पूरा नहीं किया Home Work।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान को होम वर्क दिया था, जिसे वह निर्धारित समयावधि में पूरा करने में असफल रहा। एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि पाकिस्तान को FATF की सख्ती की वजह से 38 अरब डॉलर का नुकसान पहले ही हो चुका है। मतलब साफ है कि दोबारा ग्रे लिस्ट में रहने से पाकिस्तान को इससे भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।
GDP को पहुंची गहरी चोट।
इस्लामाबाद आधारित थिंक टैंक तबादलाब (Islamabad Based Think Tank Tabadlab) ने कहा है कि 2008 से 2019 तक बार-बार पाकिस्तान को FATF की लिस्ट में रखे जाने से उसकी GDP को करीब 38 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। थिंकटैंक ने कहा कि ग्रे लिस्ट में होने की वजह से पाकिस्तान के एक्सपोर्ट और एफडीआई में कमी आई है, जिसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।
तब सुधरी थी स्थिति।
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च पेपर में बताया गया है कि 2012 से 2015 के बीच FATF के प्रतिबंध से पाकिस्तान को करीब 13.43 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था। थिंक टैंक के अनुसार, इन प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक और मध्यकालिक असर पड़ता है। रिसर्च पेपर में यह भी बताया गया है कि जब पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर रहा तो 2017-18 के बीच जीडीपी में तेजी आई थी।
क्या कहा है FATF ने?
दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने हाल ही में एक बार फिर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने की घोषणा की है। अपने फैसले की जानकारी देते हुए FATF ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकियों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है और उसकी कोशिशों में गंभीर खामियां दिखाई देती हैं। उसका सिस्टम इतना प्रभावी नहीं है कि टेरर फंडिंग को रोक सके, इसलिए पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही रहना होगा।