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Monday, June 22, 2020

अक्साई चीन पे चीन का अवैध कब्जा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू की देन।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की देन अक्साई चीन का विवाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का चीन केे प्रति दोस्ती। अगर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जल सेना, थल सेना और वायु सेना के प्रमुखों से बातचीत करके रणनीति से 1962 का युद्ध हुआ होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। कुछ लोगों का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तीनोंंं सेनाओं के प्रमुख से बातचीत करना उचित नहीं समझा बिना रणनीति से युद्ध हुआ जिसका नतीजा यह हुआ की हमारे काफी जवान शहीद हो गए और हम वह युद्ध हार गए। आज अक्साई चीन भारत का हिस्स होता और हमारे कोई जवान शहीद नहीं होते। आज जो सैनिक शहीद हो रहे हैं वह उस समय की सरकार का एक समझौता है जिसकी वजह से आज हमें यह दिन देखने पढ़ रहे हैं।
अक्साई चीन के विवाद का जड़ अक्साई चीन के पास चीन द्वारा निर्मित सड़क और पुल है। सड़क बनने के बाद चीन ने अक्साई चीन को अपनाने के लिए बहुत सारे कोशिश किए जोकि भारतीय सेना ने उसके कोशिशों को नाकाम कर दिया। चीन के सड़क निर्माण के बाद भारत ने भी अपनेेेे सीमा के नजदीक सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया जिससे बौखलाया चीन ने युद्ध की स्थिति बना दी। आज केेे समय में अक्साई चीन के पास भारत चीन सीमा पर बहुत गंभीर स्थिति बनी हुई है।
अक्साई चीन की भौगोलिक स्थिति भारत और चीन के बीच राष्ट्रीय सीमा विवाद के कारण आए दिन अक्साई चीन में भारत चीन सीमा पे तनाव बना रहता है। 1865 में विलियम जॉनसन ने जॉनसन लाइन के द्वारा अक्साई चीन को जम्मू कश्मीर का हिस्सा बताया। उसको चीन ना मानतेे हुए 1899 में एक ब्रिटिश सर्वेयर केे मर्केंेन मैकनाल्ड लाइन के द्वारा अक्साई चीन को चीन का  झिनझियांग स्वायत्त क्षेत्र में होटन काऊंटी का हिस्सा बताया। अक्साई चीन तिब्बत का पठार का दक्षिण पश्चिमी विस्तार है। अक्साई चीन में बंजर ऊंचे अलग-थलग ज्यादातर निर्जल मैदान है। जोकि काराकोरम रेल से पश्चिम और दक्षिण पश्चिम की ओर और कुंडल लूम पर्वत से उत्तर और उत्तर पूर्व में स्थित है। भारत का दावा है की अक्साई चीन चीन कब्जेे वाला हिस्सा भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा हैं।
अक्साई चीन क्षेत्र क्या है समुद्र तल सेे लगभग 5000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित साल्ट फ्लैट्स का एक विशाल रेगिस्ताान है। इसका क्षेत्रफल लगभग 37244 वर्ग किलोमीटर जम्मू और कश्मीर राज्य के उत्तर पूर्वी हिस्से का बड़ा क्षेत्र 1950 से चीनी कब्जे में रहा। चीन ने प्रशासनिक रूूप से शिंजियांग प्रांत के कारगीलेक जीले का हिस्सा बना दिया। अक्साई चीन क्षेत्र में जलवायु ठंडी और शुष्क रहती है जुलाई और अगस्त के महीनों में यहां बारिश होती है।
अक्साई चीन का इतिहास अक्साई चीन का मुद्दा भारत और चीन के बीच सन 1950 से ही लड़ाई की जड़ बना हुआ है। इस क्षेत्र में सीमा विभाजन स्पष्ट्ट रुप से नहीं हुआ था। इसलिए भारत के सैनिक भी 1955 तक गोष्ट लगातेे थे। और चीनी इसका विरोध करते थे 1957 में चीन ने इस इलाके से गुजरती हुई सड़क बनाई जो तिब्बत और झेनजियांग को जोड़ती है। इस सड़क को बनाते चीन ने अक्साई चीन के हिस्से को अपने नक्शे में दिखा दिया। जिसका भारत ने विरोध किया था और इसी विवाद के कारण भारत और चीन केे बीच 1962 का युद्ध हुआ अक्साई चीन के मुद्दे पर भारत और चीन केे बीच संक्षिप्त युद्ध भी लड़ा गया था। लेकिन 1993 और 1996 मेंं दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करने केे लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। युद्ध के समापन पर चीन ने अक्साई चीन पर लगभग 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का नियंत्रण रेखा बनाए रखा तभी से ये क्षेत्र अब तक दोनोंं देशों के बीच विवााद का विषय बना हुआ हैं।
अक्साई चीन क्षेत्र में वर्तमान स्थिति अक्साई चीन जम्मूूूू और कश्मीर के कुल क्षेत्र का 15 प्रतिशत हिस्सा है। जिस पर चीन का अवैध कब्जा है। भारत का कहना है अक्साई चीन सहित पूरा जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जबकि चीन ने ऐसा दावा किया है की अक्साई चीन शिंजियांग उइधुर स्वायत्त क्षेत्र चीन का हिस्सा है। भारत जहां तक एक तरफ दावा करता है कि चीन ने उसके 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को कब्जा लिया है वही चीन का दावा है कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन के 90000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर कब्जा किया हुुआ है। इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक जटिल मुद्दा है। और यह आसानी से सुलझने वाला नहीं है।

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