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Sunday, November 29, 2020

कोरोना अपडेट : देश में 24 घंटे में आए 44 हजार नए कोरोना केस, 500 से ज्यादा मौत


देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 93 लाख 92 हजार 919 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर देश में 44 हजार 489 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इस दौरान 36 हजार 367 लोग ठीक हुए। 524 मरीजों की मौत हो गई। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 1 लाख 35 हजार 223 हो गई है, जबकि 86 लाख 79 हजार 138 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 4 लाख 52 हजार 344 मरीजों का इलाज चल रहा है।


26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से कम हैं और 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से ज्यादा हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, देश में 25 नवंबर तक कोरोना वायरस के लिए कुल 13 करोड़ 55 लाख सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 10 लाख सैंपल कल टेस्ट किए गए। पॉजिटिविटी रेट सात फीसदी है।

मृत्यु दर और रिकवरी रेट।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के एक्टिव केस, मृत्यु दर और रिकवरी रेट का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। राहत की बात है कि मृत्यु दर और एक्टिव केस रेट में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही भारत में रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.46 फीसदी है जबकि रिकवरी रेट 93.72 फीसदी है। एक्टिव केस 5 फीसदी से भी कम है।
सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का सातवां स्थान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। रिकवरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में हुई है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर है।

शिखंडी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए भीष्म पितामा, जाने महाभारत की घटना।


महाभारत युद्ध में कई किरदार है जिन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई। लेकिन शिखंडी को इस युद्ध का इक्का माना जा सकता है। शिखंडी के कारण ही भीष्म पितामह अस्त्र छोड़ मृत्यु की सेज पर लेट गए थे। भीष्म पितामह ने शिखंडी के बारे में दुर्योधन को बताया था कि जिस समय हस्तिनापुर के राजा उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य थे। उस समय उनके विवाह के लिए मैं काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को हर लाया था। लेकिन जब पता चला कि अंबा राजा शाल्व को प्यार करती है, तब अंबा को पूरे सम्मान के साथ राजा शाल्व के पास भेज दिया। वहीं राजा शाल्व ने अंबा को अपनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली।

अंबा की स्थिति के बारे में जब नाना राजर्षि होत्रवाहन को पता चला तो उन्होंने अंबा को परशुरामजी से मिलने के लिए कहा अंबा ने अपने साथ हुई घटना की पूरी जानकारी परशुराम को बताई। तब परशुरामजी ने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। परशुराम को यह बात बहुत खराब लगी और इसके बाद उन्होंने भीष्म से युद्ध किया लेकिन वे भीष्म से पराजित गए। उधर युद्ध समाप्त होने के बाद अंबा भीष्म के सर्वनाश के लिए युमना किनारे तप करने लगती है और तप करते-करते अंबा अपना शरीर त्याग देती है।

अंबा ने शिव से मांगा था भीष्म को पराजित करने का वरदान।
अगले जन्म में अंबा वत्सदेश के राजा के यहां जन्म लेती है। अंबा अपने पूर्वजन्म के बारे में जानती थी। इसलिए भीष्म से बदला लेने के लिए वह पुन: तप करना शुरू कर देती है। इस बार उसके तप से भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहते हैं। तब अंबा भीष्म की पराजय का वरदान मांगती है। भगवान शिव उसे मनचाहा वरदान देते हैं लेकिन अंबा कहती है कि प्रभु कन्या होकर वह भीष्म को कैसे पराजित कर सकती है। इस पर भगवान शिव कहते हैं कि अंबा तुम अगले जन्म में पुन: एक स्त्री के रूप में जन्म लोगी, लेकिन युवा होने पर पुरुष बन जाओगी और भीष्म की मृत्यु का कारण बनोगी।

ऐसा वरदान मिलने पर अंबा ने एक चिता बनाई और भीष्म का वध करने के लिए अग्नि में प्रवेश कर गई। महाभारत काल में अंबा राजा द्रुपद के यहां शिखंडी के रूप में पैदा हुई। एक यक्ष ने शिखंडी की सहायता करने के उद्देश्य से अपना पुरुषत्व उसे दे दिया और उसका स्त्रीत्व स्वयं धारण कर लिया। यक्ष ने शिखंडी से कहा कि जब कार्य पूर्ण हो जाए तो मेरा पुरुषत्व मुझे पुन: लौटा देना  शिखंडी ने उसे ऐसा ही करने का वचन दे दिया

शिखंडी को देख भीष्म पितामह छोड़ दिए शस्त्र।
महाभारत का युद्ध जब आरंभ हुआ तो भीष्म पितामह को हराने के लिए शिखंडी अर्जुन के साथ उसके रथ पर सवार होकर भीष्म पितामह के सामने आ गया। भीष्म पितामह ने स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाने की प्रतिज्ञा की थी। क्योंकि शिखंडी स्त्री से पुरुष बना था, इस वजह से भीष्म ने अपने शस्त्र रख दिए। तभी अर्जुन ने शिखंडी को ढाल बनाकर भीष्म पर तीरों की वर्षा कर दी और भीष्म को पराजित कर दिया। अर्जुन के वाणों से छलनी भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर आ गए। इस प्रकार से शिखंडी भीष्म पितामह की मृत्यु की बड़ी वजह बना।

26/11 कैप्टन रवि धर्निधिरका छुट्टियां बिताने आये थे मुंबई, होटल में फंसे 157 लोगों की जान बचाई थी।

26/11 (26/11 Attack) की आज 12वीं बरसी है। 2008 में आज के ही दिन मुंबई के ताज होटल में आतंकी हमला हुआ था। समुद्री रास्ते से आए पाक आतंकियों ने 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जबकि इस हमले में करीब 600 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस हमले में अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों को ढेर करने में कुछ जांबाज बहादुर सिपाहियों और पुलिस अधिकारियों का योगदान था। ऐसे ही एक हीरो थे कैप्टन रवि धर्निधिरका (Ravi Dharnidharka) जिन्होंने उस हमले के दौरान ताज होटल में फंसे 157 लोगों की जान बचाई थी।


कौन हैं रवि धर्निधिरका।
रवि धर्निधिरका (Ravi Dharnidharka) की जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं। वह यूएस में रहने के दौरान भी भारत आते रहते थे। उनका परिवार मुंबई के बधवार पार्क के पास रहता है। वहीं उनके अन्य कुछ रिश्तेदार भी मुंबई में रहते हैं, जहां उनसे वह अक्सर मिलने आते रहते हैं। साल 2004 से 2008 तक रवि इराक के फालूजा शहर में तैनात रहे। इस दौरान चार साल तक वह भारत नहीं आ सके थे। इराक़ मिशन पूरा करने के बाद ही वह अपने परिवार से मिलने आए थे। वह भारत में एक तरह से छुट्टियां बिताने आया करते थे।

छुट्टियां बिताने आते थे मुंबई।
2008 में लंबे अर्से बाद वह एक फिर मुंबई आए। घर में कुछ दिन बिताने के वह मुंबई के मशहूर ताज होटल में डिनर करने का मन पहुंचे। अपने चचेरे भाई और अंकल के साथ रात को डिनर के लिए ताज होटल पहुंचे तो उन्हें हर बार की तरह माहौल खुशनुमा लगा। भारतीय एवं विदेशी लोग अपने परिवार के साथ व्यंजनों का आनंद ले रहे थे।

ले रहे थे डिनर का आनंद, होने लगे धमाके।
रवि धर्निधिरका ने अपने रिश्तेदारों के साथ होटल ताज के 20वें माले पर लेबनानी रेस्टां ‘सुक’ में पहंचे। यहां वो भोजन का आनंद ले रहे थे। तभी अचानक होटल के नीचे के हिस्से से गोलियों और चीख़पुकार शुरू हो गई। बाकी लोग इसी सोच में डूबे थे कि आखिर क्या हो रहा है। उनके चेहरों पर एक उलझन थी।

लोगों के लिए बन गए थे ढाल।
रवि कुछ समझते इससे पहले उनके दूसरे चचेरे भाई का फोन आया कि ताज होटल में आतंकियों ने हमला बोल दिया है। रवि के लिए यह मंजर कोई नया नहीं था। इसलिए उन्होंने बड़ी सूझबूझ से काम लेने की सोची। वह वहां मौजूद लोगों को बताने लगे कि अब उन्हें खुद बचकर निकलना होगा। तभी उनकी नज़र रेस्टोरेंट के एक दरवाजे पर पड़ी। दरवाजा कांच का बना हुआ था, दरवाजे के दूसरी तरफ से आतंकवादी लोगों पर ग्रेनेड फेंक सकते थे। रवि ने वहां मौजूद सभी लोगों को दूसरे हॉल में चलने के लिए कहा। रवि तेजी से लोगों को लेकर हॉल में घुस गए। हॉल का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया गया। दरवाजे पर सोफे भी लगा दिए गए। जिससे कोई आतंकी घुस न सके। 

लोगों से कहा-पीछे की सीढ़ियों से भागना होगा।
वह बाहर के हालातों को समझने के लिए बार-बार खिड़की से झांकने की कोशिश कर रहे थे। कुछ ही देर में होटल की छठी मंजिल पर दो धमाके हुए। वहां बुरी तरह से आग लग चुकी थी। रवि ने सोचा कि अगर ये लोग यहीं फंसे रह गए तो हो सकता है कि शॉट सर्किट हो जाए और 20वीं मंजिल पर भी आग लग जाए। रवि कोई गलत फैसला नहीं लेना चाहते थे। इसलिए उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा कि सेना उन्हें बचाने आ रही है। रवि ने आगे कहा, नीचे आग लग चुकी है। हमें पीछे की सीढ़ियों से भागना होगा। 

बंद करवा दिए थे सभी के फोन, उतरवा दिए थे जूते।
इसी दौरान रवि ने पूर्व सेना के कुछ अधिकारियों से आगे चलने को कहा ताकि वह इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों और महिलाओं को कई खतरा न हो। ऐसा ही हुआ। सबसे आगे पूर्व अधिकारी फिर पुरुष और महिलाएं और बच्चे। हॉल पूरी तरह से खाली हो चुका था। पीछे की सीढ़ियों से होकर 157 लोग नीचे भाग रहे थे। उन सभी लोगों को खासतौर से रवि ने कहा था कि जूतें उतार कर भागें और अपने मोबाइल फोन भी बंद कर लें। ऐसा ही हो रहा था। हॉल में आखिर में रवि अकेले बचे थे।

बुजुर्ग महिला के लिए दोबारा दांव पर लगा थी जिंदगी।
वह भी अब नीचे जाने को तैयार थे। तभी उन्होंने देखा कि हॉल के कोने में एक बुजुर्ग महिला व्हीलचेयर पर बैठी हुई थी। रवि ने कहा कि आपको नीचे चलना होगा। इस पर बुजुर्ग महिला ने जवाब दिया कि तुम मुझे छोड़कर चले जाओ जो होगा देखा जाएगा। लेकिन रवि उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते थे। उन्होंने उस बुजुर्ग महिला को अपनी गोद में उठा लिया और तेजी से नीचे उतरने लगे। 20 मंजिल से किसी महिला को अपनी गोद में लेकर उतरना आसान नहीं था। लेकिन रवि ने हार नहीं मानी। जो लोग सुरक्षित नीचे आ चुके थे उनकी निगाहें अपने हीरो पर थींं। तभी रवि बुजुर्ग महिला को गोद में उठाए सीढ़ियों से तेजी से उतरते ही नीचे आ रहे थे। वह नीचे उतर गए। लोगों की आंखों में आंसू थे, वह रवि को रीयल हीरो कहकर पुकार रहे थे।

Sunday, November 22, 2020

Netflix हिंदुओ के आस्था के साथ खिलवाड़ करते मंदिर परिसर में प्रेमी जोड़े के बीच किसिंग सीन दिखाया।

यह बहुत दुख कि बात है कि भारत में हिन्दू धर्म के आस्था से खिलवाड़ करने में मीडिया और धर्मविरोधी तत्व पीछे नहीं हटते। ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें Netflix मंदिर परिसर में प्रेमी जोड़े के बीच किसिंग सीन दिखाने को लेकर एक बार फिर हिंदू विरोधी कंटेट दिखाने का दुस्ससाहस किया है। जिसे लेकर सोशल मीडिया पर लगातार आवाज उठाई जा रही है। ट्विटर (Twitter) पर #BoycottNetflix भी ट्रेंड कर रहा है।

ट्विटर (Twitter) यूजर्स #BoycottNetflix ट्रेंड पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और नेटफ्लिक्स (Netflix) के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। कोई Netflix पर सरकार के नियंत्रण की मांग कर रहा है, कोई Netflix से माफी मांगने की बात कह रहा है तो कोई Netflix पर बैन लगाने की बात कर रहा है।

इस बीच बीजेपी (BJP) युवा मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री गौरव तिवारी ने मध्य प्रदेश पुलिस में शिकायत की। गौरव ने शनिवार को रीवा के एसएसपी को शिकायत पत्र देकर वेब सीरीज निर्माता Netflix के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने Netflix की अधिकारियों मोनिका शेरगिल और अंबिका खुराना के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की।

बीजेपी नेता गौरव तिवारी ने कहा कि अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म से वीडियो नहीं हटाया जाता तो फिर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया जाएगा। यह वेब सीरीज सीरीज विक्रम सेठ की लिखी किताब पर आधारित है. इसे Netflix ने बनाया है। कार्यक्रम के दूसरे एपिसोड में हिंदू लड़की से मुस्लिम लड़के का किसिंग सीन दिखाया गया है। यह किसिंग सीन मध्य प्रदेश के महेश्वर घाट स्थित शिव मंदिर परिसर में दिखाया गया है।

उन्होंने कहा कि ये हिंदू भावनाओं को आहत करने और लव जेहाद को बढ़ावा देने का शर्मनाक प्रयास है, जिसे हिंदू समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। महेश्वर में पाषाण काल के अनगिनत शिवलिंग हैं। रानी अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल में इसे और दिव्य स्वरूप मिला। ऐसी महान शासिका की कर्मभूमि और हिंदू आस्था के प्रतीक महेश्वर घाट में किसिंग सीन दिखाने से साजिश की बू आती है। अब ऐसे हिंदूविरोधी तत्वो का पुण्य वाहिस्यकार करना चाहिए।

Friday, November 20, 2020

भारत को मिला P-8I विमान लंबी दूरी का एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट लंबी दूरी तक रखेगा नजर।

भारत से बेवजह विवाद मोल लेकर जहां चीन अलग-थलग पड़ गया है, वहीं भारत अपनी ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। इसी क्रम में समुद्री गश्ती और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान P-8I को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। अमेरिका के साथ हुए 1.1 अरब डॉलर के रक्षा समझौते के तहत कुल चार P-8I विमान भारत को मिलने हैं, उनमें से पहला विमान बुधवार गोवा पहुंचा।


पहले से हैं आठ विमान।
P-8I अत्याधुनिक सेंसरों से लैस है, जो हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर नजर रखेगा। यह विमान बुधवार सुबह गोवा स्थित महत्वपूर्ण नेवल बेस आईएनएस हंस पहुंचा। बता दें कि भारतीय नौसेना के पास पहले से ही ऐसे आठ पी-8 आई विमान हैं, जिनमें से कुछ को पूर्वी लद्दाख में चीनी गतिविधियों की निगरानी के लिए तैनात किया गया है।

2016 में दिया था ऑर्डर।
जो आठ P-8I विमान भारत के पास पहले से हैं, उनके लिए जनवरी 2009 में सरकार ने 2.1 बिलियन डॉलर का समझौता किया था। ये विमान हार्पून ब्लॉक-II मिसाइलों और MK-54 लाइटवेट टॉरपीडो से लैस हैं। इसके बाद साल 2016 में रक्षा मंत्रालय ने चार और ऐसे विमानों की खरीद का आर्डर दिया था।

ताकत में हुआ इजाफा।
P-8I विमान लंबी दूरी का एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट है। माना जा रहा है कि इसे हिंद महासागर में तैनात किया जाएगा। P-8I के नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। चीन जमीन और समुद्र दोनों की रास्तों से अपने विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम देने के लिए कुख्यात है। इस लिहाज से P-8I के रूप में भारतीय नौसेना को एक ऐसा हथियार मिल गया है, जो चीन की हर हरकत पर बारीकी से नजर रखने में सक्षम है।

Thursday, November 19, 2020

शनिवार शनि देव की आराधना करने से मिलेगा शनि ध्वेस से मुक्ति।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का दीपक भी जलाया जाता है।

सरसों तेल और शनि देव के बीच संबंध।
दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। जिसके अनुसार रामायण काल यानी त्रेता युग में शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर अहंकार हो था। इस दौर में शनि देव ने हनुमान जी के बल और पराक्रम की प्रशंसा सुनी तो वे बजरंग बली से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। लेकिन उस समय हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम की भक्‍ति में लीन थे। तभी अपने बल के घमंड में चूर शनिदेव आ पहुंचे और उन्‍होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारना शुरु किया। रामभक्त हनुमान जी को शनिदेव के क्रोध और घमंड का कारण समझ आ चुका था इसलिए उन्‍होंने युद्ध को स्‍वीकार करने की बजाय उन्‍हें शांत करना उचित समझा। लेकिन शनि देव माने नहीं और लगातार हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारते रहे।

जिसके बाद मजबूर होकर हनुमान जी को युद्ध करने के लिए आगे आना ही पड़ा। शनिदेव और बजरंग बली के बीच घमासान युद्ध हुआ। स्वयं शिव के अंशावतार और श्रीहरि के अवतार राम जी के भक्त हनुमान के आगे भला कौन टिक सकता था। इस युद्ध का अंजाम वही हुआ जो होना था। शनि देव को हनुमान जी ने परास्‍त कर दिया।

शनिदेव को सरसों तेल से मिली राहत।
लेकिन इस युद्ध के दौरान शनि देव बेहद घायल हो गए। बजरंग बली की गदा के भीषण प्रहारों से उन्हें बेहद चोट लगी और शरीर पर कई जगह घाव बन गए। जिसकी पीड़ा से शनिदेव व्याकुल हो गए। हालांकि शनिदेव ने हनुमान जी से दुश्मनी साधी थी और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा था, लेकिन भक्त शिरोमणि हनुमान जी से उनकी पीड़ा नहीं देखी गई।

हनुमान जी ने शनि देव पर कृपा करते हुए उन्‍हें पीड़ा से मुक्‍त करने के लिए उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया। जिससे उन्हें आराम मिला। तभी से शनि देव को तेल चढ़ाने की पंरपरा की शुरुआत हुई। तेल चढ़ाने से भक्तों की पीड़ा दूर करते हैं शनिदेव।‍ मान्यता है कि शनि देव को तेल चढ़ाने से उनकी पीड़ा कम हो जाती है और फिर वे अपने भक्‍त की पीड़ा को भी कम कर देते हैं। शनि देव को तेल चढ़ाने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। आर्थिक समस्‍याओं से जूझ रहे लोगों को भी शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। कहा जाता कि शनिदेव की पूजा में तेल के साथ तिल का भी बहुत महत्व है।

काली चीजें हैं शनिदेव को बेहद प्रिय।
काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि काला तिल और तेल से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। यदि शनिदेव की पूजा इन वस्तुओं से की जाए तो ऐसी पूजा सफल मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव अपने भक्तों पर शीघ्र ही नाराज और प्रसन्न हो जाते है। शनिदेव की यदि विधिवत पूजा की जाए, तो वे अपने भक्तों को कभी दुखी नहीं रखते हैं। यदि कोई व्‍यक्‍ति शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से गुज़र रहा है तो उसे भी शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए और उन्‍हें शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।

जानिए क्यों होती है कार्तिक माह में तुलसी पूजन और तुलसी विवाह।

कर्तिक का पावन महीना शुरू हो गया है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु पानी के अंदर रहते हैं। इस पावन माह के ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने से पाप-दोष का नाश होता है। इसलिए तो कार्तिक मास को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष नामक पुरुषार्थों को देने वाला माना गया है। इस माह माता तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी पूजन के साथ-साथ इसी माह तुलसी विवाह भी होता है। तो चलिए जानते हैं, तुलसी पूजन की महिमा।

ब्रह्ममुहूर्त में स्नान की महिमा।
कार्तिक मास में सूर्योदय पूर्व स्नान, दान और रामायण पारायण का महत्व तो सर्वविदित है। सदियों से यह हमारी सनातन परंपरा का अंग है। इस मास में तुलसी पूजा का भी बहुत महत्व है। काशी के पंचगंगा घाट पर आकाशी दीपों की मासपर्यन्त चलने वाली कतारें सज जाती हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत में मास की व्याख्या करते हुए कहा है- पौधों में तुलसी मुझे प्रिय है, मासों में कार्तिक मुझे प्रिय है, दिवसों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मेरे हृदय के निकट है। मान्यता है कि आंवले के फल एवम तुलसी-दल मिश्रित जल से स्नान करें तो गंगा स्नान के समान पुण्यलाभ होता हैं। कार्तिक मास में मनुष्य की सभी आवश्यकताओं जैसे- उत्तम स्वास्थ्य, पारिवारिक उन्नति, देव कृपा आदि का आध्यात्मिक समाधान बड़ी ही आसानी से हो जाता है।

तुलसी पूजन और सेवन के लाभ।
कार्तिक माह में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। जो व्यक्ति यह चाहता है कि उसके घर में सदैव शुभ कर्म हो, सदैव सुख शान्ति का निवास रहे उसे तुलसी की आराधना अवश्य करनी चाहिए। पुरानी मान्यता है कि जिस घर में शुभ कर्म होते हैं, वहां तुलसी हरी-भरी रहती है और जहां अशुभ कर्म होते हैं वहां तुलसी कभी भी हरी-भरी नहीं रहती।

तुलसी विवाह की पुरानी प्रथा।
कार्तिक मास में तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इसके समीप दीपक जलाने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी बनता है। जो तुलसी को पूजता है उसके घर मां लक्ष्मी हमेशा के लिए आ बसती है क्योंकि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना गया है। तुलसी का एक नाम हरिप्रिया भी है, अर्थात वे हरि यानि भगवान विष्णु को अतिशय प्रिय हैं। इसी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह विधि-विधान से संपन्न कराया जाता है। उसी दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार मास शयन के बाद जगते हैं, उस अवधि को सनातन परंपरा में चतुर्मास काल कहा जाता है। उस एकादशी को देवोत्थान एकादशी या लोकभाषा में देवठन एकादशी कहा जाता है।

तुलसी की पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक मास में मंदिर के द्वार पर तुलसी की एक सुंदर वाटिका लगाई। उस पुण्य के कारण वह अगले जन्म में सत्यभामा बनी और सदैव कार्तिक मास का व्रत करने के कारण वह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...