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Monday, January 31, 2022

‘देवों के देव’ भगवान महादेव से सीखें जीवन में आगे बढ़ने का मंत्र।

महादेव का एक रूप ताडंव करते नटराज का है, तो दूसरा रूप महान महायोगी का है। ये दोनों ही रूप रहस्यों से भरे हैं, लेकिन शिव जी को भोलेनाथ भी कहा जाता है। जहां एक साथ इतने सारे रंग हों, तो फिर क्यों न अपनी ज़िन्दगी में इन रंगों से प्रेरणा लें? भगवान शिव के जीवन से जुड़े कुछ सबक इस प्रकार हैं।

1. बुराई को ख़त्म करना:
ब्रह्मा जी को उत्पत्ति के लिए, भगवान विष्णु को रचना के लिए और महादेव को विनाश के लिए जाना जाता है। भगवान शिव का यह रूप आपको डराने वाला लग सकता है लेकिन किसी बुराई का ख़त्म होना बेहद ज़रूरी होता है, और भगवान शिव इसी के लिए जाने जाते हैं।

2. शांत रहकर स्वयं पर नियंत्रण रखना:
भगवान शिव से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ। किसी परिस्थिति से स्वयं को दूर रखते हुए उस पर पकड़ रखना आसान नहीं होता है। महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं तो दुनिया इधर से उधर हो सकती है लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता। शिव जी का यह ध्यान हमें जीवन की चीज़ों पर नियंत्रण रखना सिखाता है।

3. नकारात्मक चीज़ों को भी सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना:
समुद्र मंथन से जब विष बाहर आया तो सभी ने क़दम पीछे खींच लिए थे, क्योंकि विष कोई नहीं पी सकता था। ऐसे में महादेव ने स्वयं विष (हलाहल) पिया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया। इस घटना से बहुत बड़ा सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकारात्मक (निगेटिव) चीज़ों को अपने अंदर रख लें, लेकिन उसका असर न ख़ुद पर हावी होने दें और न ही दूसरों पर।

4. जीवनसाथी के प्रति सम्मान:
शिव जी का यह रूप जगज़ाहिर है। हिंदू मान्यताओं के हिसाब से निपुण जीवनसाथी (पेरफ़ेक्ट पार्टनर) महादेव को ही माना जाता है। अगर माता पार्वती ने उन्हें मनाने के लिए सालों की तपस्या की है तो दूसरी ओर शिव जी ने उन्हें अर्धांगिनी बनाया है। तभी तो 33 करोड़ देवताओं में शिव जी को ही अर्धनारीश्वर कहा जाता है।

5. हर समय समान भाव रखना:
महादेव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीज़ों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उन चीज़ों को महादेव ने बड़ी आसानी से अपनाया है। तभी तो उनकी शादी पर भूतों की मंडली पहुंची थी। शरीर में भभूत लगाए भोलेनाथ के गले में सांप लिपटा होता है। बुराई किसी में नहीं होती, बस एक बार आपको उसे अपनाना होता है।

6. तीसरी आंख का खुलना:
शिव जी को त्रयंबक भी कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आंख है। तीसरी आंख का मतलब है कि बोध या अनुभव का एक दूसरा आयाम खुल गया है। दो आंखें सिर्फ़ भौतिक चीज़ों को देख सकती हैं। लेकिन भीतर की ओर देखने के बोध से आप जीवन को बिल्कुल अलग ढंग से देख सकते हैं। इसलिए बनी बनाई चीजों पर चलने से पहले स्वयं उनके बारे में सोचें और समझें।

7. अपनी राह चुनना:
शिव जी की जीवन शैली हो या उनका कोई अवतार, वे हर रूप में बिल्कुल अलग हैं। फिर वो रूप तांडव करते हुए नटराज का हो, विष पीने वाले नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, या फिर सबसे पहले प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ का, वे हर रूप में जीवन को सही राह देते हैं।

पलंग के नीचे भूलकर भी ना रखें ये सामान, वरना जिंदगी भर झेलनी पड़ेगी आर्थिक तंगी।

नई दुनिया: वास्तु शास्त्र के मुताबिक व्यक्ति जिस पलंग पर सोता है, उसका जीवन में खास महत्व है। चूंकि इसका सेहत और मन पर विशेष प्रभाव पड़ता है, इसलिए इससे जुड़े वास्तु नियम का पालन कराना जरूरी बताया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ चीजों को पलंग के नीचे नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे उत्पन्न वास्तु दोष सुख-शांति को छीन देते हैं और घर में आर्थिक संकट पैदा करते हैं। आइए जानते हैं कि पलंग के नीचे कौन-कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक सामान।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक पलंग के नीचे इलेक्ट्रॉनिक सामान नहीं रखना चाहिए। इससे वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं जो मानसिक सेहत को बिगाड़ते हैं। साथ ही नींद ना आने की समस्या शुरू होने लगती है।

कपड़ों की गठरी।
अक्सर लोग फटे-पुराने कपड़ों की गठरी बनाकर पलंग के नीचे रख देते हैं। वास्तु के मुताबित ये सही नहीं है. इसके घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलने लगती है। इतना ही नहीं, ये वास्तु दोष घर की सुख-शांति को खत्म कर देते हैं।

जंग लगे लोहे और प्लास्टिक की चीजें।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक पलंग के नीचे जंग लगे लोहे की कोई भी वस्तु नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे उत्पन्न वास्तु दोष घर में भयानक आर्थिक तंगी लाते हैं। इसके अलावा पलंग के नीचे प्लास्टिक की चीजें रखने से भी वास्तु दोष का खतरा रहता है।

झाड़ू।
पलंग के नीचे झाड़ू रखना भी अशुभ है। पलंग के नीचे झाड़ू रखने से मन और मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही घर में आर्थिक परेशानी बनी रहती है। घर सदस्य बीमार होने लगते हैं।

जेवर, शीशा, जूते-चप्पल और तेल।
पलंग के नीचे कभी भी सोने-चांदी या अन्य धातुओं के जेवर नहीं रखना चाहिए। पलंग के नीचे जूते-चप्प्ल रखने से घर में निगेटिव एनर्जी आती है। इसके अलावा किसी प्रकार का शीशा और तेल भी पलंग के नीचे रखने से बचना चाहिए। क्योंकि ये वास्तु के दृष्टिकोण से हानिकारक हैं।

Thursday, December 16, 2021

Audi A8 L लग्ज़री सेडान, जानिए इस कार की खासियत

बॉलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। कियारा आज हिंदी सिनेमा का एक चमकता हुआ सितारा हैं। बता दें कि हाल ही में उन्होंने भारत में सबसे पसंदीदा अभिनेत्री की फैब फॉर लीग में भी जगह बनाई है। इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय सितारों में से एक कियारा आडवाणी आज  एक नई और शानदार Audi A8 L लग्ज़री सेडान कार खरीदकर अपने घर ले आई हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय देश की सबसे शानदार लग्ज़री सेडान गाड़ियों में से एक है Audi A8 L, जिसकी कीमत 1.58 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
जानें इस कार की खासियत..!
ऑडी (Audi India) ने अपनी इस Audi A8 L लग्ज़री सेडान कार को बेहद स्टाइलिश डिज़ाइन के साथ फरवरी, 2020 में भारतीय बाजार में उतारा था। बता दें कि LED हेडलैम्प्स और टेललैम्प्स के साथ इस कार के फ्रंट में ऑडी की आइकॉनिक ग्रिल का इस्तेमाल बड़े ही अच्छी तरीके से किया गया है। इस कार में 3 लीटर पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कार को 335bhp पावर और 500Nm का टॉर्क मिलता है। वहीं इस कार को आकर्षित बनाने के लिए इसमें सेंटर डैशबोर्ड, 10.1 इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, रिमोट कंट्रोल्ड सीट्स, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, ड्राइवर एंड पैसेंजर एयरबैग्स, फ्रंट फॉग लाइट्स, 4 ज़ोन ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, एयर क्वालिटी कंट्रोल, रिमोट ट्रंक ओपनर, एक्सेसरी पावर आउटलेट, वैनिटी मिरर, रियर रीडिंग लैंप, रियर सीट हेडरेस्ट, फ्रंट एंड रियर कप होल्डर्स, क्रूज़ कंट्रोल, नेविगेशन सिस्टम, कीलैस एंट्री, वॉइस कंट्रोल, फ्रंट एंड रियर USB चार्जिंग, फाइंड माय कार लोकेशन के साथ-साथ कई खास फीचर्स डाले गए हैं।
कंपनी ने किया कियारा का स्वागत
बता दें कि कियारा आडवाणी (Kiara Advani) की इस नई लग्ज़री सेडान कार को खरीदने की जानकारी Audi India ने  अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर शेयर की है। इसके साथ ही कंपनी ने Audi Experience में कियारा का स्वागत भी किया है।

अब तक कई सुपरहिट फिल्में दे चुकी हैं कियारा
बता दें कि एमएस धोनी, कबीर सिंह, गुड न्यूज, गिल्टी और शेरशाह जैसी सुपरहिट फिल्मों में साक्षी, प्रीति, मोनिका, ननकी और डिंपल जैसे प्रतिष्ठित पात्रों के साथ, कियारा आडवाणी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के विभिन्न पहलुओं को सामने रखा है। आने वाले वक्त में वह दिलचस्प लाइनअप में नजर आएंगी। भूल भुलैया 2, जग जुग जीयो, शशांक खेतान की आगामी फिल्म से लेकर एस शंकर की RC 15 तक, कियारा आडवाणी का एक टाइट शेड्यूल है, जिसकी बैक टू बैक शूटिंग चल रही है।

Monday, December 13, 2021

दुनिया में सिर्फ इन दो लोगों से मोबाइल पर बात करती हैं ब्रिटेन की महारानी, कहीं भी हों तुरंत उठा लेती हैं फोन

लंदन ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय दुनिया की कुछ सबसे ताकतवर शख्सियतों में से एक हैं। 95 साल की उम्र में भी वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। लेकिन सोशल मीडिया के अलावा वह अपने फोन का इस्तेमाल किस से बात करने के लिए करती हैं? शाही परिवार की जानकारी रखने वाले एक पत्रकार ने बताया है कि क्वीन ज्यादातर अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल सिर्फ दो लोगों से बात करने के लिए करती हैं और इनमें उनके कोई बेटे शामिल नहीं हैं।

एक ब्रिटिश पत्रकार जोनाथन सैकरडोटी, जिन्होंने शाही परिवार से संबंधित समाचारों को व्यापक रूप से कवर किया है, ने 'रॉयल्टी अस' पॉडकास्ट के एक हालिया एपिसोड के दौरान इसका खुलासा किया। उन्होंने बताया कि क्वीन एक सैमसंग मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं जो 'एंटी-हैकर एन्क्रिप्शन' के साथ आता है ताकि कोई भी उनके फोन को हैक न कर सके। क्वीन ज्यादातर फोन पर सिर्फ दो लोगों से बात करती हैं।

तो वे दो खुशकिस्मत लोग कौन हैं जिनसे क्वीन मोबाइल पर बात करती हैं? सैकरडोटी ने बताया कि वह अपने मोबाइल फोन पर सिर्फ अपनी बेटी राजकुमारी ऐनी और अपने रेसिंग मैनेजर जॉन वॉरेन के कॉल का जवाब देती हैं। तो जाहिर है कि ये दो लोग कभी भी रानी से बात कर सकते हैं। क्वीन दुनिया में कहीं भी हों, अगर इन दोनों में से किसी का फोन आता है तो वह उस कॉल का जवाब देती हैं।

क्वीन को लेकर पहले भी किए जा चुके हैं खुलासे

रेसिंग मैनेजर जॉन वॉरेन क्वीन के दोस्त के दामाद हैं। वॉरेन क्वीन के ब्लडस्टॉक और रेसिंग एडवाइजर के प्रतिष्ठित पद पर हैं। इससे पहले भी क्वीन को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए जा चुके हैं। कहा जाता है कि क्वीन के पास पासपोर्ट नहीं है क्योंकि वह पूरी दुनिया में कहीं भी यात्रा कर सकती हैं। इसके अलावा उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है क्योंकि ब्रिटेन में सिर्फ क्वीन एलिजाबेथ को गाड़ी चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है।

Sunday, December 12, 2021

सिर के ऊपरी भाग को ब्रह्मांड कहा गया है। कपाल प्रदेश का विस्तार ब्रह्मांड के आधे भाग तक है।

सिर के ऊपरी भाग को ब्रह्मांड कहा गया है और सामने के भाग को कपाल प्रदेश। कपाल प्रदेश का विस्तार ब्रह्मांड के आधे भाग तक है। दोनों की सीमा पर मुख्य मस्तिष्क की स्थिति समझनी चाहिए। ब्रह्मांड का जो केन्द्रबिन्दु है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। ब्रह्मरंध्र में सुई की नोंक के बराबर एक छिद्र है जो अति महत्वपूर्ण है। सारी अनुभूतियां, दैवी जगत् के विचार, ब्रह्मांड में क्रियाशक्ति और अनन्त शक्तियां इसी ब्रह्मरंध्र से प्रविष्ट होती हैं।

हिन्दू धर्म में इसी स्थान पर चोटी (शिखा) रखने का नियम है। ब्रह्मरंध्र से निष्कासित होने वाली ऊर्जा शिखा के माध्यम से प्रवाहित होती है। वास्तव में हमारी शिखा जहां एक ओर ऊर्जा को प्रवाहित करती है, वहीं दूसरी ओर उसे ग्रहण भी करती है। वायुमंडल में बिखरी हुई असंख्य विचार तरंगें और भाव तरंगें शिखा के माध्यम से ही मनुष्य के मस्तिष्क में प्रविष्ट होती हैं। कहने की आवश्यकता नहीं, हमारा मस्तिष्क एक प्रकार से रिसीविंग और ब्रॉडकास्टिंग सेंटर का कार्य शिखारूपी एंटीना या एरियल के माध्यम से करता है।

मुख्य मस्तिष्क (सेरिब्रम) के बाद लघु मस्तिष्क (सेरिबेलम) है और ब्रह्मरंध्र के ठीक नीचे अधो मस्तिष्क (मेडुला एबलोंगेटा) की स्थिति है जिसके साथ एक 'मेडुला' नामक अंडाकार पदार्थ संयुक्त है। वह मस्तिष्क के भीतर विद्यमान एक तरल पदार्थ में तैरता रहता है। मेरूमज्जा का अन्त इसी अंडाकार पदार्थ में होता है। यह पदार्थ अत्यन्त रहस्यमय है। आज के वैज्ञानिक भी इसे समझ नहीं सके हैं। बाहर से आने वाली परिदृश्यमान शक्तियां अधो मस्तिष्क से होकर इसी अंडाकार पदार्थ से टकराती हैं और योग्यता अनुसार मानवीय विचारों, भावनाओं, अनुभूतियों में स्वतः परिवर्तित होकर बिखर जाती हैं। योग साधना की दृष्टि से मुख्य मस्तिष्क आकाश है। मनुष्य जो कुछ देखता है, कल्पना करता है, स्वप्न देखता है, यह सारा अनुभव उसको इसी आकाश में करना पड़ता है।

Saturday, December 11, 2021

CDS विपिन रावत को दी गई 17 तोपों की सलामी, जानिए 21 की जगह सत्रह की क्यों दी गई सलामी।

भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat),  उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य लोग पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। वहीं आर्मी प्रोटोकॉल के मुताबिक सीडीएस बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई, लेकिन आमतौर पर भारत में 21 और 17 तोपों की सलामी दी जाती है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगी कि आखिर बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी ही क्यों दी गई। जानते हैं क्यों दी गई CDS रावत को 17 तोपों कि सलामी..


21 तोपों की सलामी किसे दी जाती है?
भारत के राष्ट्रपति और वरिष्ठ नेताओं को उनके अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके अलावा नौसेना प्रमुख, थल सेना और वायु सेना के अधिकारियों को भी 17 तोपों की सलामी दी जाती है। दिलचस्प बात ये है कि  भारत में 19 तोपों की भी सलामी दी जाती है, हालांकि ये सलामी तब दी जाती है जब किसी अन्य देश बड़ा व्यक्ति भारत दौरे पर आते हैं। इसके अलावा 19 तोपों की सलामी तब भी दी जाती है जब भारत के वरिष्ठ नेता 'गार्ड ऑफ ऑनर' के रूप में किसी दूसरे देश का दौरा करते हैं। ठीक उसी तरह जैसे मार्च में पीएम मोदी को बांग्लादेश दौरे के दौरान दी गई थी।

क्यों दी जाती है तोपों की सलामी?
ये एक राजकीय सम्मान देने की प्रक्रिया है। राजनीति, कानून, विज्ञान और कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता है। जानकारी के अनुसार राजकीय अंतिम संस्कार में बंदूक की सलामी, आधा झुका हुआ झंडा, राष्ट्रीय शोक दिवस और एक सार्वजनिक अवकाश शामिल होता है। इतना ही नहीं गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे कई अन्य अवसरों पर भी तोपों की सलामी दी जाती है। इस बीच, सशस्त्र बलों के कर्मियों को बंदूक की सलामी दी जाती है जिन्होंने शांति या युद्ध के समय में योगदान दिया है।

 किसे मिलता है राजकीय अंतिम संस्कार?
आमतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को राजकीय अंतिम संस्कार दिया जाता है। लेकिन हाल के दिनों में, नियमों में बदलाव किया गया है।  अब राज्य सरकारें तय करती हैं कि किसे राजकीय अंतिम संस्कार दिया जा सकता है। बता दें कि महात्मा गांधी भारत में राजकीय अंतिम संस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति थे।
राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल कुछ अन्य लोगों में मदर टेरेसा, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, सरबजीत सिंह, हिंदुस्तानी संगीत गायिका गंगूबाई हंगल, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी, सबसे पुराने सैन्य अधिकारी अर्जन सिंह (जिन्होंने 17 तोपों की सलामी ली), पद्मश्री पुरस्कार विजेता शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बॉलीवुड एक्टर दिलीप कुमार और श्रीदेवी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था।

Friday, December 10, 2021

अगर छठ पूजा में करते हैं ये काम, तो प्रसन्न होती हैं छठ मईया।

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। जो इस बार 11 नवंबर यानि कि गुरुवार के दिन है। इस दिन छठ पूजा के साथ-साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगले दिन सूर्योदय पर भी अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। लेकिन छठ पर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पहले चतुर्थी से ही हो जाती है। तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं।

यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है। छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ कई नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। यह व्रत जितना कठिन होता है उतने ही कठिन इसके नियम होते हैं। जानें छठ पूजा के दौरान किन 10 नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।

छठ पूजा के 10 बड़े नियम।
1:- मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन का सेवन करना इन 4 दिनों में वर्जित माना जाता है।

2:- छठ पूजा में सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए बिना साफ-सफाई के पूजा की कोई भी चीज नहीं छूनी चाहिए।

3:- जो महिलाएं यह व्रत करती हैं वह इन दिनों में पलंग या चारपाई पर नहीं सोती बल्कि जमीन पर चादर बिछाकर सोती हैं।

4:- सूर्य भगवान को अर्ध्य देना बहुत ही जरूरी माना जाता है। इसलिए कभी भी पूजा के लिए चांदी, स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

5:- प्रसाद तैयार करते समय खुद कुछ नहीं खाना चाहिए।

6:- जिस जगह आप प्रसाद बना रहे हैं, वहां पर पहले खाना न बनता हो।

7:- पूजा के समय हमेशा साफ-सुथरे और धुले हुए कपड़े ही पहनें।

8:- अगर आपने व्रत रखा है तो बिना सूर्य को अर्घ्य दिए जल या फिर किसी और चीज का सेवन न करें।

9:- छठ व्रत के दौरान शराब, अल्कोहल और मांसाहारी खाने से दूरी बनाकर रखें।

10:- पूजा के दिनों में किसी को भी फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...