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Friday, May 28, 2021

आज नारद जयंती, जानिए कैसे बने नारद मुनि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र।

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। ऋषि नारद मुनि परमपिता ब्रह्मा जी की मानस संतान माने जाते हैं। वह भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। उनके मुख से हर वक्त नारायण नारायम का ही स्वर निकलता। नारद मुनि के एक हाथ में वीणा है और दूसरे हाथ में वाद्य यंत्र है। नारद मुनि को देवताओं का संदेशवाहक कहा जाता है। वह तीनों लोकों में संवाद का माध्यम बनते थे। ऐसी मान्यता है कि मान्यता है कि इस दिन नारद जी की पूजा आराधना करने से भक्‍तों को बल, बुद्धि और सात्विक शक्ति की प्राप्ति होती है। आइये जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा।

नारद जयंती का शुभ मुहूर्त।
हिन्दू पंचांग के अनुसार नारद जयंती हर साल ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। साल 2021 में नारद जयंती की तिथि 27 मई को होगी। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा 26 मई को शाम 4 बजकर, 43 मिनट से शुरू होगी जो कि 27 मई को दोपहर 1 बजकर, 2 मिनट पर समाप्त होगी।

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं नारद जी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में नारद मुनि का जन्म गंधर्व कुल में हुआ था। उनका नाम उपबर्हण था. नारद मुनि को अपने रूप पर बड़ा अभिमान था। एक बार कुछ गंधर्व और अप्सराएं गीत और नृत्य के साथ ब्रह्मा जी की उपासना कर रही थीं। इसी दौरान उपबर्हण {नारद जी} स्त्रियों के वेष में श्रृंगार करके उनके बीच में आ गये। यह देख ब्रह्मा जी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उपबर्हण को अगले जन्म में शूर्द के यहां जन्म होने का श्राप दे दिया। ब्रह्मा जी के श्राप से उपबर्हण का जन्म शूद्र दासी के पुत्र के रूप में हुआ। इस बालक ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की पूजा-अर्चना में लगाने का संकल्प लेकर कठोर तपस्या करने लगा। तभी आकाशवाणी हुई कि तुम इस जीवन में ईश्वर के दर्शन नहीं पाओगे। अगले जन्म में आप उन्हें पार्षद के रूप में प्राप्त करोगे।

Tuesday, May 25, 2021

कैसे बचाया था भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की जान? पढ़िए नरसिंह भगवान की यह कथा!

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जो भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। उसके राज्य में जो भी भगवान का नाम लेता उन पर बहुत अत्याचार किए जाते। हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसकी प्रजा उसे ही भगवान् माने। उनका बेटा प्रह्लाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत समझाया और डर दिखाया। लेकिन जब भक्त प्रह्लाद के सामने उसकी एक न चली तो उसने उन्हें पहाड़ी से नीचे फेंकने का आदेश दिया लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ। जब हिरण्यकश्यप ने यह देखा तो क्रोध से तिलमिला उठा और भगवान को ललकारने लगा। उसी समय उसके महल का खंभा फटा और नरसिंह भगवान अवतरित हुए. उनका रूप देख हिरण्यकश्यप कांप उठा। नरसिंह देव, ना पूरे पशु थे और ना पूरे मनुष्य, उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध अस्त्रों या शस्त्रों से नहीं बल्कि अपनी गोद में बिठाकर अपने नाखूनों से उसकी छाती चीर कर किया था।

बता दें कि हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की तपस्या कर उनसे वरदान मांगा था कि उसे न कोई इंसान मार पाए और न ही जानवर। न मैं रात में मारा जाऊं और न सुबह, न मेरी मौत घर के अन्दर हो न बाहर। इसलिए भगवान विष्णु को नरसिंह का अवतार लेना पड़े। नरसिंह देव, ना पूरे पशु थे और ना पूरे मनुष्य, उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध अस्त्रों या शस्त्रों से नहीं बल्कि अपनी गोद में बिठाकर अपने नाखूनों से उसकी छाती चीर कर किया था। जिस समय हिरण्यकश्यप वध हुआ उस समय शाम का समय था और महल की देहरी पर बैठकर नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध किया।

Saturday, May 22, 2021

देश में अब तक ब्लैक फंगस के 7251 केस आए सामने, जानिए सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य।

देश में कोरोना वारयरस के संकट के बीच ब्लैक फंगस ने भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। कई राज्यों में इसके मामले लगातार बढ़ रह हैं जो एक चिंता विषय है। देश में अब तक 7251 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 219 लोग इसके कारण अपनी जान गवा चुके हैं। इसके सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में देखने को मिले हैं। गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा कि राज्यों को महामारी अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करना चाहिए।

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के अबतक 1500 केस सामने आए हैं, जिनमें 90 मरीजों की मौत हो गई है। इसके बाद गुजरात में सबसे ज्यादा 1163 केस आए और 61 मरीजों की जान चली गई। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के 575 केस आए और 31 की मौत हो गई। हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 268 और 203 केस आए और क्रमश: 8 और 1 व्यक्ति की जान गई।

उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, तेलंगाना में 200 से कम केस आए हैं। इनमें से तेलंगाना में सबसे ज्यादा 10 लोगों की जान गई है। उत्तर प्रदेश में आठ लोग मारे गए हैं। बिहार व छत्तीसगढ़ में 2 और 1 व्यक्ति की जान गई है। हालांकि कर्नाटका में अबतक किसी की जन नहीं गई है। अब तक चंडीगढ़, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है।

क्या है ब्लैक फंगस?
दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी प्रमुख डॉक्टर पद्मा के अनुसार, ब्लैक फंगस इन्फैक्शन कोई नई बीमारी नहीं है। जिनकी इम्युनिटी बहुत कम है या जो ट्रांसप्लांट के मरीज हैं, उनमें यह फंगस इन्फैक्शन पाया जाता है। उन्होंने कहा कि इतनी संख्या में फंगस इन्फैक्शन पहले कभी नहीं देखा गया था, जितना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अभी देखा गया है।

डॉक्टर पद्मा ने कहा कि फंगस इन्फैक्शन से खतरा है और अगर इलाज नहीं मिला तो 80 फीसदी मामलों में मौत की संभावना है। ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है। यह कोरोना की तरह नहीं एक दूसरे को फैलता है।

Friday, May 21, 2021

Cooling-Off Period कानून की मदद से चीन में 70% तक घट गए बिखरते रिश्तों के बचान मामले।

बीजिंग: बिखरते रिश्तों को बचाने की चीन की कोशिश रंग लाती नजर आ रही है। चीन (china) की कम्युनिस्ट सरकार ने इस साल की शुरुआत में अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ (cooling-off period) लागू किया था, जिसकी वजह से तलाक की दर (divorce rate) 70 फीसदी तक कम हो गई हैै। नागरिक मामलों के मंत्रालय (ministry of civil affairs) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021 की पहली तिमाही में 296,000 तलाक के आवेदन दर्ज हुए, जबकि पिछले साल की अंतिम तिमाही में ये संख्या 1.06 मिलियन थी, इस तरह इसमें 70 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है।

जाने Cooling-Off Period क्या है?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कूलिंग ऑफ पीरियड का मतलब उस समय से है, जिसके दौरान दो असहमत लोग आगे की कार्रवाई से पहले अपने मतभेदों को दूर करने की अंतिम कोशिश करते हैं। चीन (China) में नया सिविल कोड (Civil Code) 1 जनवरी से प्रभाव में आया है। इसके तहत तलाक (Divorce) के लिए आवेदन पेश करने के बाद जोड़े को 30 दिनों तक इतंजार करना जरूरी है, इस दौरान यदि पति-पत्नी में सहमति बन जाती है, तो वे अपनी याचिका वापस ले सकते हैं।

Law को लेकर विपक्ष में नाराजगी?
एक महीने के Cooling-Off Period के बाद पति-पत्नी को तलाक के लिए फिर से आवेदन करना होता है। इस नए कानून को लेकर सरकार की आलोचना भी बड़े पैमाने पर हो रही है। आलोचकों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा करार दिया है। उनका कहना है कि यदि दो लोग अपने मर्जी से अलग होना चाहते हैं, तो सरकार उन्हें 30 दिनों तक जबरन बांधे नहीं रख सकती। वहीं, समर्थकों का मानना है कि इससे परिवार की स्थिरता और सामजिक व्यवस्था सुनिश्चित होती है।

China ने जताई थी चिंता।
चीन में पिछले कुछ वक्त में तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिसने सरकार को चिंता में डाल दिया है। पिछले साल नागरिक मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि विवाह और प्रजनन दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शादी की दर में गिरावट जन्म दर को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक और सामाजिक विकास प्रभावित होता है। इस मुद्दे का समाधान निकाला जाना चाहिए। उन्होंने संकेत दिए थे कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी। कूलिंग ऑफ पीरियड उसी का एक हिस्सा है।

Thursday, May 20, 2021

इजरायल में हर घर में होता है एक 'स्पेशल' कमरा, जिसमे किसी भी आधुनिक हथियार से नुकसान नही पहुंचाया जा सकता है।

नई दिल्ली: अतीत से मौजूदा इतिहास तक यहूदियों को हमेशा अपने वजूद की लड़ाई लड़नी पड़ी है। वजूद की इस लड़ाई को लड़ते हुए वो युद्ध और युद्ध जैसी स्थितियों का सामना करने के आदी हो गए हैं उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में कोई असर नहीं पड़ता है।
इजरायल ने भी अपने नागरिकों और रिहायशी इलाकों की सुरक्षा के लिए ऐसे चाक चौबंद इंतजाम किए हैं कि हमास या फिलिस्तीन का दागा कोई रॉकेट या मिसाइल उसके लिए बड़ी परेशानी नहीं खड़ी कर सकता।
इजरायल का सबसे बड़ा रक्षा कवच आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए हवा में ही मिसाइलों या रॉकेटों को उड़ा देता है। जैसे ही किसी इलाके में हमले की सूचना रडार को मिलती है शहर में सायरन बजने लगता है, इसे सुनते ही लोग अपने घरों में बने सुरक्षा बंकर में चले जाते हैं जिससे कि यदि आयरन डोम को चकमा देकर अगर कोई मिसाइल लोगों के घर तक पहुंच भी जाए तो लोगों को उसकी वजह से जान माल का नुकसान न उठाना पड़े।

हर जगह होते हैं बंकर
इजरायल में बकर हर जगह बने हैं। घरों के अलावा ऑफिस, मॉल, खेल का मैदान, होटल, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी हर जगह बंकर हैं। इन बंकर को इजरायली सेना की देखरेख में बनाया जाता है। जो डिजायन बंकर का पास किया जाता है उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता।

हर तरह की व्यवस्था होती है बंकर के अंदर
बंकर में भी घर के आम कमरों की तरह, टीवी, फ्रिज, सोफा, बेड आदि की व्यवस्था होती है। पता नहीं कितने दिन तक लोगों को उसके अंदर रहना पड़े. कंक्रीट के बने इस बंकर में एक लोगे का गेट लगा होता है. साथ उसके अंदर एक आपातकालीन निकास भी होता है. रोशन दान में बुलेटप्रूफ कांच लगा होता है इसी के जरिए बंकर में रहने वाले लोग बाहर देख सकते हैं। इसके अलावा बंकर के अंदर कैमिकल वॉरफेयर से जुड़ी चीजें भी होती हैं इसमें बच्चों और बड़ों के लिए गैस मास्क रखे होते हैं। जो सामना बंकर में रखे जाने का निर्देश होता है वो लोगों को वहां रखना होता है।

सड़कों पर बने होते हैं बंकरों के लिए संकेत
सड़कों पर और इमारतों में बंकरों की स्थिति के बारे में संकेत होते हैं। अब तो ऐप के जरिए पब्लिक बंकर का पता लगाया जा सकता है। सायरन सुनते ही बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग हर कोई बंकर की ओर भागना शुरू कर देते हैं। आपात स्थिति में किसी भी घर के बंकर में कोई भी व्यक्ति जा सकता है। सायरन के बंद होने के पंद्रह मिनट बाद तक सभी को यहीं रहना होता है। इस तरह के कड़े अनुशासन के बल पर इजरायल अपने नागरिकों को सुरक्षा दे पाता है।

अपार्टमेंट्स के अंदर बनाए जाने लगे हैं सुरक्षा रूम
मॉर्डन बहुमंजिला इमारतों में भी लोगों के लिए कंक्रीट बंकर बनाए जाने लगे हैं। इन्हें हिब्रु में 'ममाद' कहा जाता है। इसमें उस कमरे की दीवारों को 20 से 30 सेमी मोटी कंक्रीट से बनाया जाता है। इस कमरे के दरवाजे लोगे के बने होते है तथा खिड़कियों को भी कवर करने के लिए आयरन की अलग से प्लेट होती है। इसमें जो कांच लगाया जाता है वो भी बुलेट प्रूफ होता है जो लोगों को बम, रॉकेट और केमिकल वेपन के हमले से बचाता है।
इन कमरों में स्पेशल वेंटिलेशन की व्यवस्था होती है जिसमें अलग फिल्टर भी लगे होते हैं। अपार्टमेंट्स में ऐसे सुरक्षा बंकर 1992 के बाद बनाए जाने लगे।

पहले जमीन से चार मीटर नीचे होते थे बंकर
30 से 40 साल पहले पहले घरों में चार मीटर नीचे बंकर बनाया जाता था जिसकी दीवारें कंक्रीट की और दरवाजे लोहे के होते थे। उसक अंदर लाइट और वेंटीलेशन की भी व्यवस्था होती थी। इसके अलावा ऐसा पेंट दीवारों में अंधेरे में पहचान के लिए लगाया जाता था जो चमकता था। ऐसे में अंधेरे में भी कमरे में लोगों को परेशानी नहीं होती थी।

ब्लैक फंगस के लक्षण, एम्स ने जारी की यह जरूरी गाइडलाइन्स।

कोरोना वायरस के प्रकोप से देश में तबाही मची हुई है। वहीं, दूसरी तरफ देश के सामने ब्लैक फंगस जैसी बीमारी की चुनौती आ गई है। आय दिन इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई जगहों पर तो इसके कारण मौतें पर दर्ज की गई हैं। ब्लैक फंगस तेजी से अपने पाव पसारते जा रहा है। अकेले महाराष्ट्र में इसके कारण 90 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में हर दिन नए केस आ रहे हैं। लगातार बढ़ते इस संकट को देखते हुए एम्स ने कुछ गाइडलाइन्स जारी की हैं। जो ब्लैक फंगस के लक्षण और उसके इलाज के दौरान मदद कर सकती हैं।

किन मरीजों में सबसे ज्यादा रिस्क ?
1• जिन मरीज़ों को डायबिटीज़ की बीमारी हैै। डायबिटीज़ होने के बाद स्टेरॉयड या tocilizumab दवाईयों का सेवन करते हैं, उनपर इसका खतरा हैै।

2• कैंसर का इलाज करा रहे मरीज या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों में अधिक रिस्क्क।

3• जो मरीज स्टेरॉयड और tocilizumab को अधिक मात्रा में ले रहे  हैै।

4• कोरोना से पीड़ित गंभीर मरीज़ जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
 
एम्स की ओर से डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि जो मरीज ब्लैक फंगस के शिकार होने के रिस्क पर हैं, उन्हें लगातार सूचित करें, चेकअप करवाएं।
 
ब्लैक फंगस का कैसे पता चलेगा?
कोरोना मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों या डॉक्टरों के लिए ये लक्षण ब्लैक फंगस का पता लगाना आसान करेंगे।
 
1• नाक से खून बहना, पपड़ी जमना या काला-सा कुछ निकलना।

2• नाक का बंद होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, धुंधला दिखना, आंखों का लाल होना, कम दिखाई देना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना।

3• चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना।
 
4• मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना।

5• ऐसे लक्षणों का पता लगाने के लिए हर रोज़ खुद को चेक करें, अच्छी रोशनी में चेक करें ताकि चेहरे पर कोई असर हो तो दिख सकेे।
 
6• दांतों का गिरना, मुंह के अंदर या आसपास सूजन होना।
 
ब्लैक फंगस के लक्षण होने पर क्या किया जाए?
अगर किसी मरीज़ में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखते हैं तो उसकी देखभाल कैसे की जाए, एम्स ने इसके बारे में भी जानकारी दी है।
 
1• किसी ENT डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, आंखों के एक्सपर्ट से संपर्क करें या किसी ऐसे डॉक्टर के संपर्क में जाएं जो ऐसे ही किसी मरीज़ का इलाज कर रहा हो।

2• ट्रीटमेंट को हर रोज़ फॉलो करे। अगर डायबिटीज़ है तो ब्लड शुगर को मॉनिटर करते रहे।

3• कोई अन्य बीमारी हो तो उसकी दवाई लेते रहें और मॉनिटर करे।
 
4• खुद ही स्टेरॉयड या किसी अन्य दवाई का सेवन ना करें। डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज करे।

5• डॉक्टर की जरूरी सलाह पर MRI और CT स्कैन करवाएंं। नाक-आंख की जांच भी जरूरी हैै।

R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इसकी हमला को बगल में बैठा आदमी भी नहीं जान सकता।

यरुशलम: इजरायल (Israel) और हमास (Hamas) के बीच जारी जंग में इन दिनों निंजा की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि इजरायल ने फिलिस्तीन में निंजा अटैक (Israel-Palestine Conflict) किया। अब आप सोच रहे होंगे ये निंजा अटैक (Ninja Attack) क्या होता है? दरअसल निंजा मध्य कालीन जापान (Japan) के उन योद्धाओं को कहा जाता था, जो युद्ध के मैदान में दुश्मनों को चौंकाते थे। उनका हमला अचानक और अकल्पनीय होता था।

क्या है निंजा मिसाइल?
इसी तरह मिसाइल के दौर में R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के तौर पर जाना जाता है। जो चलती कार में बैठे शख्स को मिसाइल से उड़ाता है और उसी कार में बगल में बैठे शख्स को पता तक नहीं चलता है।

गाजा से आया हैरान करने वाला वीडियो।
इजरायल और हमास (Israel-Hamas Conflict) के बीच बीते 10 दिन से जारी जंग में अब तक आपने कई खतरनाक तस्वीरें और वीडियो देखी होंगी। आपने इजरायल के रिहाइशी इलाकों को टारगेट करते हमास के सैकड़ों रॉकेट देखे होंगे। आपने गाजा में हमास के ठिकानों को बम और मिसाइल से तबाह होते देखा होगा। इजरायल के गाजा अटैक की चपेट में कई इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी भी आईं। लेकिन इजरायल के हमले का नया वीडियो दुनिया को हैरान करने वाला है। वीडियो में दिख रहा है कि सड़क पर एक कार जा रही है और उस कार को मिसाइल के जरिए हिट किया जाता है। हमला इस तरह से होता है कि कार में बैठे आदमी को टारगेट किया जाता है। इस हमले में सिर्फ कार की खिड़की और गेट को ही नुकसान पहुंचता है। कार के बाकी हिस्से को कोई नुकसान नहीं होता है। जानकार हमले की इस तकनीक को निंजा तकनीक कह रहे हैं। निंजा तकनीक इसलिए क्योंकि इस हमले में R9X निंजा मिसाइल के इस्तेमाल का दावा किया जा रहा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो गाजा शहर का है। गौरतलब है कि गाजा में इजरायल की सेना के निशाने पर सफेद रंग की Citroen Xsara कार थी। जिसमें हमास की सबमरीन के ऑपरेटर सवार थे। कार पर R9X निंजा मिसाइल से हमला किया गया। R9X मिसाइल Hellfire रॉकेट का वेरियंट हैं, जिनमें विस्फोटक की जगह 6 घातक ब्लेड होते हैं। ये किसी एक विशेष इंसान को निशाना बनाते हैं। इस हथियार में Hellfire मिसाइल का लेजर टार्गेटिंग सिस्टम होता है और विस्फोटक की जगह 45 किलो का मेटल होता है। हमले के बाद कार की एक तरफ की खिड़की-दरवाजे उड़ गए लेकिन इसके अलावा गाड़ी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमले के बाद कार वहीं खड़ी रही। कार की बाईं ओर की खिड़की और दरवाजे नहीं हैं। लेकिन कार के दूसरे हिस्सों को देखकर लगता ही नहीं कि इस पर मिसाइल से हमला हुआ होगा।

बता दें कि R9X मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिका साल 2017 से कर रहा है। लेकिन अब इजरायल के पास भी ऐसी तकनीक आ चुकी है।

Wednesday, May 19, 2021

आज ही के दिन जन्मे अखंड भारत का सपना देखने वाले महान देशभक्त नाथुराम गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है।

जब सिंधु नदी भारत में हो, अखंड भारत बन जाएं, तब उसी सिंधु में मेरी अस्थियां विसर्जित हो। फाँसी से एक दिन पहले लिखी वसीयत के अनुसार उनकी अंतिम इच्छा अभी अधूरी। अखंड भारत में सिंधु नदी में अस्थियां विसर्जित करने की अंतिम इच्छा थी नाथूराम गोडसे की। क्या आपको पता है मरने के बावजूद आज तक गोडसे की अस्थियों (Asthi Kalash) को नदी में प्रवाहित नहीं किया गया है, बल्कि इसे एक चांदी के डिब्बे में भरकर सुरक्षित रखा गया है। यहां अस्थ्यिों के अलावा गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी रखे हुए हैं। नाथूराम गोडसे के परिजनों की ओर से दिए गए एक इंटरव्यू के तहत फांसी के बाद गोडसे का शव उन्हें नहीं दिया गया था। सरकार ने खुद घग्घर नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद उनकी अस्थियों को एक डिब्बे में भरकर उन्हें दिया गया था। गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू के बताया था कि नाथूराम गोडसे की अस्थियों को नदी में प्रवाहित न करने के पीछे गोडसे की अंतिम इच्छा (Last Wish) रही है। दरअसल मरने से पहले उन्होंने कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए और जब तक कि सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए। इसके बाद ही उनकी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित किया जाए। उनके इस सपने के सच होने की आस में ही परिवार ने उनकी अस्थियों को संभालकर रखा है। गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है, जिसमें उन्होंने अपनी राख सिंधु नदी में विर्सजित करने की बात कही थी। क्या लिखा है वसीयत मेंं।

1:- यह वसीयत (पत्र) गोडसे ने 14-11-1949 यानी अपनी फांसी से ठीक एक दिन पहले अपने छोटे भैया दत्तात्रेय विनायक गोडसे के नाम जेल से लिखा था।
2:- उनके भाई गोपाल गोडसे ने इसे अपनी किताब ‘गांधी, वध और मैं’ ने इसे प्रकाशित किया है।
3:- इस पत्र में नाथूराम गोडसे ने अपने बीमा के पैसों को भाई दत्तात्रेय गोडसे, उनकी पत्नी और उनके दूसरे भाई की पत्नी को देने को कहा था।
4:- साथ ही, अंतिम संस्कार का सारा अधिकार भी दत्तात्रेय गोडसे को दिया था।
5:- गोडसे ने अपनी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करने की बात भी लिखी है। वसीयत में नाथूराम गोडसे का नाम सबसे नीचे लिखा हुआ है।

यहां आज भी रखी है गोडसे की अस्थियां।
1:- पुणे के जिस इमारत में गोडसे की अस्थियां रखी हैं वहां एक रियल एस्टेट, वकालत और बीमा क्षेत्र से जुड़े ऑफिस है।

2:- शीशे के एक केस में गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं।

3:- गोडसे से जुड़ी यह निशानियां शिवाजी नगर इलाके में बने जिस कमरे में रखी हैं वह अजिंक्य डेवलपर्स का दफ्तर है।

4:- इसके मालिक और नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे ने कहा “इन अस्थियों का विसर्जन सिंधु नदी में ही होगा और तभी होगा जब उनका अखंड भारत का सपना पूरा हो जाएगा।”

5:- “मेरे दादाजी की अंतिम इच्छा यही थी, इसमें कई पीढ़ियां लग सकती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह एक दिन जरुर पूरी होगी।

6:- शनिवार पेठ के इसी घर में कभी नाथूराम गोडसे रहा करते थे। अब यह मकान बेहद जर्जर हो चुका है। इस घर में इन दिनों कई छोटी-छोटी प्रिटिंग प्रेस हैं।

नाथूराम गोडसे ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए जब तक सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए और फिर से एक बार अखंड भारत का निर्माण न हो जाए। जब ऐसा हो जाए तभी मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करा जाए।

आज ही जन्म लिया था अखंड भारत" का सपना देखने वाले और गांधी को मारने वाले “नाथूराम गोड्से” जिनकी अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है।

75 साल से उसको ही नफरत का प्रतीक घोषित किये रहे। वो नाम जो भारत के विभाजन से दुखी था, वो नाम जो हमेशा अखण्ड भारत का स्वप्न देखता रहा , यहां तक कि मृत्यु के बाद भी। ये बात हो रही है नाथूराम गोडसे की जिनका जन्म आज ही के दिन अर्थात 19 मई को हुआ था। कम लोगों को पता है कि कश्मीर के कुख्यात आतंकियों तक के शव उनके परिवार को दे दिया जाता है जिसमे सेना विरोधी, भारत विरोधी नारे लगते हैं और आतंकी उन्हें बन्दूकों की सलामी देते हैं।

लेकिन नाथूराम गोडसे का शव इन्ही तथाकथित मानवता के ठेकेदारों ने उनके घर वालों को नही दिया था बल्कि तत्कालीन सरकार के आदेश पर जेल के अधिकारियों ने घग्घर नदी के किनारे पर उन्हें जला दिया था। जेल में नाथूराम और आप्टे को बी कैटेगरी में रखा गया था। नाथूराम कॉफी पीने और जासूसी किताबें पढ़ने का शौकीन थे। 15 नवंबर 1949 को गोडसे को फांसी दिए जाने से एक दिन पहले परिजन उससे मिलने अंबाला जेल गए थे। गोडसे की भतीजी और गोपाल गोडसे की पुत्री हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह फांसी से एक दिन पहले अपनी मां के साथ उनसे मिलने अंबाला जेल गई थी।

उस समय वह ढाई साल की थी। गिरफ़्तार होने के बाद गोडसे ने गांधी के पुत्र देवदास गांधी (राजमोहन गांधी के पिता) को तब पहचान लिया था जब वे गोडसे से मिलने थाने पहुंचे थे। इस मुलाकात का जिक्र नाथूराम के भाई और सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब गांधी वध क्यों, में किया है। गोपल गोडसे ने अपनी किताब में लिखा है, देवदास शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा, लेकिन नाथूराम सहज और सौम्य थे। उनका आत्मविश्वास बना हुआ था। देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट थे नाथूराम जिनके चेहरे पर तब भी थी सौम्यता और शांति के साथ संतोष के भाव।

नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, “मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं। हिंदी अख़बार हिंदू राष्ट्र का संपादक। मैं भी वहां था (जहां गांधी की हत्या हुई)। आज तुमने अपने पिता को खोया है। मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है। तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है। कृप्या मेरा यक़ीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही कोई ख़राब भाव। अदालत पर आज सवाल उठाने वालों के समय मे अदालत में नाथूराम गोडसे के दिये बयान पर प्रतिबंध लगा दिया गया जबकि इन्ही लोगों ने मुम्बई ब्लास्ट के दोषी याकूब के एक एक बयान यहां तक कि नहाने धोने तक कि खबर को जनता के बीच भावनात्मक रूप से पहुचाया।

गोपाल गोडसे ने अपनी पुस्तक के अनुच्छेद में नाथूराम की वसीयत का जिक्र किया है। जिसकी अंतिम पंक्ति है- “अगर सरकार अदालत में दिए मेरे बयान पर से पाबंदी हटा लेती है, ऐसा जब भी हो, मैं तुम्हें उसे प्रकाशित करने के लिए "अधिकृत करता हूं”। नाथूराम गोडसे के बयानों में ये भी था कि– मेरा पहला दायित्व हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए है, एक देशभक्त और विश्व नागरिक होने के नाते। 30 करोड़ हिंदुओं की स्वतंत्रता और हितों की रक्षा अपने आप पूरे भारत की रक्षा होगी, जहां दुनिया का प्रत्येक पांचवां शख्स रहता है। इस सोच ने मुझे हिंदू संगठन की विचारधारा और कार्यक्रम के नज़दीक किया।

मेरे विचार से यही विचारधारा हिंदुस्तान को आज़ादी दिला सकती है और उसे कायम रख सकती है”। आगे गोड्से ने गांधी की कार्यशैली और एकतरफा तुष्टिकरण पर सवाल उठाते हुए लिखा कि– "32 साल तक विचारों में उत्तेजना भरने वाले गांधी ने जब मुस्लिमों के पक्ष में अपना अंतिम उपवास रखा तो मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि गांधी के अस्तित्व को तुरंत खत्म करना होगा, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता, गांधी की सहमति से देश के बंटवारे का फ़ैसला कर रहे थे, उस देश का जिसे हम पूजते रहे हैं, मैं भीषण ग़ुस्से से भर रहा था। व्यक्तिगत तौर पर किसी के प्रति मेरी कोई दुर्भावना नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मैं मौजूदा सरकार का सम्मान नहीं करता, क्योंकि उनकी नीतियां मुस्लिमों के पक्ष में थीं। लेकिन उसी वक्त मैं ये साफ देख रहा हूं कि ये नीतियां केवल गांधी की मौजूदगी के चलते थीं”।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के समय से 40 मिनट पहले पहुँच गये। जैसे ही गान्धी प्रार्थना-सभा के लिये परिसर में दाखिल हुए, नाथूराम ने पहले उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया उसके बाद बिना कोई बिलम्ब किये अपनी पिस्तौल से तीन गोलियाँ मार कर गान्धी का अन्त कर दिया। गोडसे ने उसके बाद भागने का कोई प्रयास नहीं किया। मुक़दमे के लिए नाथूराम गोडसे को सर्वप्रथम पंजाब उच्च न्यायालय में पेश किया गया। एक वर्ष से अधिक चले मुकद्दमे के बाद 8 नवम्बर 1949 को उसे मृत्युदंड प्रदान किया गया। उनका एक वाक्य ये भी था – "जिस दिन सच्चा इतिहास लिखा जाएगा उस दिन मेरे कार्यों को सराहा जाएगा। और जब पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी भारत के झंडे के नीचे बहने लगे , मेरी अस्थियां तब उसमें प्रवाहित करना। भले ही इसके लिए एक दो पीढ़ी की भी प्रतीक्षा करनी पड़े तो कर लेना। नाथूराम गोडसे की अस्थियां आज भी नागपुर में उसी प्रतीक्षा में हैं।

मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का खास पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं।

मंगलवार और शनिवार बजरंगबली के दिन माने जाते हैं। मान्यता है कि मंगलवार को हनुमान जी का खास पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं।

1. अगर प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का सिंदूर से पूजन किया जाए तो समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।

2. हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा में सावधानी बहुत जरूरी है। मंगलवार को अगर सुबह बरगद के पेड़ के एक पत्ते को तोड़कर गंगा जल से धो कर हनुमान जी को अर्पित करें तो धन की आवक बढ़ती है। आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।

3. मंगलवार को पान का बीड़ा नियम से चढ़ाया जाए तो रोजगार के रास्ते खुलते हैं। नौकरीपेशा को प्रमोशन के अवसर मिलते हैं।

4. मंगलवार को शाम के समय हनुमान जी को केवड़े का इत्र एवं गुलाब की माला चढ़ाएं और कोशिश करें कि स्वयं लाल रंग के वस्त्र पहनें। धन के लिए हनुमान जी को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल उपाय है।

5. मंगलवार के दिन शाम को व्रत करके बूंदी के लड्डू या बूंदी का प्रसाद बांटें। इससे संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

6. इस दिन हनुमान जी के पैरों में फिटकरी रखने से बुरे सपनों से पीछा छूट जाता है।

7. हनुमान जी के मंदिर में जा कर रामरक्षास्त्रोत का पाठ करने से सारे बिगड़े काम संवर जाते हैं। अटके कामों की बाधा दूर होती है। कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।

8. मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष बैठ राम नाम का 108 बार जाप करें। हनुमान जी रामजी के अनन्य भक्त हैं इसलिए जो भी श्रीराम की भक्ति करता है, उन्हें वह पहले वरदान देते हैं। हनुमान जी इस उपाय से प्रसन्न हो विवाह संबंधी मनोकामना को पूरी करते हैं।

9. मंगलवार के दिन हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दिया जलाएं और चालीसा का पाठ करें। यह उपाय दांपत्य जीवन में सरसता लाता है।

10. ॐ हं हनुमंते नमः मंत्र का जाप करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट का रुद्राक्ष की माला से जाप करने से भी हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते हैं। संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा के उच्चारण से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं और आरोग्य का वरदान मिलता है।

Tuesday, May 18, 2021

कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद और लगवाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान होगा लाभ।

कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीन लगा रहे हैं। इस समय पूरा भारत टीकाकरण के लिए कतार में लगा हुआ है। चाहे वह 18 साल का युवक हो या फिर 60 साल का बुजुर्ग सभी वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहा हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना के वैक्सीन के साइड इफेक्ट से डरे हुए हैं। इसलिए कोरोना वैक्सीन लगाने से पहले और लगाने के बाद इन बातों का जरूर ध्यान रखें।

वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों को बुखार या बदन दर्द जैसी परेशानियां हो रही हैं। इन सबसे बचने के लिए कुछ टिप्स को फॉलो करना जरूरी है। वैक्सीन लेने से पहले अच्छे से खाना खाएं। एंग्जाइटी को कंट्रोल करने के लिए बहुत भारी या तली भुनी चीजें न खाएं। वैक्सीन के साइड इफेक्ट से बचने के लिए हेल्दी डाइट लें। सेलिब्रिटी और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट रेयान फर्नांडो ने सुपरफूड के बारे में बताया है जो हर व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने से पहले और लगवाने के बाद जरूर खाना चाहिए, ये वैक्सीन के साइड इफेक्ट से बचने में मदद करते हैं।

1. हल्दी :-
हल्दी एंटीबायोटिक है। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन सबसे अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है। हल्दी सूजन कम करता है और तनाव से बचाता है। इसलिए कोरोना वैक्सीन लगवाने से पहले और लगवाने के बाद हल्दी को डाइट में जरूर शामिल करें। इसे दूध के साथ लेना भी फायदेमंद है।

2. लहसुन :-
लहसुन में कैल्शियम, आयरन, कॉपर , पोटेशियम और फास्फोरस की अच्छी मात्रा होती है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। साथ ही ये सभी पोषक तत्व आपके शरीर को अदंर से पोषण देने के लिए जरूरी होते हैं। और पेट को स्वस्थ रखते हैं।

3. अदरक :-
अदरक हाइपर टेंशन, फेफड़ों के संक्रमण जैसी कई बीमारियों को नियंत्रित करता है। अदरक तनाव भी कम करता है, इसलिए वैक्सीन लगवाने से पहले अदरक को डाइट में जरूर शामिल करें।

4. हरी सब्जियां :-
हरी सब्जियां कैल्शियम, मिनरल्स और फेनोलिक कंपाउंड से भरपूर होती हैं। इसके पोषक तत्व वैक्सीन लगने के बाद होने वाली कई परेशानियों से बचाते हैं और सूजन कम करने में भी मदद करतै हैं। ताजे फलों के एंटीऑक्सीडेंट इम्यूनिटी मजबूत करते हैं इसलिए दिन में एक बार फल जरूर खाएं।

5. प्याज :-
गर्मियों में प्याज न सिर्फ आपको लू लगने से बचाती है बल्कि इससे आपकी भी इम्यूनिटी भी बढ़ती है। प्याज प्रोबायोटिक्स से भरपूर होता है। इसलिए प्याज जरूर खाएं।

6. ब्लूबेरी :-
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है ब्लूबेरी। इसमें पोटेशियम और विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह सोरेटोनिन के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। इसलिए वैक्सीन लगवाने से पहले इसे भी डाइट में जरूर शामिल करें।

7. डार्क चॉकलेट :-
डार्क चॉकलेट सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद कोको कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में मदद करता है। स्टडी में पता चला कि डार्क चॉकलेट खाने से गंभी बीमारियां का खतरा कम हो जाता है और वैक्सीनेशन के बाद ये बहुत जरूरी होता है।

8. ऑलिव ऑयल :-
वर्जिन ऑलिव ऑयल डायबिटीज और न्यूरोलॉजिकल डिजीज को कम करने में मदद करता है। वैक्सीन लेने के बाद खाने में वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना सेहत के लिए अच्छा होता है।

9. सूप :- 
इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए अपनी डाइट में सूप को जरूर शामिल करें। वैक्सीन लगवाने से पहले और लगवाने के बाद मिक्स वेजिटेबल सूप या फिर चिकन ब्रोथ सूप जरूर लें।

वैक्सीन लगवाने से पहले इन बातों का ध्यान रखें 
 
1- वैक्सीन लगवाने से पहले धुम्रपान न करें।
2- वैक्सीन लगवाने के लिए खाली पेट न जाएं, अच्छी तरह से खाकर जाएं।
3- वैक्सीन लगवाने से पहले शराब न पीए।
4- वैक्सीन लगवाने से पहले कैफीनयुक्त चीजों से दूर रहें।

Elon Musk को लगा झटका, रईसों की लिस्ट में नंबर 3 पर फिसले। Tesla के शेयरों में भरी गिरावट।

नई दिल्ली: Elon Musk के tweet आजकल Bitcoin निवेशकों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। उनके एक ट्वीट से Bitcoin में 20-20 परसेंट तक की गिरावट आ जाती है, लेकिन इस बीच Elon Musk की किस्मत भी कुछ खास साथ नहीं दे रही है।

Elon Musk रईसों की लिस्ट में नंबर -3 पर फिसले
Elon Musk अब दुनिया के नंबर -2 रईस नहीं रहे, Tesla के शेयर सोमवार को 2 परसेंट से ज्यादा टूट गए जिसके चलते नंबर-2 की कुर्सी एलन मस्क से छिन गई। ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक फ्रेंच बिलिनेयर और LVMH के चेयरमैन Bernard Arnault 161 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर आ गए हैं जबकि इतनी ही संपत्ति के साथ एलन मस्क अब तीसरे पायदान पर खिसक गए हैं।

Tesla के शेयरों की पिटाई।
एलन मस्क की संपत्ति में ये गिरावट Tesla के शेयरों में 2 परसेंट से ज्यादा की गिरावट के चलते आई है। एलन मस्क की संपत्ति में इस साल 9.09 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई है। जबकि 24 घंटे में उनकी संपत्ति में 3.16 अरब डॉलर की कमी आई है।

जनवरी में बने थे नंबर-1 रईस
एलन मस्क इस साल जनवरी में ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स में नंबर एक पर पहुंच गए थे यानी दुनिया के सबसे रईस इंसान बन गए थे। दरअसल साल 2020 में टेस्ला के शेयर में करीब 750 परसेंट की तेजी देखने को मिली थी। जिसके बाद कंपनी का शेयर 900 डॉलर तक पहुंच गया था। इस तेजी का फायदा एलन मस्क को भी मिला और उनकी संपत्ति 200 अरब डॉलर के पार चली गई। 13 जनवरी को उनकी नेट वर्थ 202 अरब डॉलर पर पहुंच गई थी।

दुनिया के रईसों की लिस्ट 
ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक Amazon के जेफ बेजोस 190 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ पहले पायदान पर हैं। इंडेक्स में चौथे नंबर पर बिल गेट्स हैं और उनकी कुल संपत्ति 144 अरब डॉलर है। मार्क जकरबर्ग 118 अरब डॉलर के साथ पांचवें नंबर पर और 75.20 अरब डॉलर के साथ मुकेश अंबानी 13वें नंबर पर हैं। 63.10 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ गौतम अडाणी इस लिस्ट में 17वें नंबर पर हैं।

Bitcoin पर सफाई
एलन मस्क बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई तरह के बयान देते रहे हैं जिसका असर बिटक्वाइन पर देखा गया। पिछले हफ्ते ही एलन मस्क ने ट्वीट किया कि टेस्ला अब बिटक्वॉइन में पेमेंट नहीं लेगी। बस फिर क्या था Bitcoin में 17 परसेंट से ज्यादा की गिरावट आ गई। इसके पीछे एलन मस्क ने तर्क दिया कि इसकी माइनिंग में बहुत ज्यादा ऊर्जी या बिजली खर्च होती है, जो पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। ये भी खबरें आईं कि Tesla अपने Bitcoins को बेच सकती है या बेच चुकी है, हालांकि सोमवार को सफाई आई कि कंपनी ने ऐसा कुछ नहीं किया है।

"बृहदेश्वर मंदिर" क्या आधुनिक तकनीकों वाला युग नींव खोदे बिना एक गगनचुंबी इमारत के निर्माण की कल्पना कर सकता है।

यह तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर है, यह बिना नींव का मंदिर है । इसे इंटरलॉकिंग विधि का उपयोग करके बनाया गया है इसके निर्माण में पत्थरों के बीच कोई सीमेंट, प्लास्टर या किसी भी तरह के चिपकने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं किया गया है इसके बावजूद पिछले 1000 वर्षों में 6 बड़े भूकंपो को झेलकर भी आज अपने मूल स्वरूप में यथा संभव स्थिति में खड़ा है।

216 फीट ऊंचा यह मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर था। इसके निर्माण के कई वर्षों बाद बनी पीसा की मीनार खराब इंजीनियरिंग की वजह से समय के साथ झुक रही है लेकिन बृहदेश्वर मंदिर पीसा की मीनार से भी प्राचीन होने के बाद भी अपने अक्ष पर एक भी अंश का झुकाव नहीं रखता।

इस मंदिर के निर्माण के लिए 1.3 लाख टन ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था जिसे 60 किलोमीटर दूर से 3000 हाथियों द्वारा ले जाया गया था। इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी को खोदे बिना किया गया था यानी यह मंदिर बिना नींव का मंदिर है।

मंदिर टॉवर के शीर्ष पर स्थित शिखर का वजन 81 टन है आज के समय में इतनी ऊंचाई पर 81 टन वजनी पत्थर को उठाने के लिए आधुनिक मशीनें फेल हो जाएंगी।

बृहदीश्वर मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किए गए इंजीनियरिंग के स्तर को दुनिया के सात आश्चर्यों में से किसी भी आश्चर्य के निर्माण की तकनीक मुकाबला नहीं कर सकती और आज की तकनीकों को देखकर भविष्य में भी कई सदियों तक ऐसा निर्माण सम्भव नहीं दिखता है ।

प्राचीन मंदिरो के दर्शन और उनका इतिहास जानने के लिए हमारा पेज follow करे . . !

क्या आप जानते है, काशी खण्डोक्त मंदिर में दर्शन पूजन करने से केदारनाथ (ज्योतिर्लिंग) के दर्शन का फल मिलता है।

काशी में ऐसी मान्यता है कि यहां खण्डोक्त मंदिर में दर्शन पूजन करने से उत्तराखंड केदारनाथ (ज्योतिर्लिंग) के दर्शन का फल मिलता है। काशी के द्वादश शिवलिंगों में विश्वनाथ लिंग के बाद यह प्रधान लिंग माना जाता है ।

खिचड़ी से बना यह शिव लिंग दो भागों में बटा हुआ है।
1. गौरी रूप।
2. केदारनाथ।।

जब खुद खिचड़ी खाने आये केदारनाथ।

हजारों वर्ष पहले एक मांधाता नाम के ऋषि काशी वास् करने आये थे , वह अपने तप की शक्ति द्वारा रोज़ केदारधाम जा कर केदारनाथ को अपने द्वारा बनाया हुआ खिचड़ी भोग लगाते थे तभी खुद भी खाते थे। समय के साथ साथ वृद्ध अवस्था के कारण वह अचेत होकर गिर पड़े और भोग लगाने के लिए केदार धाम न जा सके।

तभी जब उनकी आँख खुली तोह सामने उन्होंने शिव जी का साक्षात दर्शन किया और शिव जी ने खिचड़ी का भोग लगाया और वही लिंग रूप में माता गौरी के साथ विराज गए और मान्धाता ऋषि को यही रोजाना खिचड़ी का भोग लगाने को कहा ।

स्कन्द पुराण के काशी खण्ड में ऐसा वर्णन है कि यहां केदार धाम दर्शन करने का ही फल मिलता है।

Monday, May 17, 2021

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लॉन्च की डीआरडीओ की दवा 2-डीजी।

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से फैली दहस्त के बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना की दवा 2 -डीजी की पहली खेप लॉन्च की। अब इन्हें मरीजों को दिया जा सकता है। इस दवा को सबसे पहले दिल्ली के डीआरडीओ कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिया जाएगा।

डीआरडीओ के डॉक्टर एके मिश्रा ने बताया, "किसी भी टिशू या वायरस के ग्रोथ के लिए ग्लूकोज़ का होना बहुत जरूरी होता है। लेकिन अगर उसे ग्लूकोज़ नहीं मिलता तो उसके मरने की उम्मीद बढ़ जाती है। इसी को हमने मिमिक करके ऐसा किया कि ग्लूकोज़ का एनालॉग बनाया। वायरस इसे ग्लूकोज़ समझ कर खाने की कोशिश करेगा, लेकिन ये ग्लूकोज़ नहीं है, इस वजह से वायरस की मौत हो जाएगी। यही इस दवाई का बेसिक प्रिंसिपल है"।

साथ ही उन्होंने कहा कि इस दवा से ऑक्सीजन की कमी भी नहीं होगी। जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है उन्हें इसको देने के बात फायदा होगा और वायरस की मौत भी होगी। जिससे इंफेक्शन का चांस कम होगा और मरीज जल्द से जल्द रिकवर होगा।

डॉक्टर एके मिश्रा ने बताया कि इस दवा के तीसरे फेज़ के ट्राएल के अच्छे नतीजे आए हैं। जिसके बाद इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा कि हम डॉ रेड्डीज़ के साथ मिलकर ये कोशिश करेंगे कि हर जगह और हर नागरिक को मिले।

एके मिश्रा का कहना है कि इस दवाई को हर तरह के मरीज को दिया जा सकता है। हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ हो या गंभीर मरीज, सभी को इस दवाई को दी जा सकेगी। बच्चों के इलाज में भी ये दवा कारगर होगी। हालांकि उन्होने कहा कि बच्चों के लिए इस दवा की डोज़ अलग होगी।

पूजा में प्रयोग होने वाली ये चीजें कभी नहीं होती बासी, पुराने होने पर भी आप कर सकते हैं इनका प्रयोग।

पूजा पाठ में बासी चीजों का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है। जैसे बासी फूल, पत्ती, जल और फल बिल्कुल भी बासी नहीं चढ़ाया जाता है। लेकिन कुछ ऐसी चीजें है जिनका प्रयोग आप उनके बासी होने के बाद भी पूजा में शामिल कर सकते है। आईये बताते है उन वस्तुओं के बारें में।

1. गंगाजल- धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा में बासी जल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन गंगाजल का प्रयोग करना कभी बासी नहीं माना गया है। वायुपुराण के साथ साथ स्कंदपुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि गंगाजल कितना भी पुराना हो वह कभी भी बासी नहीं होता है।

2. बेलपत्र- शास्त्रों के अनुसार शिवजी के प्रिय बेल पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते है। इसलिए इन्हें जल छिड़क कर फिर से शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है। पूजा में इसका प्रयोग कभी भी किया जा सकता है। मंदिरों और घरों में शिवजी को चढ़ने वाले इस बेलपत्र का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है।

3. तुलसी की पत्ती- बेलपत्र और गंगाजल की भांति तुलसी दल भी कभी बासी नहीं मानी जाती है। यदि पूजा के लिए तुलसी के नए पत्ते नहीं मिल रहे है तो आप पुराने चढ़े हुए तुलसी के पत्ते भी चढ़ा सकते है। याद रहें कि शिवजी, गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। तुलसी दल को भगवान से उतारने के बाद उसे जल में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर किसी गमले या क्यारी में डाल देना चाहिए ताकि किसी के पैरों में ना दबे।

4. कमल का फूल- पूजा पाठ में फूलों का विशेष महत्व होता है। लेकिन बासी फूल को चढ़ाना उतना ही वर्जित माना जाता है। लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार एक ऐसे फूल यानी कमल का वर्णन मिलता है जो बासी नहीं माना जाता है। मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। कमल का फूल पांच दिनों तक जल छिड़क कर दोबारा चढ़ा सकते है।

रविवार के दिन नहीं करना चाहिए ये काम, वरना उठाना पड़ेगा भरी नुकसान।

रविवार का दिन सूर्य देव का दिन होता है। सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें जल चढ़ाने से व्यक्ति का तेज बढ़ता है और भाग्य बलशाली होता है। ग्रहों के राजा सूर्य की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली का वास हो सकता है लेकिन उनकी नाराज़गी से आपको बड़े से बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। सप्ताह के दिनों के मुताबिक रविवार का दिन सूर्य ग्रह को समर्पित है, इसलिए अगर आप सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं तो रविवार के दिन आपको कुछ कामों से दूर रहना चाहिए जो आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।

1. रविवार के दिन आपको पश्चिम में और वायव्य दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर किसी कारणवश आपको इस दिशा में यात्रा करनी ही है तो रविवार के दिन दलिया, घी या फिर पान खाकर या इससे पहले पांच कदम पीछे चलकर ही इस दिशा में जाएं क्योंकि इस दिन खासकर पश्चिम दिशा में शूल रहता है।

2. रविवार के दिन नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और आपके हर कार्य में बाधा ही उत्पन्न होती है। खासतौर पर सूर्यास्त के बाद तो नमक खाना ही नहीं चाहिए।

3. रविवार को तांबे से निर्मित चीजों को बेचने से आपको परहेज करना चाहिए। तांबे के अलावा सूर्य से संबंधित अन्य धातु या वस्तुएं भी नहीं बेचें।

4. रविवार के दिन नीले, काले और ग्रे रंग के कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं इस रंग के जूते पहनने से भी बचना चाहिए।

5. ज्यादातर लोग रविवार को ही बाल कटवाते हैं लेकिन मान्यता ये है कि इस दिन बाल कटवाने से आपका सूर्य कमजोर हो जाता है।

6. इस दिन तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सूर्य का दिन होता है और तेल शनि का होता है।

7. रविवार के दिन आपको मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, जिस कारण सूर्य देव आप पर विपरीत प्रभाव डालते है। इस दिन शनि से संबंधित पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

8. रविवार के दिन सूर्य के दर्शन करने के बाद स्नान करना चाहिए और अगर घर में झगड़े होते हैं तो इस दिन मन ही मन ‘ओम घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

यह थे, वह काम जो रविवार के दिन नहीं करने चाहिए क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली का वास हो सकता है लेकिन उनकी नाराज़गी से आपको बड़े से बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

आज है जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जयंती, जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये कथा।

आज जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी की जयंती मनाई जा रही है। भारत में चार मठों की स्थापना करने वाले शंकराचार्य का जन्म वैशाख की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आठवीं सदी में केरल में हुआ था। शंकराचार्य के पिता की मत्यु उनके बचपन में ही हो गई थी। बचपन से ही शंकराचार्य का रुझान संन्‍यासी जीवन की तरफ था। लेकिन उनके मां नहीं चाहती थीं कि वो संन्यासी जीवन अपनाएं।

कथा।
एक ब्राह्राण दंपति के विवाह होने के कई साल बाद भी कोई संतान नहीं हुई। संतान प्राप्ति के लिए ब्राह्राण दंपति ने भगवान शंकर की आराधना की। उनकी कठिन तपस्या से खुश होकर भगवान शंकर ने सपने में उनको दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। इसके बाद ब्राह्राण दंपति ने भगवान शंकर से ऐसी संतान की कामना की जो दीर्घायु भी हो और उसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैले। तब भगवान शिव ने कहा कि या तो तुम्हारी संतान दीर्घायु हो सकती है या फिर सर्वज्ञ। जो दीर्घायु होगा वो सर्वज्ञ नहीं होगा और अगर सर्वज्ञ संतान चाहते हो तो वह दीर्घायु नहीं होगी।

तब ब्राह्राण दंपति ने वरदान के रूप में दीर्घायु की बजाय सर्वज्ञ संतान की कामना की। वरदान देने के बाद भगवान शिव ने ब्राह्राण दंपति के यहां संतान रूप में जन्म लिया। वरदान के कारण ब्राह्राण दंपति ने पुत्र का नाम शंकर रखा। शंकराचार्य बचपन से प्रतिभा सम्पन्न बालक थे। जब वह मात्र तीन साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। तीन साल की उम्र में ही उन्हें मलयालम भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

कम उम्र में उन्हें वेदों का पूरा ज्ञान हो गया था और 12 वर्ष की उम्र में शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था। 16 वर्ष की उम्र में वह 100 से भी अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके थे। बाद में माता की आज्ञा से वैराग्य धारण कर लिया था। मात्र 32 साल की उम्र में केदारनाथ में उन्होंने समाधि ले ली। आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार के लिए देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना की थी जिसे आज शंकराचार्य पीठ कहा जाता है।

आज जाने भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त सूरदाज जी की जयंती, पर उनके द्वारा रचित भक्तिमय दोहे।

आज प्रसिद्ध कवि, लेखक और भगवान कृष्ण के भक्त सूरदास जी की जयंती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण भक्त सूरदास जी का जन्म मथुरा के रुनकता गांव में हुआ था। वे जन्म से ही दृष्टिहीन थे और भगवान श्रीकृष्ण में उनकी अगाध आस्था थी। उन्होंने जीवनपर्यंत भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की और ब्रज भाषा में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। सूरदास नेत्रहीन थे लेकिन ऐसे मान्यता है कि उनकी अनन्य भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं मुरलीधर भगवान कृष्ण ने उन्हें दिव्य-दृष्टि का आशीर्वाद दिया था। यही कारण है कि आंखें न होने के बावजूद सूरदास ने इतने सुन्दर और मधुर दोहों की रचना की। सूरदास जी ने ब्रज भाषा में कृष्ण की लीलाओं को बेहद सजीव और सुन्दर तरीके से उकेरा है। सूर की रचनाओं में भक्ति रस और श्रृंगार रस का सुंदर समायोजन है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूरदास के कुछ दोहे जिनमें भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सजीव चित्रण है।

मैया मोरी मैं नही माखन खायौ।
भोर भयो गैयन के पाछे ,मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीबट भटक्यो , साँझ परे घर आयो।।
मैं बालक बहियन को छोटो ,छीको किहि बिधि पायो।
ग्वाल बाल सब बैर पड़े है ,बरबस मुख लपटायो।।
तू जननी मन की अति भोरी इनके कहें पतिआयो।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है ,जानि परायो जायो।।
यह लै अपनी लकुटी कमरिया ,बहुतहिं नाच नचायों।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा लै उर कंठ लगायो।।

निरगुन कौन देस को वासी।
मधुकर किह समुझाई सौह दै, बूझति सांची न हांसी।।
को है जनक ,कौन है जननि ,कौन नारि कौन दासी।
कैसे बरन भेष है कैसो ,किहं रस में अभिलासी।।
पावैगो पुनि कियौ आपनो, जा रे करेगी गांसी।
सुनत मौन हवै रह्यौ बावरों, सुर सबै मति नासी।।

बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहां रहति काकी है बेटी देखी नही कहूं ब्रज खोरी।।
काहे को हम ब्रजतन आवति खेलति रहहि आपनी पौरी।
सुनत रहति स्त्रवननि नंद ढोटा करत फिरत माखन दधि चोरी।।
तुम्हरो कहा चोरी हम लैहैं खेलन चलौ संग मिलि
जोरी।
सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि बातनि भूरइ राधिका भोरी।।

मैया मोहि दाऊ बहुत खिजायौ।
मोसो कहत मोल को लीन्हो ,तू जसमति कब जायौ?
कहा करौ इही के मारे खेलन हौ नही जात।
पुनि -पुनि कहत कौन है माता ,को है तेरौ तात?
गोरे नंद जसोदा गोरी तू कत श्यामल गात।
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत हंसत सबै मुसकात।
तू मोहि को मारन सीखी दाउहि कबहु न खीजै।।
मोहन मुख रिस की ये बातै ,जसुमति सुनि सुनि रीझै।
सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई ,जनमत ही कौ धूत।
सूर स्याम मोहै गोधन की सौ,हौ माता थो पूत।।

जसोदा हरि पालनै झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोई सोई कछु गावै।।
मेरे लाल को आउ निंदरिया कहे न आनि सुवावै।
तू काहै नहि बेगहि आवै तोको कान्ह बुलावै।।
कबहुँ पलक हरि मुंदी लेत है कबहु अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि करि करि सैन बतावै।।
इही अंतर अकुलाई उठे हरि जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सुर अमर मुनि दुर्लभ सो नंद भामिनि पावै।।

अबिगत गति कछु कहत न आवै।
ज्यो गूँगों मीठे फल की रास अंतर्गत ही भावै।।
परम स्वादु सबहीं जु निरंतर अमित तोष उपजावै।
मन बानी को अगम अगोचर सो जाने जो पावै।।
रूप रेख मून जाति जुगति बिनु निरालंब मन चक्रत धावै।
सब बिधि अगम बिचारहि,तांतों सुर सगुन लीला पद गावै।।

Sunday, May 16, 2021

डीआरडीओ ने बनाई कोरोना की दवा, केंद्र सरकार ने आपात इस्तेमाल की दी मंजूरी।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण देश में बढ़ती मुश्किलों के बीच एक अच्छी खबर आ रही है। भारत के डीआरडीओ ने कोरोना की "2 डीजी" नाम की दवा बना ली गई है। इस दवा के लिए केंद्र सरकार ने आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है। रक्षा मंत्रालय द्वारा ने इसकी जानकारी दी है। इस दवा की 10 हजार डोज का पहला बैच आज या कल में मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही भविष्य को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

हैदराबाद के के अलावा अन्य केंद्रों पर ‘2-डीजी’ का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जा रहा है। इस दवा के बारे में बताते हुए DRDO (Defence Research and Development Organisation) के एक अधिकारी ने बताया कि ये दवा कोरोना मरीजों को रिकवर होने में और ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता को कम कम करती है। यानी इसे लेने के बाद मरीज कोरोना वायरस से जीतने में कम समय ले रहे हैं, जल्दी सही हो रहे हैं। दूसरी तरफ उन्हें ऑक्सीजन की भी कम ही जरूरत पड़ रही है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि जब कोई वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है, तो मानव कोशिकाओं को धोखा देकर अपनी प्रतियां बनाता है, साफ शब्दों में कहा जाए, तो अपनी संख्या बढ़ाता है। इसके लिए वह कोशिकाओं से बड़ी मात्रा में प्रोटीन लेता है। डीआरडीओ द्वारा तैयार की गई दवा एक "सूडो" ग्लूकोज है, जो इसकी क्षमता को बढ़ने से रोकती है।

Saturday, May 15, 2021

सरकार की नई गाइडलाइंस, DL और RC के कामों को किया आसान घर बैठे ही निपटाएं।

कोरोना वायरस (Coronavirus) का उछाल दूसरी लहर (Corona second wave) में काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने देश के कई राज्यों में सख्ती के साथ लॉकडाउन लगा दिया है। ऐसे में घर से केवल वो ही लोग बाहर निकल सकते हैं, जिन्हें जरूरी सामान लेना हो या काम हो। लेकिन ऐसी स्थिति में अगर आपको अपना ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License), रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) से जुड़ा कोई भी काम करवाना है, तो उसके लिए घबराएं नहीं। क्योंकि आप अपने इस लाइसेंस संबंधित काम को ऑनलाइन भी निपटा सकते हैं।


सरकारी ने जारी की नई गाइडलाइंल (Government released new guidelines)
सड़क और परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने DL बनवाने और उसे रीन्यूअल करवाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके चलते किसी को भी RTO जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वो घर बैठे भी अपनी इस प्रक्रिया को ऑनलाइन पूरा कर सकता है।

ऑनलाइन DL और RC की प्रक्रिया को ऐसे करें पूरा (Complete the process of DL And RC online)
बता दें जिन लोगों को अपना नया लाइसेंस बनवाना है, उनकी नई गाइडलेंस के मुताबिक ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी हो सकती है। इसका मतलब Learner's license की एप्लीकेशन से लेकर प्रिंटिंग तक का पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होगा। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट और डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल मेडिकल सर्टिफिकेट्स, लर्नर लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस सरेंडर और उसके रीन्यूअल के लिए किया जा सकेगा। RC वालों को भी सरकार ने राहत दी है, जिसमें नई गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी आसान किया गया है। रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) का रीन्यूअल अब 60 दिन एडवांस में किया जा सकेगा, इसके अलावा टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन की समय सीमा भी अब 1 महीने से बढ़ाकर 6 महीने कर दी गई है।

लर्नर्स लाइसेंस को ड्राइविंग टेस्ट के लिए नहीं जाना होगा RTO (Learner's license will not have to go for driving test)
कोरोना महामारी (Coronavirus) के चलते ड्राइविंग टेस्ट (Driving Test) देने के लिए भी किसी को RTO जाने की जरूरत नहीं होगी। घर बैठे ही नागरिक का ट्यूटोरियल के जरिए ऑनलाइन टेस्ट किया जा सकेगा।

DL, RC की वैधता बढ़ाई जा चुकी है (Validity of DL, RC has been increased)
सरकार ने सभी डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस में बदलाव करने की आखिरी तारीख मार्च के महीने में तय की थी। लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए इसे 30 जून तक बढ़ा दिया गया था। मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर के हिसाब से पूरे देश में कोरोना से खराब होते हालात को देखते हुए इन दस्तावेजों को, जो कि 1 फरवरी 2020 को एक्सपायर हो गए थे, उन्हें अगली 30 जून 2021 तक वैध माना जाएगा।

शनिवार को पढ़े सुंदरकांड का पाठ हनुमान जी के साथ साथ शनि देव भी होंगे प्रसन्न, होगी सारी मनोकामना पूरी।


कलयुग के रक्षक कहे जाने वाले संकटमोचन हनुमान जी की पूजा मंगलवार और शनिवार की जाती है। हनुमानजी की पूजा सबसे जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी गई है। मनोकामना के साथ-साथ हर कष्टों का निवार्ण भी करते हैं बजरंगबली। शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। जहां एक ओर पूर्ण रामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है उनकी महिमा बताई गई है, लेकिन दूसरी ओर रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग और निराली है। ज्योतिषविद् अनीष व्यास के मुताबिक सुंदरकांड के महत्व को मनोवैज्ञानिकों ने भी बहुत खास माना है। शास्त्रीय मान्यताओं ने ही नहीं विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।

सुंदरकांड की महत्ता।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है। रामचरितमानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है। जहां एक ओर पूर्ण रामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है उनकी महिमा बताई गई है लेकिन दूसरी ओर रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग और निराली है। इसमें भगवान राम के गुणों की नहीं बल्कि उनके भक्त के गुणों और उनकी विजय के बारे में बताया गया है। कहा जाता है सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।

शनिदेव भी होंगे खुश।
ज्योतिष और पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव हनुमानजी से प्रसन्न रहते हैं। शनिदेव की दशा के प्रभाव को कम करने के उपायों में से एक है हनुमानजी की पूजा। शनिवार को यदि आप सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो बजरंगबली तो प्रसन्न होंगे ही और साथ में शनिदेव भी आपका बुरा नहीं करेंगे। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती।

Friday, May 14, 2021

वह मंदिर जिसे टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। और यहा भगवान परशुराम भगवान शिव की घोर तपस्या की थी।

चित्र में जो त्रिशूल-फरसा है वह श्री परशुराम जी के द्वारा धँसाया गया है। झारखंड के गुमला जिले में भगवान परशुराम का तप स्थल है। यह जगह रांची से करीब 150 किमी दूर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी। यहीं उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को जमीन में गाड़ दिया था। इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है। यही वजह है कि यहां श्रद्धालु इस फरसे की पूजा के लिए आते है।

वहीं शिव शंकर के इस मंदिर को टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं। झारखंड के इस बियावान और जंगली इलाके में शिवरात्रि के अवसर पर ही श्रद्धालु टांगीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। यहां स्थ‍ित एक मंदिर में भोलेनाथ शाश्वत रूप में हैं। स्थानीय आदिवासी ही यहां के पुजारी है और इनका कहना है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। मान्यता है महर्षि परशुराम ने यहीं अपने परशु यानी फरसे को गाड़ दिया था। स्थानीय लोग इसे त्रिशूल के रूप में भी पूजते हैं।
आश्चर्य की बात ये है कि इसमें कभी जंग नहीं लगता।खुले आसमान के नीचे धूप, छांव, बरसात- का कोई असर इस त्रिशूल पर नहीं पड़ता है।आदिवासी बहुल ये इलाका पूरी तरह उग्रवाद से प्रभावित है।ऐसे में यहां अधिकतर सावन और महाशिवरात्रि के दिन ही यहां शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...