही उनकी पत्नी से इशक किया और फिर उनका तलाक हो गया। तमिलनाडु की तरफ से खेलने वाले दोनों बल्लेबाज कभी गहरे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन दोनों की दोस्ती के बीच खटास आ गई। बताया जाता है कि दिनेश कार्तिक की पत्नी निकिता ने उनसे तलाक लेकर मुरली विजय से विवाह किया था। इसके बाद दोनों दोस्तों के बीच एक दीवार बन गई।निकिता से तलाक के बाद‍ दिनेश कार्तिक ने स्कवॉश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल से शादी कर ली।

विनोद कांबली और उनकी पत्नी नोएला लुईस का तलाक : विनोद कांबली ने अपने बचपन की दोस्त नोएला लुईस से शादी साल 1998 में की थी। हालांकि इसके बाद कांबली का मन बदल गया और उन्होंने पूर्व मॉडल एंड्रिया हेविट से शादी करने के लिए अपने बचपन के प्यार को तलाक दे दिया। विनोद कांबली 90 के दशक में तेजी से उभरे लेकिन जल्द ही टीम इंडिया से बाहर हो गए थे। कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना था कि कांबली में उनके बचपन के दोस्त रहे सचिन तेंदुलकर से ज्यादा प्रतिभा है लेकिन वह विवादों के चलते अपना करियर आगे नहीं बढ़ा पाए। कांबली ने 104 वनडे और 17 टेस्ट मैच खेले हैं।

जवागल श्रीनाथ और उनकी पत्नी ज्योत्सना का तलाक : पूर्व भारतीय पेसर और अभी आईसीसी के मैच रेफ्री जवागल श्रीनाथ का तलाक हो गया था। मैसूर एक्सप्रेस के नाम से जाने जाने वाले जवागल श्रीनाथ की पहली शादी ज्योत्सना से हुई थी लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया और पत्रकार माधवी पतरावली से शादी कर ली। दूसरी शादी उन्होंने साल 2008 में की। जवागल श्रीनाथ 90 के दशक में भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण के अगुवा रहे। श्रीनाथ ने 1991 से 2003 के बीच 67 टेस्ट और 229 एकदिवसीय खेले है, जिसमें उन्होंने क्रमशः 236 और 315 विकेट लिए हैं। साल 2006 में आईसीसी ने उन्हे मैच रेफरी नियुक्त कर लिया।

Monday, September 6, 2021

सिद्धार्थ शुक्ला अब इस दुनिया में नही है, आइए जानते हैं कितनी प्रॉपर्टी छोड़ गए अपने परिवार के लिए।

टेलिविज़न की दुनिया में अपना नाम कमाने वाले और लोगों दे दिलो पर राज करने वाले सिद्धार्थ शुक्ला की उम्र लगभग 40 वर्ष थी जब 1 सितम्बर की रात उन्होंने इस दुनियां से अलविदा कर लिया वो मात्र 40 साल की उम्र में ही काफी कामयाब टीवी एक्टर थे उन्हें कई नयी टीवी सीरीज के लिए ऑफर भी आ रहे थे I  बिग बॉस सीजन 13 और खतरों के खिलाड़ी के भी विजेता रह चुके है। शहनाज़ गिल और सिद्धार्थ दोनों पहली बार बिग बॉस के सेट में मिले थे  यही से दोनों के बीच नजदीकियां बढी और दोनों  अक्सर साथ में ही स्पॉट किये जाते थे I

सिद्धार्थ अपने परिवार के एक अकेले लड़के थे जिनकी दो बहने थी। सिद्धार्थ की मौत के बाद अब उनकी कमाई का मालिक सिर्फ माँ है और बहने। उस शुक्ला परिवार का चिराग नहीं रहा और सिद्धार्थ अपने पीछे कितनी जायदाद छोड़ कर गए है हम आपको इस पोस्ट में ज़रूर बताएँगे। सिद्धार्थ ने अपने इस करियर में काफी कुछ कमाया था। उन्होंने करीब 8.80 करोड़ रूपए की संपत्ति बना कर राखी हुई थी। सिद्धार्थ को महंगी गाड़ियों का काफी शौक था। सिद्धार्थ के पास एक BMW X5 कार है और उनके पास हार्ले डैविडसन फैट बॉब मॉडल की बाइक भी है।

एक मशहूर टीवी एक्टर होने के साथ साथ सिद्धार्थ एक सादा जीवन जीना पसंद किया करते थे। कई बार सिद्धार्थ को तो लोखंडवाला मार्किट में घूमते स्पॉट किया जाता था। हालही में सिद्धार्थ शुक्ला ब्रोकन बट ब्यूटीफुल वेब सीरीज में नज़र आए थे। इन्होने बालिका वधु जैसे कई बड़े टीवी शोज करे है। सिद्धार्थ ने हाह्ली में अपना घर खरीदा था जिसमे वह अकेले रहा करते थे, सिद्धार्थ का फ्लैट जिस घर में था उसके पास में ही उनकी माँ अपने पुराने फ्लैट में रहती थी।

सिद्धार्थ के पास कई बड़े प्रोजेक्ट्स का एडवांस भी आया हुआ था। सिद्धार्थ महीना 10 लाख तक की कमाई कर रहे थे जिससे उनका जीवन आलीशान तरीके से गुज़र रहा था। वह सिर्फ कमाते नहीं बल्कि काफी दान भी किया करते थे जिससे उनकी विनम्रता का पता चलता था।

ऐसे संत जिसके पैरो के नीचे अपना सिर रखने आते थे नेता व अंग्रेज देवरहा बाबा उन्ही के नाम पे देवरिया का नामकरण हुआ।

देवरहा बाबा का जन्म अज्ञात है। यहाँ तक कि उनकी सही उम्र का आकलन भी नहीं है। वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे। मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले बाबा के जन्म के बारे में संशय है। कहा जाता है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा थे। (बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं।)

भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष थे देवरहा बाबा। डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी विभूतियों ने पूज्य देवरहा बाबा के समय-समय पर दर्शन कर अपने को कृतार्थ अनुभव किया था। पूज्य महर्षि पातंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग में पारंगत थे।

श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे। प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी।
श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहाँ से और कैसे आता है। जनश्रूति के मुताबिक, वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे नहीं होते थे। चारों तरफ सुंगध ही सुंगध होता था।

लोगों में विश्वास है कि बाबा जल पर चलते भी थे और अपने किसी भी गंतव्य स्थान पर जाने के लिए उन्होंने कभी भी सवारी नहीं की और ना ही उन्हें कभी किसी सवारी से कहीं जाते हुए देखा गया। बाबा हर साल कुंभ के समय प्रयाग आते थे।
 मार्कण्डेय सिंह के मुताबिक, वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।

लोगों का मानना है कि बाबा को सब पता रहता था कि कब, कौन, कहाँ उनके बारे में चर्चा हुई। वह अवतारी व्यक्ति थे। उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था। वह फोटो कैमरे और टीवी जैसी चीजों को देख अचंभित रह जाते थे। वह उनसे अपनी फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उनका फोटो नहीं बनता था। वह नहीं चाहते तो रिवाल्वर से गोली नहीं चलती थी। उनका निर्जीव वस्तुओं पर नियंत्रण था।
अपनी उम्र, कठिन तप और सिद्धियों के बारे में देवरहा बाबा ने कभी भी कोई चमत्कारिक दावा नहीं किया, लेकिन उनके इर्द-गिर्द हर तरह के लोगों की भीड़ ऐसी भी रही जो हमेशा उनमें चमत्कार खोजते देखी गई।अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य में जैसे वृक्ष, वनस्पति भी अपने को आश्वस्त अनुभव करते रहे। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था।

देश-दुनिया के महान लोग उनसे मिलने आते थे और विख्यात साधू-संतों का भी उनके आश्रम में समागम होता रहता था। उनसे जुड़ीं कई घटनाएं इस सिद्ध संत को मानवता, ज्ञान, तप और योग के लिए विख्यात बनाती हैं।
उस समय के एक अधिकारी के मुताबिक जो वहा मौजूद था। 1987 जून महीने की बात है। वृंदावन में यमुना पार देवरहा बाबा का डेरा जमा हुआ था। अधिकारियों में अफरातफरी मची थी। प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाबा के दर्शन करने आना था। प्रधानमंत्री के आगमन और यात्रा के लिए इलाके की मार्किंग कर ली गई।

आला अफसरों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल काटने के निर्देश दिए। भनक लगते ही बाबा ने एक बड़े पुलिस अफसर को बुलाया और पूछा कि पेड़ को क्यों काटना चाहते हो? अफसर ने कहा, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जरूरी है। बाबा बोले, तुम यहां अपने पीएम को लाओगे, उनकी प्रशंसा पाओगे, पीएम का नाम भी होगा कि वह साधु-संतों के पास जाता है, लेकिन इसका दंड तो बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा।

वह मुझसे इस बारे में पूछेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा? नही! यह पेड़ नहीं काटा जाएगा। अफसरों ने अपनी मजबूरी बताई कि यह दिल्ली से आए अफसरों का है, इसलिए इसे काटा ही जाएगा और फिर पूरा पेड़ तो नहीं कटना है, इसकी एक टहनी ही काटी जानी है, मगर बाबा जरा भी राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो यह सबसे पुराना साथी है, दिन रात मुझसे बतियाता है, यह पेड़ नहीं कट सकता।

इस घटनाक्रम से बाकी अफसरों की दुविधा बढ़ती जा रही थी, आखिर बाबा ने ही उन्हें तसल्ली दी और कहा कि घबड़ा मत, अब पीएम का कार्यक्रम टल जाएगा, तुम्हारे पीएम का कार्यक्रम मैं कैंसिल करा देता हूं। आश्चर्य कि बात दो घंटे बाद ही पीएम आफिस से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है, कुछ हफ्तों बाद राजीव गांधी वहां आए, लेकिन पेड़ नहीं कटा। इसे क्या कहेंगे चमत्कार या संयोग।

बाबा की शरण में आने वाले कई विशिष्ट लोग थे। उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी जैसे चर्चित नेताओं के नाम हैं। उनके पास लोग हठयोग सीखने भी जाते थे। सुपात्र देखकर वह हठयोग की दसों मुद्राएं सिखाते थे। योग विद्या पर उनका गहन ज्ञान था। ध्यान, योग, प्राणायाम, त्राटक समाधि आदि पर वह गूढ़ विवेचन करते थे। कई बड़े सिद्ध सम्मेलनों में उन्हें बुलाया जाता, तो वह संबंधित विषयों पर अपनी प्रतिभा से सबको चकित कर देते।

लोग यही सोचते कि इस बाबा ने इतना सब कब और कैसे जान लिया। ध्यान, प्रणायाम, समाधि की पद्धतियों के वह सिद्ध थे ही, धर्माचार्य, पंडित, तत्वज्ञानी, वेदांती उनसे कई तरह के संवाद करते थे। उन्होंने जीवन में लंबी लंबी साधनाएं कीं। जन कल्याण के लिए वृक्षों-वनस्पतियों के संरक्षण, पर्यावरण एवं वन्य जीवन के प्रति उनका अनुराग जग जाहिर था।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...