ओडिशा राज्य के पूरी तट पर स्थित है इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां विराजमान है। आज हम बात कर रहे हैं रोचक तथ्य की जिससे वैज्ञानिक भी हैरान है। और कुछ पता नहीं लगा सके ना जाने सातवीं सदी में कौन से टेक्नोलॉजी और कंक्रीट का इस्तेमाल करके यह भव्य और सुंदर मंदिर बनाई गई है। आइए जानते हैं रोचक तथ्य।
रोचक तथ्य
भगवान जगन्नाथ के रहस्य और चमत्कार जो वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है
विशालकाय गुंबद वैज्ञानिकों के लिए पहेली और करोड़ों लोगों के लिए आस्था का विषय बना हुआ है। जिसमें असीम रहस्य को समेटा हुआ है। भगवान जगन्नाथ अतीत के साथ गहरे राज का केंद्र है। भगवान जगन्नाथ की भव्य मंदिर का गुम्बद पर लगा ध्वज कहानी बताते हैं । ऐसी कहानी जिस पर विश्वास करना मुश्किल है। यहां से उठती आवाजें और समुद्र की लहरों की गड़गड़ाहट में भी अविश्वसनीय रहस्य छुपा हुआ है। और भगवान जगन्नाथ की यात्रा धरती पर उमड़ने वाला सबसे बड़ा जनसैलाब माना जाता है। आइए जानते हैं, आखिर इसका राज क्या है।
पहला राज हवा के विपरीत दिशा में लहराता ध्वज भगवान जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हवा के विपरीत दिशा लहराता है। यदि हवा पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है तो गुंबद पर लगा ध्वज पश्चिचिम से पूर्व की ओर लहराता है। हर रोज ध्वज को उल्टा चढ़ाकर बांधा जाताा है ताकि ऐसा लगे कि ये सीधी दिशा में लहरा रहा है। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।
दूसरा राज गुंबद कार छाया नहीं बनता
यह दुनिया का सबसे भव्य एवं ऊंचा मंदिर है 4 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रह कर इस गुंबद को देख पाना असंभव है। और इसके छाया में छुपा है एक गहरा राज क्योंकि इस गुंबद का छाया दिन के किसी भी समय नहीं बनती। पूरी के इस मंदिर को सातवीं सदी में बनाया गया था।
तीराज चमत्कारी सुदर्शन चक्र
इस मंदिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखने पर लगता है कि यह सुदर्शन चक्र हमारे सामने ही है। यानी यह हमेशा सामने दिखाई देता है। इसे नील चक्र भी कहते हैं।यह अष्ट धातु से बना है। और बेहद पवित्र माना जाता है।
चौथा राज हवा के दिशा
आम दिनों में यहां हवा समुद्र से जमीन की ओर चलती है लेकिन यहां उसका उल्टा होता है। यहां पर लहरें जमीन से समुद्र की ओर चलती हुई देखी जा सकती है।
पांचवा राज गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी
भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से आज तक किसी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा गया और इसके ऊपर से कोई विमान भी नहीं उड़ा। अक्सर अन्य मंदिरों के आसपास या गुम्मद पे पंछी उड़ते हुए या बैठे हुए देखे जा सकते हैं लेकिन जगन्नाथ मंदिर के साथ ऐसा नहीं होता।
छठा राज दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर
अगर दुनिया की सबसे बड़ी रसोई घर की बात करें तो यह भगवान जगन्नाथ मंदिर में है यहां 500 रसोईया 300 सहयोगी यों के साथ प्रसाद बनाते हैं। भगवान जगन्नाथ का प्रसाद लगभग 20 लाख भक्त ग्रहण कर सकते हैं यहां प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन को एक के ऊपर एक करके रखा जाता है सबसे ऊपर रखा भोजन पहले पता है तदुपरांत उसके नीचे का उसके बाद उसके नीचे का सबसे आखरी में सबसे नीचे रखे बर्तन का भोजन पकता है। यह सब भोजन लकड़ी से पकये जाते है। यहां पर साल भर प्रसाद बनाने के लिए राशन और लकड़ी उपलब्ध रहता है।
सातवा राज समुद्र की आवाज
मंदिर के द्वार पर कदम रखते हैं समुद्र की गड़गड़ाहट नहीं सुनाई देती है। मंदिर के पास स्वर्गद्वार है वहां पर लाशों की जलाने की गंध तक नहीं आती। मंदिर से बाहर आते ही समुद्र की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने लगता है। और लाशे जलाने की गंध महसूस होने लगती है।
आठवां राज रूप बदलती मूर्तियां
यहां भगवान श्री कृष्ण को जगन्नाथ कहा जाता है यहां पर भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा की काठ में विराजमान है। यहां पर हर 12 साल में नयी प्रतिमा तैयार होती है। मूर्तियां नई जरूर बनाई जाती है लेकिन भगवान का आकार व रूप वही रहता है।
नौवा राज दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा
जब भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है तो वह दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा होती है। यह रथ यात्रा 5 किलोमीटर लंबी होती है इसने उमड़ता जनसैलाब देखकर अनुमान लगाया जा सकता है।
दसवा राज हनुमान बने रक्षक
ऐसा मानना है कि भगवान जगन्नाथ की मंदिर को समुद्र ने तीन बार तोड़ दिया था। जिसके बाद महाप्रभु भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को समुद्र को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया था। लेकिन प्रभु के दर्शन के लिए हनुमान जी भी नगर को चले जाते थे उनके पीछे पीछे समुद्र भी नगर में प्रवेश कर जाता था। तो भगवान ने हनुमान जी को स्वर्ण बेरी में स्थापित कर दिया था। वहां पर आज भी हनुमान जी की प्राचीन मंदिर है।
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