आखिर क्यों की थी इतनी बड़ी वारदात।
शबनम इस कहानी की अकेली किरदार नहीं है। एक और शख्स था जिसने पूरी साजिश रची थी और वह था शबनम का प्रेमी सलीम। दरअसल, शबनम सलीम से प्यार करती थी, लेकिन प्यार की शुरुआत में शायद ही उसने सोचा होगा कि वह इसकी खातिर इतने रिश्तों का एक साथ क़त्ल कर देगी। शबनम के परिवार को सलीम के साथ उसका रिश्ता मंजूर नहीं था, इस कारण अक्सर तनाव रहता था। सलीम के साथ परिवार के सफाए की योजना शबनम ने जिस वक़्त बनाई तब वह गर्भवती थी। शबनम के परिवार को बिना शादी के इस तरह से प्रेग्नेंट होना शायद ही बर्दाश्त होता, ऐसे में उसने सबको मारने का फैसला कर लिया। 15 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने खाने में कुछ मिलाया और जब सब बेहोशी की नींद सो गए तो उसने एक-एक कर कुल्हाड़ी से सबको मौत के घाट उतार दिया।
पुलिस इस मामले में तफ्तीश में जुटी। घटना के एक हफ्ते भर में ही पता चला कि शबनम प्रेग्नेंट है। इसके बाद पुलिस ने जब कॉल डिटेल निकाली तो पता चला कि शबनम की एक शख्स से लगातार बात हुई, जिसका नाम सलीम था। शबनम से कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने सब उगल दिया। इसके बाद अरेस्ट हुए सलीम की निशानदेही पर वो कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली गई, जिससे क़त्ल किया गया था। शबनम के साथ सलीम को भी सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इन दोनों की दया याचिका तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा ही ख़ारिज की जा चुकी है। शबनम पोस्टग्रेजुएट है और जिन दिनों उसने इस वारदात को अंजाम दिया, तब वह एक स्कूल में पढ़ाती थी। जबकि सलीम सिर्फ पांचवीं पास था।
अपने पत्रकार दोस्त को सौंपा बच्चा।
जेल जाने के करीब सात माह बाद शबनम के एक बेटे को जन्म दिया। कई साल तक ये बच्चा शबनम के साथ रहा। 2015 में फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद शबनम ने इस बच्चे को अपने दोस्त और उसकी पत्नी को सौंप दिया था। शबनम ने जिसे बच्चा सौंपा था वह पेशे से पत्रकार भी है। शबनम ने बच्चे को सौंपते समय शर्त रखी कि बच्चे का नाम बदल दिया जाए और कभी उस गांव में नहीं ले जाया जाए जहां उसने इस वारदात को अंजाम दिया था। शबनम का बेटा ताज मोहम्मद करीब 11 साल का है।
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